मोहेंजो दारो (फ़िल्म)
मोहेंजो दारो | |
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चित्र:मोहेंजोदारो-फिल्म.jpg | |
निर्देशक | आशुतोष गोवारिकर |
निर्माता | साँचा:ubl |
लेखक | प्रीति मैमग्न (डायलॉग) |
पटकथा | आशुतोष गोवारिकर |
कहानी | आशुतोष गोवारिकर |
अभिनेता |
ऋतिक रोशन पूजा हेगड़े |
संगीतकार | ए. आर. रहमान |
छायाकार | सीके मुरलीधरन |
संपादक | संदीप फ्रांसिन्स |
स्टूडियो | साँचा:ubl |
वितरक | डिजनी इंडिया |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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समय सीमा | 150 मिनट[१] |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹१०० करोड़ (US$१३.१२ मिलियन)[२][३] |
मोहेंजो दारो (अंग्रेजी; Mohenjo Daro)(साँचा:lang-en) वर्ष २०१६ की भारतीय रोमांचक-प्रेम गाथा आधारित हिन्दी भाषा की फ़िल्म है, जिसका लेखन एवं निर्देशन आशुतोष गोवारिकर[४][५][६], तथा निर्माण युटीवी मोशन पिक्चर्स के सिद्धार्थ राॅय कपूर व आशुतोष गोवारिकर प्रोड्क्शन्स लिमिटेड (एजीपीपीएल) की सुनीता गोवारिकर द्वारा किया गया है,[७] और फ़िल्म में ऋतिक रोशन व पूजा हेगड़े मुख्य भूमिकाओं में अदाकारी कर रहे हैं।[८] मोहेंजो दारो विश्व की प्रथम सिनेमाई प्रदर्शन है जो प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता को संदर्भित की गई है[९], तथा इस महान नगर, मोहेंजो दारो को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के तौर पर अंकित किया गया है (अब यह क्षेत्र पाकिस्तान स्थित सिंध जिले के लरकाना में पड़ता है)। [१०]
फ़िल्म की शुरुआत मुताबिक प्राचीन समय के २०१६ के ईसा पूर्व की है जब सिंधु घाटी सभ्यता चरम पर थी[११][१२], कहानी एक साधारण किसान (रोशन) के मोहेंजो दारो नगर की ओर यात्रा करने और फिर नगर की संभ्रांत वर्ग की औरत (हेगड़े) से हुए प्रेम को लेकर बुना गया है, और जिसके परिणाम में वह नगर के अभिजात वर्ग को चुनौती दे डालता है तथा आखिर में उसी नगर के अपरिहार्य विनाश के विरुद्ध संघर्ष भी करता है। गोवारिकर ने अपने तीन वर्ष शोध करने तथा पटकथा के विकास में व्यतीत किए, अपनी इस काल्पनिक कहानी को प्रामाणिकता पक्का करने के लिए पुरातत्ववेत्ताओं के साथ काफी नजदीकी कार्य किया।[१३] फ़िल्मांकन का कार्य भुज एवं मुंबई के साथ संक्षिप्त समयावधि में बेड़ाघाट (जबलपुर) एवं थाणे में भी किया गया।
फ़िल्म का संगीत एवं एलबम रचना ए.आर. रहमान[१४] के साथ गीत लिखने का काम जावेद अख़्तर ने भी किया।[१५] फ़िल्म का प्रदर्शन १२ अगस्त २०१६ में वैश्विक स्तर पर जारी किया गया।[१६][१७][१८]
सारांश
फ़िल्म का आरंभ सन् २०१६ ईसा पूर्व को सरमन और होजो एवं उनके दोस्तों से होती है, जब वह आमरी की प्राचीन गाँव के युवा, अपनी नाव में सफर करते हुए तंग नदी में जा फंसते हैं। और उनपर अचानक ही नरभक्षी मगरमच्छों का हमला होता है। सरमन बेहद साहसपूर्ण ढंग से अपने भाले से लड़ता है और उन्हें मार डालता है। फिर उनको ढोकर गाँव वापिस लौटते है जहाँ उनकी नायक के तौर पर जय-जयकार होती है। सरमन को उस रात नींद नहीं आती: जब बचपन में उसके माता-पिता को खो देता है, उसके मन में अब भी कई दिनों से अपने चाची की गुनगुनाहट गुँजती महसूस होती है, और जब सपने देखता है तो उसे एक सींगवाला विचित्र पशु और मोहेंजो दारो के विशाल नगर की झलक दिखाई पड़ती।
हालाँकि उसके चाचा कभी भी सरमन के मोहेंजो दारो जाने के फैसले की अनुमति नहीं देते। आखिरकार उसके चाचा हार मानते है, और सलाह देते है कि मोहेंजो दारो एक बहुत निर्मम नगर है और सरमन को किसी पर भी भरोसे पर एहतियात बरतने को कहते है। उसके चाचा उसे एक गंडा-ताजिब देते जो उसे सिर्फ़ उसके जिंदा रहने या मृत्यु के वक्त इस्तेमाल करने को कहते हैं। (सरमन को उस ताबिज में उसी सपने के एक सींगवाले पशु पता चलता है, और वही पशु मोहेंजो दारो का नगर प्रतीक भी साबित होता है।)
तमाम माल-असबाब (नील) के साथ व्यापार को निकला सरमन ज्यों ही मोहेंजो दारो पहुँचता है तो वह नगर की विशालता और वैभव देख आवाक रह जाता है। यहां के बाजार मैसेडोनियाई और सुमेरियाई तथा विदेशी व्यापारियों के अनदेखी व अनोखी सामानों व पशुओं (उस वक्त तक के अपरिचित नस्ल के घोड़े भी) की बिक्री बरबस आकर्षित करती है। सरमन को मालूम हो जाता है कि मोहेंजो दारो के शासन बागडोर उसके प्रमुख तानाशाह माहम और उसके दुष्ट बेटे मुंजा के हाथों में है। माहम किसानों से अतिरिक्त कर उगाही एक प्रस्ताव रखथा है; इस प्रस्ताव पर नगर परिषद के वे सभी सांसद अपना समर्थन देते हैं जो माहम के साथी है सिवाय उन खेतीहर किसानों के प्रतिनिधियों के। चुनाव बीत जाता है और जब किसानों के प्रतिनिधि माहम की करतूतों का बेनकाब करते हुए धमकाते हुए यह पुछते है – कि क्यों आखिर माहम को पड़ोसी नगर हड़प्पा ने उनको तड़ीपार कराया – माहम तत्काल उन्हें मार डालता है।
उधर सरमन की भेंट चानी नामक सुंदर युवती से होती है, मोहेंजो दारो के प्रमुख पुरोहित की बेटी और वह सिर्फ 'एक को ही' चुनेगी जो नगर को मुक्ति दिलायेगा और नई सुबह लाएगा। इस तरह वह मोहेंजो दारो के किसानों के साथ माहम के इस नए कर के विरुद्ध बगावत का नेतृत्व करता है (माहम के सिपाही उसे मारने की धमकी देते हैं लेकिन सरमन, किसानों के पक्ष लेकर, कहता है वह तो वैसा ही मरना स्वीकार करेगा, जबकि इस मोटे कर को चुकाने में ही उनके परिवार के लोग भूख से मरने लगेंगे।) वह नगर के संभ्रांत वर्ग में अपने चाचा के दिए ताबिज के कारण जगह बना लेता है, जब वह चानी को गुस्सैल घोड़े के प्रहार को बचा लेता है, तब वह उसके पिता से मिलता है, प्रमुख पुरोहित, इस मुलाकात के बाद ही उसे पहचान लेता है। सरमन और चानी लोगों के सामने अपने आपसी प्रेम को व्यक्त नहीं कर पाते लेकिन चानी के अश्रु बयान करते हैं कि मुंजा के साथ उसका जबरन विवाह कराया जा रहा है। नव चंद्रमा के उत्सव पर आयोजित नृत्य दौरान ही माहम को सरमन और चानी एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और ये भी कि सरमन ही कर विरोधियों का नेता है। माहम फौरन सरमन को मृत्युदंड की घोषणा कराता है पर उसे एहसास होता है उसे जनता का समर्थन प्राप्त है तो माहम सजा टाल देता है और बेहद कुटिलता से सरमन के समक्ष बकर-ज़ोखर खेलने की चुनौती रखता है। सरमन के सामने यही प्रस्ताव रखा जाता है कि यदि वह विजयी हुआ तो चानी को इस सगाई से मुक्त कर देगा। और वह इसे मंजूर करता है।
प्रमुख पुरोहित कारावास में सरमन से मिलता है। वह बताता है माहम सुमेरियाईयों के साथ हड़प्पा में शीशम की अवैध व्यापार के कारण ही तिरस्कार कर दिया गया था। माहम अन्य सौदागरों के भांति ही मोहेंजो दारो दाखिल हुआ और देखते ही देखते इस धंधे के कारण नगर परिषद तक अपनी पहुँच बना सका। वहीं माहम को महान सिंधु नदी में व्यापक सोने का भण्डार जमा पड़ा है और तब माहम एक बड़ी योजना के साथ नदी में बांध बनाने का प्रस्ताव रखता है तथा सोने की खान को दूसरा रास्ता मिल जाता है और मोहेंजो दारो की तिजोरी में जमा होने लगती है। श्रुजन नामक बुद्धिमान व ईमानदार प्रधान इस योजना का विरोध करता है लेकिन माहम किसी तरह उसे नाकाम करता है और बांध का निर्माण करवाता है। माहम सोना जमाखोरी के झूठे आरोप में श्रुजन को फांसते हुए गिरफ्तार कराता है। उसे इस बात का बेहद पछतावा होता है कि कैसे उनको व दुर्जन (सरमन के चाचा) को माहम की धमकियाँ मिलती थी यदि उन्होंने विरोधी श्रुजन की सहायताकी तो। श्रुजन मारा जाता है। पुरोहित बताता है कि सरमन ही श्रुजन का बेटा है और उसे ही दुष्ट माहम के अत्याचार से मुक्ति देनी होगी।
सरमन का सामना ताजिक पर्वत के क्रुर आदमखोरों बकर और ज़ोखर से एक बड़े रण आखाड़े में होता है। इस लंबी और बेरहम लड़ाई में वह एक आदमखोर को मार डालता है लेकिन जख्मी कर छोड़ देता है और मोहेंजो दारो के लोगों में उसकी विजय को लेकर हर्ष की लहर दौड़ पड़ती है। माहम गुस्से में आग-बबुला होता है और मुंजा से पुरोहित व चानी का खात्मा करने कहता है। मुंजा आवेग में पवित्र मंदिर पहुँचता है और पुरोहित को मारकर चानी की ओर भागता है। सरमन चानी को बचाता है और मुंजा को मार डालता है।
सरमन जनता की अगुवाई करता हुआ वापिस नगर परिषद पहुँच कर माहम को चुनौती देता है। चानी माहम से जुड़ी एक योजना का पर्दाफाश करती है कि वह सिंधु के सोने की जमाखोरी कर खुद अभीर होने चला था और पश्चिम से तांबे और काँसे के शस्त्रों की तस्करी करता है। सरमन को मिले इस समर्थन पर नगर परिषद के सभी प्रमुख माहम के विरुद्ध फैसला सुनाते है। जनता बतौर नए प्रधान के रूप में सरमन का चयन करती है लेकिन सरमन का सुझाव रहता है कि मोहेंजो दारो के लोगों को सरकार की आवश्यकता है ना किसी प्रधान की। सिंधु नदी, पर निर्मित बांध धीरे-धीरे बाढ़की वजह से चरमराने लगता है। सरमन को एहसास होता है कि बांध जल्द टुटेगा और समूचे नगर को जलमग्न कर डालेगा। इससे पूर्व नदी पूरी तरह बांध ढहा देती सरमन सभी लोगों से एकसाथ नौकाएं जोड़ने को कहता है और एक तैरता पुल सा बना देता है। मोहेंजो दारो लगभग खाली पड़ जाता है और पुल को नदी के दूसरे छोर तक ले जाया जाता है। बांध तबाह होता है और नदी प्रचण्ड वेग से नगर में प्रवेश करती है। नगर के चौराहे पर जंजीरों में बंधा माहम, इस सैलाब में डूब जाता है। महान मोहेंजो दारो का नामोनिशान मिट जाता है। अगली सुबह तक सिंधु नदी शांत पड़ती है और वह लोग बहते हुए पूर्वी हिमालय पहुँचते हैं। चानी नदी किनारे लोगों साथ महसूस करते है कि भविष्यवाणी सच प्रमाणित हुई है: यह एक नई सुबह थी। सरमन को भी तब दूसरे छोर वह एक-सींग वाला पशु दिखाई पड़ जाता है। लोगों में इस नदी के नए नाम को लेकर फुसफुसाहट होती है। और फ़िल्म सरमन के कहे गए एक शब्द के साथ समाप्त होती है: गंगा।
कलाकार
- ऋतिक रोशन - सरमान[१९]
- पूजा हेगड़े - चानी[१९]
- कबीर बेदी -महम[२०]
- अरुणोदय सिंह - मूंजा [२१]
- सुहासिनी मुलाय
- नितीश भारद्वाज - दुर्जन[२२]
- किशोरी शाहनी[२३]
- शरद केलकर - श्रुजन, सरमन के दिवंगत पिता।[२४]
- मनीष चौधरी - नगर पुरोहित, चानी के पिता।[२५]
- नरेंद्र झा - जखिरो, एक विक्षिप्त। [२६]
- पीयूष मिश्रा
- केसे फ्रैंक - बकर, एक लड़ाकू आदमखोर।[२७]
- उमंग व्यास - होजो, सरमन का मित्र।
- शाजी चौधरी - कुल्का
- तौफिल ख़ान रिगु - इश्मे दगान, एक सुमेरियाई
- नैना त्रिवेदी - जुनु
- दिगांता हज़ारिका - लुथर, प्रहरी। [२८][२९]
- माइकल हाॅमिक - ज़ोखर, दूसरा लड़ाकू आदमखोर।
निर्माण
संगीत
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
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