वृंदावन उद्यान
वृंदावन उद्यान shyam CHATURVEDI Noida उत्तरप्रदेश | |
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वृंदावन उद्यान की पृष्ठभूमि में कृष्णाराजसागर बांध | |
प्रकार | सार्वजनिक |
स्थान | मैसूर, कर्नाटक, भारत |
साँचा:coord | |
नाप | ६० एकड़ (२,४०,००० वर्ग मी.) |
आरंभ | १९३२ |
स्वामित्व | कर्नाटक सरकार |
संचालक | कावेरी निर्वरी निगम |
वाषिक बजट | ४.३ करोड़ (२००५-०६) |
वार्षिक पर्यटक | २० लाख |
बृंदावन उद्यान भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर नगर में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह उद्यान कावेरी नदी में बने कृष्णासागर बांध के साथ सटा है। इस उद्यान की आधारशिला १९२७ में रखी गयी थी और इसका कार्य १९३२ में सम्पन्न हुआ।.[१][२] वार्षिक लगभग २० लाख पर्यटकों द्वारा देखा जाने वाला यह उद्यान मैसूर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।[३]
इतिहास
कृष्णाराजासागर बांध को मैसूर राज्य के दीवान सर मिर्ज़ा इस्माइल की देखरेख में बनाया गया था। बांध के सौन्दर्य को बढाने के लिए सर मिर्ज़ा इस्माइल ने उद्यान के विकास की कल्पना की जो कि मुग़ल शैली जैसे कि कश्मीर में स्थित शालीमार उद्यान के जैसा बनाया गया।[१] इस उद्यान का कार्य १९२७ में आरंभ हुआ। इसको छ्त्त की प्रणाली के अनुसार बनाया गया और कृष्णाराजेन्द्र छ्त्त उद्यान का नाम दिया गया।.[१] इसके प्रमुख वास्तुकार जी.एच.कृम्बिगल थे जो कि उस समय के मैसूर सरकार के उद्यानों के लिये उच्च अधिकारी नियुक्त थे।.[४]
उद्यान
इस उद्यान को कावेरी निरावरी निगम (कावेरी सिंचाई विभाग), जो कि कर्नाटक सरकार का एक उपक्रम है। .[५] यह उद्यान साँचा:convert क्षेत्रफल में बना है। इसके साथ ही एक फल उद्यान है, जो कि साँचा:convert क्षेत्रफल में बना है और दो खेत बागवानी के हैं, नागवन (३०एकड़) और चन्द्रवन (५ एकड़) क्षेत्रफल में बने हैं।).[६] यह उद्यान तीन छतों में बना है जिसमें पानी के फव्वारे, पेड़, बेलबूटे और फूलों के पौधे गेंदा, बोगेनबेलिया शामिल हैं।]].[२] यह उद्यान सामान्य जनता के लिये निःशुल्क खुला रहता है। उद्यान में कर्तनकला(यहाँ झाडियों को जानवरों के आकार में काटकर बनाया गया है।) लता मंडप (विसर्पी पौधों की लताओं से ढका रास्ता) और धारागृह .[२] भी स्थित है। लेकिन इस उद्यान का प्रमुख आकर्षण संगीतमय फुव्वारा है, जिसमें पानी की बौछारें संगीतमय गीत की ताल पर झूम उठती हैं। और साथ ही इस उद्यान के अन्दर ही एक झील स्थित है जिसमें पर्यटकों के लिये नाव में सवारी की सुविधा भी उपलब्ध है।.[७] इस उद्यान का पुनर्निर्माण २००५ में हुआ जिसकी लागत करीब ५ करोड़ रुपये आई।[८] इस उद्यान के पुर्ननिर्माण में मुख्यतः संगीतमय फुव्वारे की सजावट शामिल है जिसमें कि संगीतमय फुव्वारे का आधुनिकीकरण और खराब फुव्वारों की मरम्मत शामिल था।.[८] सन २००७ में इस उद्यान को कुछ समय के लिए सुरक्षा कारणों, कावेरी नदी के पानी के विवाद के लिए बंद रखना पड़ा। [९]
वित्त व्यवस्था
वर्ष २००३-२००४ में प्रवेश शुल्क का संकलन २.०७ करोड़ था जो कि २००४-२००५ में बढ़्कर २.६९ करोड़ हो गया और २००५-२००६ में फिर बढ़कर ४.३ करोड़ हो गया। .[५] इस आमदनी को कावेरी निरावारी निगम और कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास कार्पोरेशन (KSTDC) आपस में मिलकर बाँटते हैं, जिसका अनुपात ३:१ है।.[५]