लेप्टिन
साँचा:infoboxसाँचा:main other लेप्टिन शब्द ग्रीक से लिया गया है, जिसका अर्थ "पतला" होता है। यह एक प्रकार का तृप्ति हार्मोन है। यह वसा कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं, जो भूख को बाधित कर ऊर्जा संतुलन को विनियमित करने में मदद करता है। यह घ्रेलिन नामक भूख दिलाने वाले हार्मोन के कार्य का विरोध करता है।[१] दोनों हार्मोन ऊर्जा समस्थिति प्राप्त करने के लिए भूख को विनियमित करने हेतु कार्य करते हैं।[२]
जीन की पहचान
1950 में जैक्सन प्रयोगशाला में पतले चूहों पर अध्ययन किया जा रहा था। जिसमें उनके भूख और ऊर्जा व्यय के विनियमन के बारे में हो रहा था। इसके बाद ही इस हार्मोन का पता लगाया गया था। वहाँ कुछ चूहे अधिक मात्रा में खाना खाते जा रहे थे और बड़े पैमाने पर मोटापे से ग्रस्त थे।[३] कुछ इसी तरह कि घटना वर्ष 1960 में हुई, जिसका अध्ययन जैक्सन प्रयोगशाला में ही डगलस कोलेमन ने किया था।
प्रभाव
यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपना प्रभाव दिखाता है। दाएँ ओर दिये गए चित्र में देख सकते हैं कि किस तरह एक चूहा जो लेप्टिन बनाने में असमर्थ है वह और एक सामान्य चूहा जो लेप्टिन बना सकता है। उनमें आकार का अन्तर साफ दिखाई देता है। जबकि इसके अलावा कई प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देते हैं।[४]
परिधीय (गैर हाईपोथेलेमिक)
हड्डी
यह जालीदार हड्डी को रोक देता है और वल्कुटीय हड्डी को बढ़ाते रहता है।[५]
दिमाग
यह हड्डी आदि के साथ साथ दिमाग पर भी प्रभाव डालता है। इसके कमी का प्रभाव दिमाग पर साफ दिखता है। इससे दिमाग में प्रोटीन की कमी हो जाती है। नसों से जुड़े कार्यों में भी प्रभाव पड़ता है।[६][७]