रैस्ट्रेलिगर कानागुरता

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रैस्ट्रेलिगर कानागुरता
Rastrelliger kanagurta JNC2855.JPG
Scientific classification
Binomial name
रैस्ट्रेलिगर कानागुरता
(कुवियर, 1816)

रैस्ट्रेलिगर कानागुरता (Rastrelliger kanagurta), जिसे आमतौर पर इंडियन मैकरल[१] के नाम से जाना जाता है, मछलियों के एक रैस्ट्रेलिगर वंश की एक प्रजाति है जो स्कोम्ब्रिडे कुल के स्कोम्ब्रीफोर्मेस गण से संबंधित है। यह जंतु जगत के ऐक्टिनोप्टरिजियाए वर्ग की सदस्य है। इनका वर्णन पहली बार कुवियर ने वर्ष 1816 में किया था। ये प्रजातियां मुख्य रूप से भारत-पश्चिम प्रशान्त [२] में पायी जाती हैं। इन प्रजातियों की मछलियाँ मुख्य रूप से 20 - 90 मीटर[३] की गहराई पर स्थित होती हैं।

विवरण

रैस्ट्रेलिगर कानागुरता मछलियाँ शरीर के आकार और पंख विन्यास में बहुत भिन्न होती हैं। वे अधिकतम 36 सेंटीमीटर की लंबाई तक विकसित होती है। इन प्रजातियों का अब तक का सबसे अधिक वजन 0.00 ग्राम दर्ज किया गया है। इष्टतम परिस्थितियों में, रैस्ट्रेलिगर कानागुरता 4.0 वर्षों से भी अधिक समय तक जीवित रहती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की संकटग्रस्त जातियों की लाल सूची सभी जैविक प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण स्थिति की सबसे व्यापक तालिका है। इस सूची में इन प्रजातियों को आंकड़ों का अभाव[४] श्रेणी में डाला है यानी, जाति के बारे में आंकड़ों की कमी से उसकी संरक्षण स्थिति और संकट का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

मछलियाँ दुनिया भर में मनुष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं, खासकर भोजन के रूप में। इन प्रजातियों को मत्स्योद्योग में अत्यधिक व्यावसायिक माना जाता है। रैस्ट्रेलिगर कानागुरता को कभी-कभी अन्य समुद्री प्रजातियों के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह प्रजाति इंटरनेशनल गेम फिश एसोसिएशन (IGFA) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाली वर्ल्ड रिकॉर्ड गेम फ़िशेंस की सूची में भी शामिल है। ये इंसानों के लिए अहानिकर पाई गईं हैं।

प्राकृतिक वास

मछली की विभिन्न प्रजातियों अलग-अलग प्राकृतिक वासों में पाई जाती हैं। इन मछलियों के समुदाय आमतौर पर समुद्री जल में पाए जाते हैं। इन प्रजातियां को पेलैजिक-नेरिटिक मछलियाँ कहा जाता हैं अर्थात यह ये मछलियाँ महाद्वीपीय ताक के ऊपर उथला पेलैजिक क्षेत्र में रहती और भोजन करती हैं जहाँ पानी की गहराई 200 मीटर से कम होती है। पीएच रेंज, जो यह मापने का एक तरीका है कि पानी अम्लीय है या क्षारीय, मछलियों के स्वास्थ्य, विकास और प्रजनन के लिए बहुत आवश्यक है। 7.8 - 8.4 पीएच इन प्रजातियों की मछलियों के लिए इष्टतम माना जाता है। मछलियों के लिए पानी की कठोरता भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह साबित किया गया है कि इसका सीधा प्रभाव नए निषेचित अंडों पर पड़ता है। 8 - 12 dH श्रेणी रैस्ट्रेलिगर कानागुरता के लिए वांछनीय मानी जाती है।[५] ये प्रजातियां ज्यादातर उष्णकटिबंधीय जल में पाई जाती हैं।

प्रव्रजन

मछली प्रव्रजन कई मछली जातियों के जीवनक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कुछ मछलियाँ अपनी दिनचर्या में प्रत्येक दिन एक स्थान से कुछ मीटर दूर किसी दूसरे स्थान और फिर वापस प्रव्रजन करती हैं और कुछ ऋतुक्रम के अनुसार हज़ारों मील की दूरी तय करती हैं। अधिकतर मछलियाँ आहार-प्राप्ति या प्रजनन के लिए विधिवत स्थानांतरण करती हैं लेकिन कुछ जातियों में प्रव्रजन के लिए कोई स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं है। कई प्रकार की मछलियाँ नियमित आधार पर, दैनिक से वार्षिक या उससे अधिक समय के पैमाने पर, और कुछ मीटर से लेकर हजारों किलोमीटर की दूरी तक प्रवास करती हैं। रैस्ट्रेलिगर कानागुरता समुद्रगामी मछलियों की श्रेणी में आती है[६] यानी ये मछलियाँ महासागरों के अंदर रहती हैं और आमतौर पर अंडे देने और अलग-अलग भोजन क्षेत्रों के बीच प्रवास करती हैं। ये प्रवास चक्रीय होते हैं और इनकी दूरी 100 किलोमीटर से भी अधिक होती हैं।

प्रजनन

मछली के प्रजनन अंगों में अंडकोष और अंडाशय शामिल हैं। अधिकांश प्रजातियों में, जननग्रंथियाँ समान आकार के युग्मित अंग होते हैं, जो आंशिक रूप से या पूरी तरह से जुड़े हो सकते हैं। कई माध्यमिक अंग भी हो सकते हैं जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हैं। रैस्ट्रेलिगर कानागुरता प्रजाति एकलिंगाश्रयी प्रदर्शित करती है जिसका अर्थ है इस प्रजाति की मादा मछलियों में अंडाशय विकसित होते हैं और नर मछलियों में वृषण विकसित होते हैं और वे उसी के अनुसार कार्य करते हैं। इन मछलियों में बाह्य निषेचन होता है यानी, मादा और नर दोनों अपने युग्मकों को पानी में छोड़ते हैं, जहां वे निषेचित होते हैं।

सन्दर्भ

  1. FishBase, Common names of Rastrelliger kanagurta'.
  2. Froese, Rainer; Pauly, Daniel (eds.) (2022). "Rastrelliger kanagurta" in FishBase.
  3. FishBase, Reference No. 12260
  4. Collette, B.; Di Natale, A.; Fox, W.; Juan Jorda, M. & Nelson, R. (2011). "Rastrelliger kanagurta". The IUCN Red List of Threatened Species. 2011: e.T170328A6750032. https://dx.doi.org/10.2305/IUCN.UK.2011-2.RLTS.T170328A6750032.en.
  5. FishBase, Reference No. 54861
  6. FishBase, Reference No. 51243

ग्रन्थसूची

  • Collette, B.B. and C.E. Nauen, 1983. FAO Species Catalogue. Vol. 2. Scombrids of the world. An annotated and illustrated catalogue of tunas, mackerels, bonitos and related species known to date. Rome: FAO. FAO Fish. Synop. 125(2):137 p. (Ref. 168)

बाहरी कड़ियाँ

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