परमहंस योगानन्द
परमहंस योगानन्द | |
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परमहंस योगानन्द | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
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दर्शन | क्रिया योग |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | क्रिया योग |
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परमहंस योगानन्द (5 जनवरी 1893 – 7 मार्च 1952), बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और संत थे।[१] उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग उपदेश दिया तथा पूरे विश्व में उसका प्रचार तथा प्रसार किया। योगानंद के अनुसार क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है, जिसके पालन से अपने जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। योगानन्द प्रथम भारतीय गुरु थे जिन्होने अपने जीवन के कार्य को पश्चिम में किया। योगानन्द ने १९२० में अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। संपूर्ण अमेरिका में उन्होंने अनेक यात्रायें की। उन्होंने अपना जीवन व्याख्यान देने, लेखन तथा निरन्तर विश्व व्यापी कार्य को दिशा देने में लगाया। उनकी उत्कृष्ट आध्यात्मिक कृति योगी कथामृत (An Autobiography of a Yogi) की लाखों प्रतिया बिकीं और सर्वदा बिकने वाली आध्यात्मिक आत्मकथा रही हँ।[२]
जन्म
परमहंस योगानन्द का जन्म मुकुन्दलाल घोष के रूप में ५ जनवरी १८९३, को गोरखपुर, उत्तरप्रदेश में अहीर जाति में हुआ था।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
योगानन्द के पिता भगवती चरण घोष बंगाल नागपुर रेलवे में उपाध्यक्ष के समकक्ष पद पर कार्यरत थे। योगानन्द अपने माता पिता की चौथी सन्तान थे। उनकी माता पिता महान क्रियायोगी लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे।
गुरु
श्रीयुक्तेश्वर गिरि
उपदेश
क्रिया योग
बाहरी कड़ियाँ
- योगी कथामृत (हिन्दी में) डाउनलोड करें]
- प्रोजेक्ट गुटेनबर्ग पर Paramahansa Yogananda की रचनाएँ
- The lineage of Gurus with Yogananda
- Self-Realization Fellowship