मलहारराव मुकने
मलहारराव मुकने जिन्हे पतंगसाह (चौथ) (1905 - 1917) के नाम से भी जाना जाता था ज्वहार रियासत के शासक थे[१] जो महादेव कोली जाती से संबंध रखते थे। उनके पिताजी का नाम माधवराव मुकने था जो जव्हार रियासत के संस्थापक जयभाराव मुकने महाराज के वंशज थे जिन्होने १४वी शताब्दी मे जव्हार रियासत और मुकने राजवंश की स्थापना की थी।[२][३]
महाराजा मल्हारराव मुकने जव्हार रियासत के प्रबुद्ध शासक थे जिनके राज पृथम बार जनता को शिक्षीत करने के लिय विद्यालययों का निर्माण किया गया, प्रजा के रोग दूर करने के लिए उषधाल्य खोले गए, राजस्व संग्रह, न्याय और लोक प्रशासन की एक आधुनिक प्रणाली स्थापित की एवं उन्होंने ब्रिटिश सरकार को कोई श्रद्धांजलि नहीं दी। जब तक मलहारराव व्यशक नही हुए तब तक जव्हार रियासत पर उनकी मां गोपीकाबाई ने जव्हार की सरकार चलाई। 28 मार्च 1875 को रानी गोपीकाबाई की मृत्यु हो गई और 22 जनवरी 1877 को, मल्हारराव ने पूर्ण शासक शक्तियाँ अपने हाथ ले लीं।[४]
दत्तक पुत्र
13 जुलाई 1865 को नारायणराव मुक्ने की मृत्यु के बाद, उन्हें गोपिका बाई मुक्ने की सलाह पर नारायणराव की युवा विधवा लक्ष्मिबाई मुक्ने द्वारा गोद लिया गया था, जब वह केवल दस साल के थे।
शिक्षा
महाराजा मल्हारराव मुकने ने अंग्रेजी की पढ़ाई पुणे उच्च विद्यालय से की और 1877 मे जव्हार रियासत में उन्नति करने के लिए पुणे जज्ज कोर्ट': मे अभ्याश किया।[३]
विवाह
२० मार्च १८७४ को माहाद खांन की बेटी से शादी की जिनका नाम बाद मे श्रवस्तीबाई मुकने पड़ा।[३]