मापन का इतिहास

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

साँचा:asbox

समय मापन की हिन्दू प्रणाली (लघुगणकीय पैमाने पर)

मनुष्य जीवन के लिए नापतौल की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी। प्रगैतिहासिक काल से ही मनुष्य नापतौल पद्धतियों का प्रयोग करता रहा है।

मापन के मात्रक शायद मानव द्वारा आविष्कृत सबसे पुरानी चीजों में से हैं क्योंकि आदिम समाज को भी विभिन्न कामों के लिये (कामचलाऊ) मापन की जरूरत पड़ती थी।

प्राचीनतम मापन

सिन्धु घाटी (३००० ईसापूर्व से १५०० ईसापूर्व) के लोगों ने नाप एवं तौल के उपयोग में अत्यन्त उन्नत मानकीकरण का विकास कर लिया था। यह वहाँ खुदाई से प्राप्त मापों से स्पष्ट है। उनके नाप-तौल के मात्रकों में आश्चर्यजनक एकरूपता (युनिफॉर्मिटी) दिखती है।

महत्वपूर्ण पड़ाव

  • तेरहवीं शदी के आरम्भिक दिनों में इंगलैंड में एक शाही आदेश में मापन में प्रयुक्त परिभाषाओं की एक लम्बी सूची जारी की गयी।
  • १७९९ - अन्तरराष्ट्रीय आयोग द्वारा प्लेटिनम की एक छड़ को मीटर का मानक माना गया।
  • १८६० - ब्रिटेन, जर्मन राज्य एवं युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका - सभी ने मीटरी पद्धति को स्वीकार करने की तरफ कदम बढ़ाया।
  • १८७० - पेरिस में फ्रांसीसियों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय कांग्रेस बुलाई गयी। किन्तु इसे युद्ध आदि कारणों से बाद में (सन् १८७२ में) कर दिया गया।
  • १८७२ - अन्तरराष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन जिसमें 'इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एण्ड मेजर्स' की स्थापना।
  • १८७५ - पेरिस में 'कॉवेंशन ऑफ मीटर' हुआ जिसको १७ देशों ने हस्ताक्षर किये।
  • १८८९ - इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एण्ड मेजर्स ने मीटर का नया मानक बनाया। अब यह ९०% प्लेटिनम तथा १०% इरिडियम धातु की बनी एक छड़ के दो चिह्नों के बीच की दूरी के रूप में परिभाषित किया गया। जो सन् १९६० तक मान्य रहा।
  • १९६० - मानक मीटर को क्रिप्टॉन-86 परमाणु द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के 1,650,763.73 तरंगदैर्घ्य के बराबर पारिभाषित किया गया।
  • १९८३ - 1/299,792,458 सेकेंड में प्रकाश द्वारा निर्वात में चली गयी दूरी के बराबर पारिभाषित किया गया।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ