राजा मोहन

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राजा मोहन

चिलमकुरी राजा मोहन भारतीय अकादमिक और विदेश नीति विश्लेषक हैं। वर्तमान में वे नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के थिंक टैंक ‘‘दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान’’ के निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। [१]

इससे पूर्व वे वर्ष 2012 से संस्थान के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान की स्थापना नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के एक स्वायत्त शोध संस्थान के रूप में की गई थी। इससे पूर्व वे कार्नेगी इंडिया के संस्थापक निदेशक थे। वे रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के ऑब्जर्वर तथा सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, नई दिल्ली में सीनियर फेलो रह चुके हैं, साथ ही वे पूर्व में एस राजतरत्न स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में प्रोफेसर, नान्यांग टेक्नोलॉजिकल विश्वविद्यालय, सिंगापुर और दक्षिण, मध्य, दक्षिणपूर्व एशियाई और दक्षिणपश्चिम प्रशांत अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, भारत के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन स्कूल में भी अध्यापन का कार्य कर चुके हैं। उन्होंने इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस, नई दिल्ली से अपने अकादमिक करियर की शुरुआत की। वे 2009 -10 के दौरान कांग्रेस लाइब्रेरी, वाशिंगटन, डी.सी. के जॉन डब्ल्यू क्लाज सेंटर में हेनरी अल्फ्रेड किसिंजर के साथ स्कॉलर रह चुके हैं। [२]

डॉ मोहन की पत्रकारिता में भी सार्थक उपस्थित रही है। वे इंडियन एक्सप्रेस, नई दिल्ली के सामरिक मामलों के संपादक रह चुके हैं, और उससे पहले उन्होने दि हिंदू अख़बार में राजनयिक संपादक और वाशिंगटन संवाददाता के रूप में कार्य किया। वे इंडियन एक्सप्रेस के स्तंभकार रह चुके हैं।[३]

संदर्भ

  1. साँचा:cite news
  2. साँचा:cite web
  3. उनके निबंध यहाँ मिल सकते हैं: http://www.indianexpress.com/columnist/crajamohan/ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।