राव रूड़ा सिंह

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एक जंगली इलाके की जागीर को तिजारा के कुलीन अहीर शासक राव रुडा सिंह ने रेवाड़ी राज्य के रूप मे स्थापित किया था। यह जागीर उन्हें मुगल शासक हुमायूँ को मेधावी सैन्य सेवाओं के बदले में वर्ष 1555 में प्राप्त हुयी थी।[१] [२][३][४][५] राव रुडा सिंह ने रेवाड़ी से 12 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व म स्थित एक छोटे से गाँव बोलनी को अपना मुख्यालय बनाया।[६] उन्होने जंगलों की सफाई करवा के कई नए गाँव स्थापित किए थे।[७][८]

इतिहास

मुगल बादशाह हुमायूँ दिल्ली के राज सिंहासन पर शेर शाह सूरी ने कब्जा कर लिया था। हुमायूँ जब अपने दिल्ली के राज्य को सूरी से वापस पाने के इरादे से काबुल से लौट कर दिल्ली आक्रमण हेतु आया, तो अहीरवाल के राव रुडा सिंह ने जरूरत के समय अपनी पूरी सैन्य शक्ति से दिल्ली जीतने में हुमायूँ की मदद की। राव की सैन्य सेवाओं के बदले प्रसन्नतापूर्वक राव रुडा सिंह को एक बड़ी जागीर भेंट में दी जो कालांतर में रेवाड़ी के नाम से प्रसिद्ध हुयी।[९][१०] मुगलों व अहीरों का परस्परिक सहयोग व राजनैतिक संबंध वर्ष 1555 से शुरू होकर पीढ़ियों तक चला तथा हुमायूँ से लेकर बहादुर शाह जफर तक व राव रुडा सिंह से राव तुलाराम सिंह के शासन (वर्ष 1857) तक 300 वर्ष कायम रहा।[९]

सन्दर्भ

  1. कृष्णनन्द खेड्कर, द डिवाइन हेरिटेज ऑफ द यादवाज़, pp. 192-93>
  2. कृष्णनन्द, अहीर इतिहास, p.270
  3. के॰ सी॰ यादव, 'हिस्ट्री ऑफ द रेवाड़ी स्टेट 1555-1857; Journal of the Rajasthan Historical Research Society, Vol. 1(1965), p. 21
  4. साँचा:cite book
  5. Man Singh, Abhirkuladipika Urdu (1900) Delhi, p.105,106
  6. Krishnanand Khedkar, the Divine Heritage of the Yadavas, pp. 192-93; Krishnanand, Ahir Itihas, p.270.
  7. साँचा:cite web
  8. Man Singh, Abhirkuladipika Urdu (1900) Delhi, p.105
  9. साँचा:cite book
  10. साँचा:cite book