याकूब मेमन
साँचा:Infobox pers याकूब अब्दुल रज़ाक मेमन (30 जुलाई 1962 - 30 जुलाई 2015) पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट और भारत का एक नागरिक था जो आतंकवाद के दोष में जुलाई २०१५ तक भारत में फाँसी पाने वाल अंतिम व्यक्ति था। वह १२ मार्च, १९९३ को मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मुख्य दोषीओं में से एक था। १९९३ मुंबई बम विस्फोट की आतंकी घटना में एक दर्जन से अधिक जगहों पर धमाके हुए थे। इनमें २५७ लोग मारे गए थे[१] और ७०० से अधिक घायल हुए थे। पंद्रह वर्षो तक चले मुकदमे में विशेष टाडा न्यायाधीश पीडी कोदे ने जुलाई २००७ में १२ लोगों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसमें से एक मेमन था। उस पर धमाकों की साजिश में शामिल होने के अलावा वारदात के लिए वाहनों का इंतजाम व विस्फोटक लदे वाहनों को निर्दिष्ट जगहों पर खड़ा करवाने का आरोप था। फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से वो नागपुर सेंट्रल जेल में बंद था।[२]मेमन की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी फांसी बरकरार रखी थी। साल २०१४ में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के द्वारा भी उसकी दया याचिका खारिज की गई। हालाँकि उसके वकीलों ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। वकीलों की दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल था न कि धमाकों को अंजाम देने में। कोर्ट के मुताबिक, याकूब मेमन, टाइगर मेमन और दाउद इब्राहिम मुंबई धमाकों के मुख्य षडयंत्रकारी थे। वो अपने परिवार में सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति था। मेमन तब से भारतीय जेल में बंद था जब नेपाल पुलिस ने उसे काठमांडू से गिरफ्तार करके भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपा था। उस पर आरोप था कि वह एक अकाउंट से जुड़ी फर्म चला रहा था,जिसके जरिये वह अपने भाई टाइगर मेमन के गैर-कानूनी वित्तीय लेनदेन संभालता था। ३० जुलाई २०१५ को सुबह 6:30 प्रातः उसे फाँसी दी गई [३] [४] जो तमाम न्यायिक प्रक्रियाओं के पूरा होने पर उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार दे दी गई।[५]
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ याकूब मेमन की मौत की सजा बरकरार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।(नवभारत टाइम्स)
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