रंगीला रसूल

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लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other रंगीला रसूल १९२० के दशक में प्रकाशित पुस्तक है जो लाहौर के महाशय राजपाल ने प्रकाशित की थी।[१] इसके लेखक 'चामुपति एम ए' या किशन प्रसाद प्रताब नामक आर्यसमाजी थे किन्तु लेखक का नाम प्रकाशन ने कभी नहीं बताया। यह पुस्तक बहुत विवादास्पद सिद्ध हुई। इसमें पैगम्बर मुहम्मद के विवाह एवं गृहस्थ जीवन का सही अर्थो मे वर्णन किया गया है।[२] यह पुस्तक मूलतः उर्दू में छपी थी किन्तु बाद में इसका हिन्दी संस्करण भी प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक आज तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रतिबन्धित है।

इसके जवाब में मुसलमानों के लगभग सभी गुटों की तरफ से मौलाना सनाउल्‍लाह अमृतसरी ने उर्दू में मुकददस रसूल बजवाब रंगीला रसूल लिखी जो हिंदी में भी प्रकाशित हुई।

1929 में प्रकाशक महाशय राजपाल के क़त्ल के जुर्म में इल्म-उद-दीन को मृत्यु की सज़ा मिली थी।[३] [४] इल्म-उद-दीन का प्रतिनिधित्व मुहम्मद अली जिन्ना ने एक बचाव वकील के रूप में किया था। इस वीभत्स कृत्य को वैधता प्रदान की गई जब मुहम्मद इक़बाल ने हत्यारे के अंतिम संस्कार भाषण दिया।[५]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ