वाचिक परंपरा
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इस लेख में अन्य लेखों की कड़ियाँ कम हैं, अतः यह ज्ञानकोश में उपयुक्त रूप से संबद्ध नहीं है। (जनवरी 2017) |
इस लेख का शीर्ष भाग इसकी सामग्री का विस्तृत ब्यौरा नहीं देता। कृपया शीर्ष को बढ़ाएँ ताकि लेख के मुख्य बिंदुओं को एक झलक में पढ़ा जा सके। (जून 2012) |
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यह एक ऐसी परम्परा है जिसमे वेदो को पत्रो पर लिख्ने कि बजाय याद करके सदियो तक सुरक्षित रखा जात था। गुरु अपने शिष्य को मोखिक रूप से सम्पूर्ण वेदिक साहित्य का अधय्यन करवाता था और शिष्य उसे याद कर लेता था
टिप्पणी
- इसका उल्लेख विद्यानिवास मिश्र द्वारा रचित अनछुए बिंदु (ISBN-10 8170165644 और ISBN-13 9788170165644) नामक पुस्तक में भी मिलते हैं।