मरसिया २
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उर्दू साहित्य में करुण रस से भरी हुई उस शोकपूर्ण कविता को मरसिया कहते हैं जिसमें किसी मरने वाले की प्रशंसा की गई हो। मरसिया किसी भी मृत व्यक्ति का हो सकता है पर उर्दू में अधिकतर मरसिए मुसलमानों के रसूल के नाती इमाम हुसैन और उनके परिवार के शोक जनक विनाश के संबंध में लिखे गए हैं। यजीद के सैनिकों ने बड़ी कठोरता से इमाम के मित्रों, बच्चों और नातेदारों को रेगिस्तान में तीन दिन तक भूखा प्यासा रखकर शहीद कर दिया और स्त्रियों को लूट कर बंदी बना लिया। मरसिया का यही विषय-वस्तु होता है। आरंभ में इसका कोइ नीयत रूप न था पर अब अधिकतर मरसिए 6 पंक्तियों के मुसद्दस रूप में लिखे जाते हैं।