वालोजी भांगरे

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वालोजी भांगरे मराठा साम्राज्य मे कोली जाती का सरदार (नायक) था। 1798 मे वालोजी भांगरे ने पेशवा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। वालोजी भांगरे ने अपने दो भाईयों जिनके नाम मानाजी भांगरे और गोवींदजी भांगरे था के साथ मिलकर हजारों कोलीयों का एक क्रांतिकारी समूह बनाया और कोंकण मे विद्रोह कर दिया।[१][२][३] विद्रोह का कारण राजूर का नया मांशवदार का नियुक्त होना था जिससे कोली संतुष्ट नही थे। कुछ समय बाद वालोजी भांगरे का भाई गोवींदजी भांगरे को कुरूंग किले पर पकड़ा गया और मार दिया गया और बाद मे मानाजी भांगरे के साथ भी यही हुआ। इसके बाद वालोजी भांगरे को हजारों की संख्या मे कोली जाती के लोगों ने वालोजी का साथ दिया और सहीद्री क्षेत्र मे मोरचा खोल दिया। पेशवा ने मराठा सेना भेजी लेकिन नाकाम रही। इसके बाद वालोजी भांगरे सतारा मे चौरे जागीर के देशमुख के पास गया जहा वालोजी को राजुर के मांसबदार ने पकड़ लिया और तोफ से उड़ा दिया।[१][३]

संदर्भ

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