रक्तापोहन

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हीमोडायलिसिस प्रक्रिया प्रगति पर
हीमोडायलिसिस मशीन

हीमोडायलिसिस कृत्रिम रक्त शोधन हेतु गुर्दे का विकल्प है। यह डायलिसिस का एक प्रकार है। इसमें मरीज का खून शरीर के बाहर निकाल कर नकली फिल्टरों युक्त एक डायलिसिस सरकिट से गुजारा जाता है। ये फिल्टर अवशिष्ट पदार्थों को निकाल कर रक्त को वापस शरीर में पहुंचा देता है।

हीमोडायलिसिस [एचडी] करवाने के लिए रोगी को हफ्ते में तीन बार डायलिसिस केंद्र तक जाना पड़ता है। इसके लिए जो सैटअप चाहिए उसकी वजह से खर्चा भी बढ़ जाता है। सीएपीडी पेरिटोनियल डायलिसिस की सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली पद्धति है। इसे मरीज खुद घर पर कर सकता ह,ै इस तरह उसे डायलिसिस सेंटर तक जाने-आने से छुट्टी मिल जाती है। यानी की दूर दराज क्षेत्रों में बसने वाले मरीज इसका लाभ उठा सकते हैं। चूंकि इसे स्थापित करने के लिए कोई निवेश नहीं करना पड़ता इसलिए यह किफायती भी है। एक और खास बात कि हीमोडायलिसिस के विपरीत पेरिटोनियल डायलिसिस में डिस्पोजेबल्स को दोबारा प्रयोग नहीं किया जाता।

लाभ:

  • सप्ताह में सिर्फ 2-3 बार चार-चार घंटे डायलिसिस करवाना।
  • घर पर कोई उपकरण या मशीन की जरूरत नहीं।
  • डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ चिकित्सा करते हैं।
  • डायलिसिस से सांस फूलने की समस्या कम हो जाती है|

हानि

हीमोडायलिसिस परिपथ का आरेख
  • केंद्र पर जाने की आवश्यकता होती है, जहां डायलिसिस उपलब्ध नहीं है। वहां आप लंबे समय तक नहीं रह सकते।
  • आहार, एवं द्रव पर प्रतिबंध।
  • प्रत्येक चिकित्सा में दो बार सुइयों का पंक्चर करना।
  • कुछ मरीज जिनको दिल की तकलीफ होती है, डायबिटीज वाले मरीज या बच्चे कई बार हीमोडायलिसिस बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।

सीएपीडी 'कंटीन्यूअस एंबुलेटरी पेरीटोनियल डायलिसिस' यह डायलिसिस घर पर ही की जाती है, चाहे वह गांव हो या शहर। इसमें पेट की झिल्ली फिल्टर का काम करती है। इस चिकित्सा में एक नलिका जिसे कैयेटर कहते हैं, पेट की दीवार में लगा दिया जाता है। एक खास प्रकार का रक्त शुध्द करने वाला घोल कैथेटर द्वारा पेरिटोनियम में प्रवाहित किया जाता है। यह घोल गंदे व विषैले पदार्थों को सोख लेता है। यह प्रक्रिया दिन में 3-4 बार करनी पड़ती है। पुराना घोल निकाल कर नया घोल पेट में डाल दिया जाता है। इसमें लगभग 15-15 हजार रुपए प्रति माह खर्च होता है।

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