वानप्रस्थ आश्रम

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हिन्दू धर्म में जीवन के ४ प्रमुख भाग (आश्रम) किये गए हैं- ब्रम्हचर्य, ग्रृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास। अर्थात तीसरे भाग वानप्रस्थ का अर्थ वन प्रस्थान करने वाले से है। मनुष्य की आयु १०० वर्ष मानकर प्रत्येक आश्रम २५ वर्षों का होता है- 1.ब्रम्हचर्य आश्रम (जन्म से 25 वर्ष तक)- शैक्षणिक उपलब्धियां एवं बौद्धिक विकास हेतु। 2.गृहस्थ आश्रम (25 से 50 वर्ष तक)- सामाजिक विकास हेतु धर्म,अर्थ,काम की प्राप्ति हेतु। 3.वानप्रस्थ आश्रम (50 से 75 वर्ष तक)-आध्यात्मिक उत्कर्ष हेतु। 4.सन्यास आश्रम (75 से 100 वर्ष तक)- मोक्ष प्राप्त करना।