माता जीतो

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माता जीतो
जन्म 1673
लाहौर
मृत्यु 5 दिसम्बर 1700[१]
आनन्दपुर साहिब
अन्य नाम अजीत कौर, जीतो
धार्मिक मान्यता सिख धर्म
जीवनसाथी गुरु गोविन्द सिंह
बच्चे साहिबजादा जुझार सिंह,
साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह,
साहिबज़ादा फ़तेह सिंह
माता-पिता भाई हरजस

सिख धर्म
पर एक श्रेणी का भाग

Om
सिख सतगुरु एवं भक्त
सतगुरु नानक देव · सतगुरु अंगद देव
सतगुरु अमर दास  · सतगुरु राम दास ·
सतगुरु अर्जन देव  ·सतगुरु हरि गोबिंद  ·
सतगुरु हरि राय  · सतगुरु हरि कृष्ण
सतगुरु तेग बहादुर  · सतगुरु गोबिंद सिंह
भक्त कबीर जी  · शेख फरीद
भक्त नामदेव
धर्म ग्रंथ
आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ
सम्बन्धित विषय
गुरमत ·विकार ·गुरू
गुरद्वारा · चंडी ·अमृत
नितनेम · शब्दकोष
लंगर · खंडे बाटे की पाहुल


माता जीतो (गुरमुखी: ਮਾਤਾ ਜੀਤੋ, शाहमुखी: ماتا جیتو ) गोविन्द सिंह की तीन पत्नियों में प्रथम पत्नी थी।[२][३][४] युगल का विवाह २१ जून १६७७ को हुआ और उनके तीन बच्चे थे: जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह[१][५]

पुनर्नामकरण

कुछ विद्वानों एवं इतिहासवेत्ताओं के अनुसार, इनके विवाहोपरांत इनका नाम माता सुन्दरी रख दिया गया था। इनके चारों पुत्र इस पुनर्नामकरण उपरान्त ही हुए थे। सिख विद्वान भाई काह्न सिंह नाभा, पंथ प्रकाश ज्ञानी ज्ञाण सिंह एवं केसर सिंह छिब्बर के अनुसार माता सुन्दरी गुरु महाराज की द्वितीय पत्नी थीं और माता जीतो का नाम बदला नहीं गया था। इसके समर्थन में उनका कहना है कि माता जीतो के अन्तिम संस्कार १७०० में आनन्दपुर साहिब में सम्पन्न हुए थे, जबकि माता सुन्दरी के अन्तिम संस्कार १७४७ में दिल्ली में किये गए थे। इसके अलावा माता जीतो के पिता का नाम लाहौर के भाई हरि जस बताये जाते हैं जबकि माता सुन्दरी के पिता बिजवाड़ा के भाई राम सरन थे।[१]

सन्दर्भ

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