विजय सिंह आंदोलनकारी
विजय सिंह मुझफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश में एक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनकारी हैं, जिनका जन्म १० मई १९६२ में हुआ।[१]
वे 26 फरवरी 1996 से भ्रष्टाचार एवं राजनैतिक आपराधीकरण के विरोध में[२] करोड़ों रुपयों की सार्वजनिक सम्पत्ति/भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करवा कर सार्वजनिक कार्यों में उपयोग करवाने अथवा भूमिहीनों में बांटने की मांग के समर्थन में धरना पर बैठे हुए हैं।
उनकी इस कार्रवाई को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स सहित अभिलेखों की विभिन्न पुस्तकों में सबसे लंबे समय तक इस तरह के विरोध के रूप में दर्ज किया गया है।
भ्रष्टाचार विरोधी सक्रियता
सिंह को कार्रवाई करने के लिए एक घटना ने प्रेरित किया, जब उन्होंने एक भूखे बच्चे को देखा, जो रोटी के लिए रो रहा था और अपनी मां को पड़ोसी से आटा लाने के लिए कह रहा था। उन्होंने अपने गांव में भूमि के स्वामित्व पर अनुसंधान करना शुरू किया, और पाया कि ग्राम सभा की चार हजार बीघा जमीन पर निजी व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था। अवैध कब्जे के खिलाफ काम करने के लिए सिंह ने अपने शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया। [३]
आंदोलन द्वारा उपलब्धियां
2008 में, जब तत्कालीन प्रमुख गृह सचिव जे.एन. चैंबर को मामले पर जानकारी दी गई, तो उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इस संबंध में कार्रवाई करने का आदेश दिया। जिलाधिकारी आर. रमेश कुमार के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने गांव का दौरा किया और 300 बीघा अवैध रूप से अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराया। इस मामले में, अतिक्रमण करनेवालों के खिलाफ 136 मामले दर्ज किए गए थे। जांच में 3200 बीघा जमीन अतिक्रमण की साबित हुई है।[४]