मौर्य जाति

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

साँचा:short description

मौर्य या मुराव जाति एक भारतीय समुदाय है। जो उत्तर भारत में अधिकता में पाए जाते हैं।[१]

मौर्य (मुराव) जाति
मौर्य (मुराव) जाति
वर्ण क्षत्रिय
गौत्र कश्यप/गौतम
धर्म सनातन धर्म1 Om.svg

(शैव जैन बौद्ध)

वासित राज्य भारतीय उपमहाद्वीपFlag of India.svg
उप विभाजन मौर्य

(मुराव मोरी)[२]

स्थिति कृषक[३]

उत्पत्ति

इतिहासकार पं० जेपी चौधरी , इतिहासकार गंगाप्रसाद गुप्ता और विलियम पिंच के अनुसार (मुराव/मोरी) क्षत्रिय जाति हैं, जो श्री राम के वंशज शाक्यों की उपशाखा हैं।[४]

कुशवंश की शाखाएं

मौर्य (मुराव/मुराई/मोरी) में परिवर्तित कैसे हुई —

अतएव उपरोक्त आधारानुसार मौर्य शब्द बदल कर मौर्यवा हुआ और फिर वही मौर्यवा शब्द भाषा में बदलकर मोरयवामोरावा हो गया और मोरावा से आजकल का प्रचलित नाम मुराव रह गया । सरकारी अफसरों ने इस जाति का विवेचन करते हुये इनके भिन्न भिन्न नाम लिखे हैं। जैसे मुराव/मुराऊ/मुराई/मोरी आदि।[५]

— पण्डित छोटेलाल शर्मा (इतिहासकार)

शासक

  • राजा रायमोहन मुराव (महोना)[६]

वर्तमान परिस्थितियाँ

भारत के संवैधानिक कैटेगरी व्यवस्था के तहत , 1991 में मौर्य जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।[७] भारत के कुछ राज्यों में मौर्य जाति को पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।[८] वर्ष 2013 में हरियाणा सरकार ने मौर्य(मुराव) जातियो को "पिछड़ी जातियों" में सम्मिलित किया है। उत्तरप्रदेश गवर्मेंट कास्ट लिस्ट में Maurya/Murao/Murai के रूप में रजिस्टर्ड है। [९]

वर्गीकरण

'के चेट्टी के अनुसार 'मुराव' पारंपरिक रूप से ज़मींदार थे।[१०]

मुरावों ने 1928 में क्षत्रिय वर्ण में पहचान पत्र हेतु लिखित याचिका भी दायर की थी।[११]

मौर्य गोत्र सूची

चित्तोडिया(क्षत्रिय) कराडिया राजपूत(गुजरात),परमार,सक्तिया(सकटा) , भक्तिया(भगता) , ठाकुरिया , शाक्यसेनी , हल्दिया(मुराव) , पुर्विया , पछवाहा , उत्तराहा , दखिनाहा , प्रयागहा , तनराहा, कनौजिया , भदौरिया , ढंकुलिया , इत्यादि मौर्यों में २३२ गोत्र हैं।[१२]

सन्दर्भ

साँचा:asbox