राजभराना

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राजभराना

राजभरों राजाओं की जमीन व किला को राजभराना के नाम से जाना जाता है जिसे राजघराना/रजवाड़ा भी कहा जाता है

जैनो ने लिखा ऋषभदेव के पुत्र भरत तो ब्राम्हनो ने लिखा दुस्यंत शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत है। लेकीन हरिवंश पुराण अध्याय 33 पृष्ठ 53 और बलिया गजेटीयर के पृष्ठ 77 और 138 मे कहा गया है। भरत, भर जाती के नाम पर इस देश का नाम भारत है।

कई प्राचिन इतिहास कारो का भी मानना है कि भरत जाती के लोग आर्य और अनार्य दोनो को जित कर अपने भरतगन कबिले के नाम पर अपने साम्राज्य का नाम भारत वर्ष रखा ,यही भरत जाती आगे चलकर भर जाती के नाम से प्रसिध्द हुई।

ऋग्वेद के अनुसार सप्तक मंडल सुत्क 83 स्लोक 6-10 लिखा है सरस्वती नदी के किनारे भरतगन का राजा सुदास राज करता था। जिसका राजपुरोहित विस्वामित्र था। पर अन्बल हो जाने के कारण सुदास विस्वामित्र को हटा कर वशिष्ट को अपना राजपुरोहीत घोसीत किया इस पर नाराज होकर विष्वामित्र 10 राजाओ के साथ सुदास पर आक्रमण कर दिया। पर इसमे राजा सुदास को विजय श्री मिली ।

भरत जाती के लोगो ने आर्य और अनार्य दोनो को युध्द मे जित कर भरतगन कबिले के नाम पर अपने साम्राज्य का नाम भारतवर्ष रखा। बहुत से इतिहास कारो ने माना है कि भरत जाती ही कलान्तर मे भर जाती कहलाई!