रशिफल्

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पूरे आसमान के 360 डिग्री को जब 12 भागों में विभक्त किया जाता है, तो उससे 30-30 डिग्री की एक राशी निकलती है। इन्हीं राशियों को मेष, वृष—————-मीन कहा जाता है। किसी भी जन्मकुंडली में तीन राशियों को महत्वपूर्ण माना जाता है। राशी, जिसमें जातक का सूर्य स्थित हो, वह सूर्य-राशी के रूप में, जिसमें जातक का चंद्र स्थित हो, वह चंद्र-राशी के रूप में तथा जिस राशी का उदय जातक के जन्म के समय पूर्वी क्षितीज में हो रहा हो, वह लग्न-राशी के रूप में महत्वपूर्ण मानी जाती है। आजकल बाजार में लगभग सभी पति्रकाओं में राशी-फल की चर्चा रहती है, कुछ पत्रिकाओं में सूर्य-राशी के रूप में तथा कुछ में चंद्र-राशी के रूप में भविष्यफल का उल्लेख रहता है, किन्तु ये पूर्णतया अवैज्ञानिक होती हैं और व्यर्थ ही उसके जाल में लाखों लोग फंसे होते हैं। इसकी जगह लग्न-राशी फल निकालने से पाठकों को अत्यधिक लाभ पहुंच सकता है, क्योंकि जन्मसमय में लगभग दो घंटे का भी अंतर हो तो दो व्यक्ति के लग्न में परिवर्तन हो जाता है, जबकि चंद्रराशी के अंतर्गत ढाई दिन के अंदर तथा सूर्य राशी के अंतर्गत एक महीनें के अंदर जन्मलेनेवाले सभी व्यक्ति एक ही राशी में आ जाते हैं। लेकिन चूंकि पाठकों को अपने लग्न की जानकारी नहीं होती है, इसलिए ज्योतिषी लग्नफल की जगह राशी-फल निकालकर जनसाधारण के लिए सर्वसुलभ तो कर देते हें, पर इससे ज्योतिष की वैज्ञानिकता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। किसी प्रकार की सामयिक भविष्यवाणी किसी व्यक्ति के लग्न के आधार पर सटीक रूप में की जा सकती है, किन्तु इसकी तीव्रता में विभिन्न व्यक्ति के लिए अंतर हो सकता है। किसी विशेष महीनें का लिखा गया लग्न-फल उस लग्न के करोड़ों लोगों के लिए वैसा ही फल देगा, भले ही उसमें स्तर, वातावरण, परिस्थिति और उसके जन्मकालीन ग्रहों के सापेक्ष कुछ अंतर हो। जैसे किसी विशेष समय में किसी लग्न के लिए लाभ एक मजदूर को 25-50 रुपए का और एक व्यवसायी को लाखों का लाभ दे सकता है। इस प्रकार की भविष्यवाणी `गत्यात्मक गोचर प्रणाली´ के आधार पर की जा सकती है। इस महीनें से हर महीने विभिन्न लग्नवालों के लिए लग्न-राशी फल की चर्चा की जाएगी, जिन्हें अपने लग्न की जानकारी न हो, वे अपनी जन्म-तिथि, जन्म-समय और जन्मस्थान के साथ मुझसे संपर्क कर सकते हैं। उन्हें उनके लग्न की जानकारी दे दी जाएगी।

सावधान

रामायण के राम ने सीता का पाणी ग्रहण ज्योतिष के आधार पर किया था। हो सकता है इसलिये सीता का जन्म ओर मृत्यु कैसा हुआ किसीको मालुम नहीं है। रामायण ओर महाभारत के कई पात्र ऋषि मुनियो़का जन्म भी ऐसा ही हुआ है। --महाऋषि