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विडंबना असंगतियों के और उसके स्वीकार का संकेत है जो समस्त काव्य जगत को प्रभावित करती है। उन पद्धतियों से बिल्कुल अलग जिन्हें पारंपरिक आलोचना हमेशा से लागू करना चाहती है। इसमें अर्थ के अनेक परस्पर विरोधी स्तर होते हैं। ब्रुक्स के अनुसार इससे कविता का अपना अलग अस्तित्व निर्मित होता है।