मोच
किसी अस्थिसंधि (ज्वाइंट) के स्नायु (लिगामेन्ट) जब अपनी क्षमता से अधिक खिंच जाते हैं तो इस प्रकार की चोट को मोच (sprain) कहते हैं। चोट लगने के साथ ही सूजन शुरू हो जाती है। मोच किसी भी जोड़ में हो सकता है पर एड़ी और कलाई के जोड़ पर ज्यादा मोच आती है।
लिगामेंट्स कठोर, लचीले और रेशेदार ऊतक होते हैं, जो जोड़ों में दो हड्डियों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मोच के दौरान लिगामेंट में थोड़ी बहुत चोट भी लग सकती है या ये पूरी तरह अलग भी हो सकते हैं।
लक्षण और निदान
मोच का निदान भौतिक परिक्षण द्वारा किया जा सकता है। दर्द, सूजन, बुंदी चोट (ब्रुस), इससे जोड़ों को हिलाने-डुलाने में कष्ट और अस्थिबंध के फटने पर चट-चट की आवाज होती है। प्रभावित अंग का इस्तेमाल करने में मुश्किल होता है।
इलाज
साधारण मोच या फिर आघात से हुई गठिया में दर्द का इलाज आराम करना और दर्द निवारक दवाएँ (जैसे ऐस्परीन या आईबूप्रोफेन) लेना है। सूजन की जगह पर हल्के कसकर पट्टी बाँध देने से सूजन कम हो जाती है और आराम पड़ता है। मोच को ठीक होने के लिए 2 से 3 दिनों तक चोट के हिस्से को कम हिलाने-डुलाने से मदद मिल सकती है।
अस्थिबंध (लिगामेंट) की क्षमता से अधिक खींच जाने या मॉसपेशीयॉ के फटने में शल्यक्रिया की जरूरत पड़ सकती है।