मुंबई–चेन्नई रेलमार्ग
मुंबई–चेन्नई रेलमार्ग | |||
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गुंटकल मुंबई-चेन्नई रेलमार्ग पर आंध्र प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है। | |||
अवलोकन | |||
स्थिति | संचालित | ||
स्थान |
महाराष्ट्र, कर्नाटक आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु | ||
टर्मिनी |
मुम्बई टर्मिनस एमजीआर चेन्नई सेंट्रल | ||
ऑपरेशन | |||
प्रारंभिक | 1871 | ||
मालिक | भारतीय रेल | ||
चालक | मध्य रेलवे, दक्षिण मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे | ||
तकनीकी | |||
लाइन की लंबाई | साँचा:convinfoboxसाँचा:convert | ||
पटरियों की लंबाई | साँचा:convinfobox | ||
पटरियों की नाप | साँचा:convert ब्रॉड गेज | ||
न्यूनतम त्रिज्या | साँचा:convinfobox | ||
संचालन गति | साँचा:convinfobox130 किमी/घंटा तक | ||
अधिकतम उन्नयन | साँचा:convinfoboxलोनावला साँचा:convert | ||
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साँचा:मुंबई-चेन्नई रेलमार्ग मुंबई-चेन्नई रेलमार्ग भारत में एक रेलवे मार्ग है, जो दक्खन के पठार के दक्षिणी भाग को काटती हुई चेन्नई और मुंबई को जोड़ती है। इसकी लंबाई स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। की है, और महाराष्ट्र से निकल कर कर्नाटक, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश होते हुए तमिल नाडु तक जाती हैं।
खण्ड़
स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। लंबे रेलमार्ग को अच्छे तरीके से सम्भालने के लिये छोटे वर्गों में बांटा गया है, जो आपस में मिलकर महानगरों को जोड़ने वाली इस लंबी और व्यस्ततम मुुख्य रेलमार्ग का विस्तार करते है:
- सेंट्रल लाइन (मुंबई उपनगरीय रेलवे)
- मुंबई दादर-सोलापुर खंड
- सोलापुर-गुंतकल खंड
- गुंतकल-चेन्नई एग्मोर खंड
विद्युतीकरण
कल्याण-पुणे खंड को 1930 [१] में 1.5 केवी डीसी ओवरहेड सिस्टम के साथ विद्युतीकृत किया गया था और 2010 में एसी ओवरहेड सिस्टम में बदल दिया गया था।
पुणे-सोलापुर-वाडी लाइन को एशियाई विकास बैंक से 1,500 करोड़ रुपये के ऋण के साथ विद्युतीकृत किया जा रहा है। 2012 में काम शुरू किया गया था।[२][३]
पुणे-वाडी-गुंतकल खंड में विद्युतीकरण कार्य प्रगति पर है। 1 अप्रैल 2012 को संपूर्ण मार्ग 641 किमी को शेष कार्य के रूप में दिखाया गया था।[४]
गति सीमा
कल्याण-पुणे-दौंड-वाडी-सिकंदराबाद-काज़िपत लाइन और वाडी-रायचूर-अदोनी-अरकोनम- चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन लाइन को 'ग्रुप बी' लाइनों में वर्गीकृत किया गया है और यह 130 किमी/घंटा तक की गति झेल सकती है।[५] हालांकि, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और कल्याण के बीच के खंड को 'ग्रुप ए' लाइनों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां ट्रेनें 160 किमी / घंटा तक की गति को झेल सकती हैं।