रानी मेना

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देवी मेना हिमालय की रानी थी। वो हिमालय की राजा हिमवान् की धर्मपत्नी है। तथा इनकी दो पुत्री पार्वती,गंगा और पुत्र मैनक है। देवी मेना पित्रो के देवता पितरेश्वर और देवी स्वधा की पुत्री है।

रानी मेना के जन्म और विवाह की कथा

शिव पुराण के रुद्रसंहिता के तृतीय (पार्वती) खंड के कथा के अनुसार राजा दक्ष की कई पुत्रियाँ थी जिसमे से एक देवी स्वधा थी उनको दक्ष ने पित्रो के देवता पितरेश्वर से विवाह करा दिये। स्वधा की तीन पुत्रियाँ थी -मेना, धन्या, कलावती। ये सारी कन्या पितरेश्वर की मानसी पुत्रियां है, जो उनके मन से प्रकट हुई थी। इन सब का जन्म किसी की गर्भ से नही हुआ था, तथा ये अयोनिजा थी। ये केवल लोकव्यवहार् से स्वधा की पुत्री थी। ये सदा संपूर्ण जगत की वंदिनीय लोकमाता है, और उतम अभ्युदय से सुसाजित रहती है। सब की सब परम योगिनी, ज्ञाननिधि है। तीनो परंपवित्र कुआरी कन्या थी। हमेशा योग मे लगी रहती थी।

एक समय वे तीनो बहने भगवान विष्णु की निवासस्थान श्वेतद्वीप उनके दर्शन करने गई और वे वही पूजा करने रुक गई, उसी समय संतो का एक समूह वहा आ पहुँचा उसमे सन्कादि मुनि भी थे। सनकादि मुनि को देखकर श्वेतद्वीप के सब लोग उठ खड़े हो गए। लेकिन तीनो बहन मेना, धन्या, कलावती उनको देखकर नही खडा हुए, इसपे सनकादि मुनि क्रोधित हो गए और उन्हे श्राप दिए तुमलोग स्वर्ग से दूर होकर नर-स्त्री बनोगी। तब तीनो बहन उनसे माफी मांगने लगी तो मुनि खुश होके उन तीनो को वरदान दिए। ज्येष्ठ बहन मेना को वरदान दिए की तुम हिमवान से विवाह करोगी और माता पार्वती की माँ बनोगी, मझोली बहन धन्या को वरदान दिए तुम जनक की पत्नी बनोगी और तुम देवी सीता की माँ बनोगी। और तीसरी बहन कलावती को वरदान दिए की तुम वृषभानु की पत्नी होगी और तुम राधा की माँ बनोगी।

कुछ समय पश्चात देवता पित्रो के स्वामी पितरेश्वर को उनकी पुत्री मेना का विवाह का प्रश्ताव लेकर गए हिमवान् के साथ करने के लिए कुछ समय बाद नर पुरुष हिमवान् का विवाह मेना के साथ हुआ तथा सनकादि मुनि के श्राप के अनुशार मेना भी नर स्त्री बन गई। [१]

  1. |http://www.vedpuran.com/book.asp?bookid=1&secid=1&pageno=001&Ved=Y&PuranName=Shiv%7C page number=223|शिव पुराण,रुद्रसंहिता, तृतीय (पार्वती) खंड|