रामेसेस द्वितीय

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
रामेसेस द्वितीय
रामेसेस महान
रामेसेस द्वितीय की मूर्ति
रामेसेस द्वितीय की मूर्ति
मिस्र के फैरो
राज १३०३-१२१३ ईसापूर्व,  उन्नीसवां वंश
पूर्ववर्ती सेती प्रथम
उत्तराधिकारी मेरनेपिताह

साँचा:hidden

पिता सेती प्रथम
माता Queen Tuya
जन्म १३०३ ईसापूर्व
मृत्यु १२१३ ईसापूर्व
दफन KV7
स्मारक अब्य्डोस

रामेसेस द्वितीय या रामेसेस महान (१३०३-१२१३ ईसापूर्व) प्राचीन मिस्र के नविन राज्य के उन्नीसवे वंश का तीसरा फैरो था। रामेसेस अपनी युद्ध निति और कई सफल सैन्य अभियानों के लिए प्रसिद्ध है।[१] रामेसेस मिस्र को अपने चरम तक ले गया था और कानन और नुबिया पर विजय प्राप्त कर उसे अपने अधीन किया था।

रामेसेस १४ वर्ष की उम्र में मिस्र का उत्तराधिकारी और युवराज बना, अपने बचपन में ही वह मिस्र के सिंहासन पर बैठा और ६६ वर्ष तक ९० की उम्र तक शासन करता रहा जो की अब तक का सबसे लंबा शासन काल है। अपने शासन काल की शुरुआत में उसने पहले स्मारक और मंदिर बनाने और नगर बसाने पर ध्यान दिया। उसने पी रामेसेस नाम का नगर बसाया और फिर उसे अपनी नई राजधानी बनाई ताकि सीरिया पर हमला किया जा सके।

रामेसेस प्राचीन मिस्र का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली फैरो था, साथ ही मिस्र का आखिरी महान फैरो भी| उसकी मृत्यु के बाद मिस्र कमजोर पड़ गया और फिर विदेशी साम्राज्यों का प्रांत बन गया। रामेसेस द्वितीय के प्रताप के कारण लोग पिछले सभी महान फैरो जैसे सेती प्रथम और ठुतोमोस तृतीय की वीरता को भूल गए। रामेसेस द्वितीय के बाद के फैरो उसे महान पुरखा कहते, वह तुथंखमुन के बाद मिस्र का सबसे प्रसिद्ध फैरो माना जाता है।

अभियान और युद्ध

अपने शासन काल की शुरुआत में रामेसेस ने कई अभियान और युद्ध किये ताकि मिस्र के खोये हुए प्रांत दुबारा मिस्र के अधीन हो। रामेसेस ने कुछ विद्रोह रोके नूबिया के और लीबिया को अपने अधीन किया। प्रसिद्ध कादेश के युद्ध से हमें उसके युधानिती के बारे में पता चलता है।

समुद्री लूटेरों के विरुद्ध युद्ध

रामेसेस के शासन काल के दुसरे वर्ष ही समुद्री लूटेरे जिन्हें मिस्र वासी समुद्र के लोग या शेर्दन कहते थे उन्होंने मिस्र में लूटपाट शुरू कर दी। यह लूटेरे कौन थे इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है पर विद्वानों के अनुसार ये लूटेरे भूमध्य सागर के थे। रामेसेस ने इन लूटेरो के विरुद्ध अभियान शुरू किया जो बाद में सफल साबित हुआ। यह लूटेरे फिर मिस्र की सेना में आ गई और कई सैन्य अभियानों में इन्होने रामेसेस का साथ दिया।

सीरिया का प्रथम अभियान

अपने शासन काल के चौथे वर्ष रामेसेस ने सीरिया पर आक्रमण किया, वहाँ उसने कनान देश पर आक्रमण किया और विजय पाई। वह कनान के राजकुमार को बंदी बनाकर अपने साथ मिस्र ले गया। फिर रामेसेस ने अमुर्रू नाम के हित्तिते साम्राज्य के प्रांत को अपने अधीन कर लिया।[२]

सीरिया का दूसरा अभियान

साँचा:main अपने पहले अभियान के सफल होने के बाद रामेसेस ने अपने शासन काल के पाँचवे वर्ष पर कादेश नगर पर हमला किया जो हित्तिते साम्राज्य का अधीन था पर पहले सेती प्रथम के अधीन था। हित्तिते साम्राज्य भी तैयार था और उसने भी एक बड़ी सेना के साथ हमला किया। यह युद्ध कादेश के युद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हित्तिते साम्राज्य का राजा मुवाताल्ली द्वितीय ने अपने पड़ोस के १९ राज्य के साथ रामेसेस के विरुद्ध एक संघ बना लिया था, वही रामेसेस ने भी अपने कई मित्र राज्यों की सेना के साथ कदेश [आर हमला बोल दिया। रामेसेस ने अपनी सेना ४ टुकडियो में बाट राखी थी जिनका नाम था रा,पिताह,अमुन और सेत | रामेसेस स्वयं अमुन टुकड़ी में था और उसने चारो टुकडियो को कादेश के चारो तरफ फ़ैल जाने को कहा ताकि कादेश को घेर कर हमला कर सके पर हित्तिते सेना ने सीधे रा टुकड़ी पर हमला कर दिया और उसे नष्ट कर दिया और फिर अमुन टुकड़ी पर| क्युकी रामेसेस ने अपनी सेना को टुकडियो में बात रखा था इसीलिए अकेली रा टुकड़ी हित्तिते सेना के सामने टिक नहीं पाई और अमुन टुकड़ी का भी यही हाल हुआ पर रामेसेस बाख गया और उसने वीरता से लड़ाई की और बचे हुए सैनिको के सहारे हित्तिते सेना को भगा दिया। मुवाताल्ली ने दुबारा एक बड़ी सेना भेजी पर रामेसेस की एक खास टुकड़ी नारिन ने अचानक से हित्तिते सेना पर हमला कर उन्हें वापस खदेड़ दिया

अगले दिन दुबारा युद्ध हुआ, दोनों ही पक्षों ने कई हथियार और रथो का उपयोग किया इस युद्ध में पर दोनों को ही काफी हानि हुई और कोई भी पक्ष नहीं जीता।[३]

सीरिया का तीसरा अभियान

मिस्र के उत्तर में केवल कनान ही रामेसेस के अधीन था और सिरिया हित्तिते साम्राज्य के अधीन था। हित्तिते साम्राज्य के साथ मिलकर कनान के राजकुमार ने विद्रोह शुरू कर दिया मिस्र के विरुद्ध जिस कारण रामेसेस को दुबारा सीरिया जाना पड़ा| रामेसेस के शासन काल के ७वे वर्ष वह सीरिया गया और इस बार उसने हित्तिते सेना को परास्त कर दिया। इस अभियान के दौरान रामेसेस ने अपनी सेना को २ टुकड़ी में बाट दिया, एक का नेतृत्व वह खुद कर रहा था और उसरी टुकड़ी नेतृत्व उसने अपने पुत्र अमुन-हेर-खेपेशेफ़ को दिया और उसने शासु काबिले को हराते हुए मृत सागर और सिर पर्वत अपने अधीन किया। फिर अमुन-हेर-खेपेशेफ़ ने मोआब राज्य जीता। रामेसेस ने यरुशलम को जीतते हुए आगे बड़ा और मोआब के राज्य में पहोचा जहा उसने अपनी सेना को सम्मिलित करते हुए दमिश्क और फिर उपी नगर पर विजय प्राप्त कर सीरिया पर अपना शासन शुरू किया। [४]

सन्दर्भ

  1. Putnam (1990)
  2. Grimal (1994) pp. 253ff
  3. Kuhrt (1995) p.258
  4. Grimal (1992) p.256