राष्ट्रीय शर्करा संस्थान

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राष्ट्रीय शर्करा संस्था

स्थापित१९३६
प्रकार:शैक्षणिक एवं शोध संस्थान
निदेशक:नरेंद्र मोहन अग्रवाल
अवस्थिति:कानपुर, भारत
परिसर:शहरी
उपनाम:एनएसआई
सम्बन्धन:उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय
जालपृष्ठ:nsi.gov.in


राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (साँचा:lang-en) भारत सरकार का शर्करा से संबन्धित अनुसंधान का संस्थान है। यह उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित है।

इतिहास

भारत सरकार द्वारा 1920 में नियुक्त, भारतीय शर्करा समिति ने सर्वप्रथम यह सिफारिश की थी कि शर्करा प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के लिये एक अखिल भारतीय संस्थान की स्थापना की जाए। 1928 में कृषि में रॉयल आयोग और 1930 में टैरिफ बोर्ड ने भी एक केंद्रीय शर्करा अनुसंधान संस्थान की आश्यकता पर बल दिया था। तदनुसार भारत सरकार ने हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान (एच.बी.टी.आई) कानपुर के शर्करा अनुभाग का अधिग्रहण करके अक्तूबर 1936 में कानपुर में शर्करा प्रौद्योगिकी के इंपीरियल संस्थान की स्थापना की। यों तो शर्करा प्रौद्योगिकी के इम्पीरियल संस्थान का प्रशासनिक नियंन्त्रण इंपीरियल कृषि अनुसंधान की इंपीरियल परिषद के अधीन रखा गया था। किन्तु वह एच बी टी आई के भवन में ही कार्य करता रहा। 1944 में भारतीय केन्द्रीय गन्ना समिति को सौप दिय गया।

भारत क स्वाधीन होने पर संस्थान का नाम बदल कर भारतीय शर्करा प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.एस.टी.) रख दिया गया। उद्योग (विकास और विनियम ) अधिनियम 1951 क उपबंधो क अधीन शर्करा उद्योग की विकास परिषद् के बनने पर भारतीय केंद्रीय गन्ना समिति के कार्यो को कम कर दिया गया और पहली जनवरी, 1954 को संस्थान का प्रशासनिक नियंत्रण भारत सरकार क तत्कालीन खाद्य और कृषि मंत्रालय को सौप दिया गया। अप्रैल , 1957 में इस संस्थान का नाम पुनः बदल कर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एन . एस . आई ) कर दिया गया। 1963 में यह संस्थान एच. बी. टी. आई. से हटा कर कल्याणपुर स्थित अपने वर्तमान परिसर में आ गया।

मुख्य कार्य

  • शर्करा रसायन शास्त्र, शर्करा प्रौद्योगिकी, शर्करा अभियांत्रिकी तथा समवर्गी क्षेत्रों की सभी शाखाओं में तकनीकी शिक्षा और अनुसन्धान में प्रशिक्षण प्रदान करना तथा अनुसन्धान का प्रबंध करना।
  • निम्नलिखित पर अनुसन्धान करना-
  • शर्करा प्रौद्योगिकी, शर्करा और गन्ना रसायन शास्त्र तथा शर्करा अभियांत्रिकी से संबंधित समस्याओं पर सामान्य रूप से तथा शर्करा कारखानों की समस्याओं पर विशेष रूप से, और
  • शर्करा उद्योगों के उप-उत्पादों के उपयोग पर, और
  • शर्करा कारखानों को इस दृष्टि से तकनीकी सलाह और सहायता देना की वे अपनी कार्यकुशलता बढ़ा सकें था उनकी दैनन्दिन समस्याओं में सहायता और मार्गदर्शन करना। शर्करा और समवर्गी उद्योगों से सम्बंधित मामलो में केंद्र तथा राज्य सरकारों को भी सहयता प्रदान करना।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ