मनसा देवी
मनसा देवी { विषहर माता } | |
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भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री , मनसा देवी, विषहर मां अपने चतुर्भुज रूप में | |
अन्य नाम |
जगदगौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तीकमाता विषहरीती, महाज्ञानयुता , शिवसुता , गौरीनन्दिनी आदि |
देवनागरी | मनसा देवी, विषहर महारानी |
संबंध | देवी , शक्ति |
निवासस्थान | कैलाश , नाग लोक |
अस्त्र | त्रिशूल, चक्र, पाश, खड्ग, नाग , शंख, वर मुद्रा, अभय मुद्रा |
प्रतीक | नाग और नागिन का जोड़ा |
जीवनसाथी | साँचा:if empty |
माता-पिता | साँचा:unbulleted list |
भाई-बहन | गणेश , अशोकसुन्दरी , ज्योति , कार्तिकेय , अय्यपा |
संतान | साँचा:if empty |
सवारी | कमल , हंस , सिंहासन |
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मनसा देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनके पति महर्षि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इनके भाई बहन गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी , देवी ज्योति और भगवान अय्यपा हैं ,इनके प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है।[१] समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके गर्भ से एक तेजस्वी पुत्र हुआ जिसका नाम आस्तिक रखा गया। आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया। राजा नहुष और नात्सय इनके बहनोई हैं।
इनके बड़े भाई भगवान कार्तिकेय और भगवान अय्यपा हैं तथा इनकी बड़ी बहन देवी अशोकसुन्दरी, और देवी ज्योति हैं। भगवान गणेश इनके छोटे भाई हैं। इस कथा का पूरा साथ इस लेख में दिया गया है जो कि मां मनसा देवी की पौराणिक कथा है।
मूल
ग्रीस में भी मनसा नामक देवी का प्रसंग आता है।[२] इन्हें शिव और पार्वती की पुत्री तथा विष की देवी के रूप में भी माना जाता है। 14 वी सदी के बाद इन्हे शिव के परिवार की तरह मंदिरों में आत्मसात किया गया। यह मान्यता भी प्रचलित है कि इन्होने शिव को हलाहल विष के पान के बाद बचाया था, परंतु यह भी कहा जाता है कि मनसा का जन्म समुद्र मंथन के बाद हुआ।[३]
विष की देवी के रूप में इनकी पूजा झारखंड बिहार और बंगाल बड़े धूमधाम से हिन्दी और बंग्ला पंचांग के अनुसार भादो महीने मे पूरी माह इनकी स्तुति होती है ।।[४]
इनके सात नामों के जाप से नाग का भय नहीं रहता। ये नाम इस प्रकार है जरत्कारु, जगद्गौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तिकमाता और विषहरी।
रूप
मनसा देवी मुख्यत: नाग से आच्छादित तथा कमल पर विराजित हैं 7 नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। कई बार देवी के चित्रों तथा भित्ति चित्रों में उन्हें एक बालक के साथ दिखाया गया है जिसे वे गोद में लिये हैं, वह बालक देवी का पुत्र आस्तिक है।[५]
उपाख्यान
महाभारत
पाण्डुवंश में पाण्डवों में से एक धनुर्धारी अर्जुन और उनकी द्वितीय पत्नी सुभद्रा जो श्री कृष्ण और श्री बलराम की बहन हैं, उनके पुत्र अभिमन्यु हुआ जो महाभारत के युद्ध में मारा गया। अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित हुआ, जिसकी मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई।[६] परीक्षित पुत्र जन्मेजय ने अपने छ: भाइयों के साथ प्रतिशोध में नाग जाति के विनाश के लिये नागेष्ठी यज्ञ किया। शिव ने अपनी पुत्री मनसा का विवाह किया तथा उसके पुत्र आस्तिक नें नागों को यज्ञ से बचाया।[७]
राजा युधिष्ठिर ने भी माता मानसा की पूजा की थी जिसके फल स्वरूप वह महाभारत के युद्ध में विजयी हुए। जहाँ युधिष्ठिर ने पूजन किया वहाँ सालवन गाँव में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।[८]
पुराण
अलग अलग पुराणों में मनसा की अलग अलग किंवदंती है। पुराणों में बताया गया है कि इनका जन्म शिव के मस्तिष्क से हुआ तथा मनसा किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली थी इसलिये ब्रह्मा ने इनका नाम विषहरी रखा।
विष्णु पुराण
विष्णु पुराण के चतुर्थ भाग में एक नागकन्या का वर्णन है जो आगे चलकर मनसा के नाम से प्रचलित हुई।
ब्रह्मवैवर्त पुराण
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतर्गत एक नागकन्या थी जो शिव तथा कृष्ण की भक्त थी। उसने कई युगों तक तप किया तथा शिव से वेद तथा कृष्ण मंत्र का ज्ञान प्राप्त किया जो मंत्र आगे जाकर कल्पतरु मंत्र के नाम से प्रचलित हुआ। उस कन्या ने पुष्कर में तप कर कृष्ण के दर्शन किए तथा उनसे सदैव पूजित होने का वरदान प्राप्त किया।
मंगलकाव्य
मंगलकाव्य बंगाल में 13वीं तथा 18वीं शताब्दी में लिखित काव्य है जो कई देवताओं के संदर्भ में लिखित हैं। विजयगुप्त का मनसा मंगल काव्य और विप्रदास पिल्ले का मनसाविजय (1495) मनसा के जन्म का वृत्तांत बताते हैं।
मनसाविजय के अनुसार वासुकि नाग की माता नें एक कन्या की प्रतिमा का निर्माण किया जो शिव वीर्य से स्पर्श होते ही एक नागकन्या बन गई, जो मनसा कहलाई। जब शिव ने मनसा को देखा तो वे मोहित हो गए, तब मनसा ने बताया कि वह उनकी बेटी है, शिव मनसा को लेकर कैलाश गए। माता पार्वती नें जब मनसा को शिव के साथ देखा तब चण्डी रूप धारण किया और मनसा को नष्ट करने के लिए उन्हें क्रोध आया किंतु भगवान शंकर ने जब उन्हें बताया कि मनसा उनकी और पार्वती ही बेटी हैं तो माता पार्वती का वात्सल्य मनसा पर उमड़ आया। मनसा ने ही शिव को हलाहल विष से मुक्त किया था।
मंदिर
मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार
यह मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है तथा हरिद्वार से 3 किमी की दूरी पर स्थित है।[९] यहाँ पर माता शक्तिपीठ पर स्थापित दुख दूर करतीं हैं। यहाँ 3 मंदिर हैं। यहाँ के एक वृक्ष पर सूत्र बाँधा जाता है परंतु मनसा पूर्ण होने के बाद सूत्र निकालना आवश्यक है।[१०][११]
यह मंदिर सुबह ८ बजे से शाम ५ बजे तक खुला रहता है। दोपहर में 2 घंटे के लिए १२ से २ तक मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है जिसमे माँ मनसा का श्रृंगार और भोग लगता है। मंदिर परिसर में एक पेड़ है जिसपे भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए एक पवित्र धागा बांधते है।
मनसा देवी मंदिर, पंचकूला
माता मनसा चंडीगढ़ के समीप पंचकूला में विराजमान होकर दुख दूर करतीं हैं। यहाँ नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है, यह 100 एकड़ में फैला विशाल मंदिर है। यह मंदिर सन् 1811-1815 के मध्य राजा गोलासिह द्वारा बनवाया गया था।[१२]
यातायात सुविधा
चंडीगढ़ बस स्टैंड से लगभग 10 किमी तथा पचकुला बस स्टैंड से 4 किमी की दुरी पर स्तिथ , मनसा देवी मंदिर में बसों या ऑटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है ।
नवरात्री के दिनों में यह यात्रियों के आने जाने का विशेष प्रबंध चंडीगढ़ परिवहन द्वारा किया जाता है यदि आप लोग रेल से यात्रा के बारे में सोच रहे है तो यह उसका भी उचित व्यवस्था है । चंडीगढ़ -कालका रेल लाइन यह आपको हमेशा ही उपलब्ध मिलेगी ।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- ↑ मनसा देवी मंदिर हरिद्वार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। मनसा देवी नागों की देवी हैं, उनका मुख्य मंदिर हरिद्वार में है जो शक्तिपीठ पर स्थापित है। नवरात्रि को यहाँ बहुत भीड़ लगती है तथा तीर्थ के साथ ही यह पर्यटन स्थल भी है जो मन में शांति का अनुभव कराने वाला है।
- ↑ The Knossos Labyrinth स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। A New View of the Palace of Minos at Knossos
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ मुनि आस्तिक स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। इन्होनें ही जन्मेजय के सर्पेष्ठी यज्ञ से सर्पों की रक्षा की थी तथा ये मनसा के पुत्र थे।
- ↑ परीक्षित स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। ब्रजडिस्कवरी
- ↑ नागकुल स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, इस पृष्ठ में नागकुल का वर्णन है तथा द्वितीय कुल में वासुकि का वर्णन है
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ मनसा देवी मंदिर हरिद्वार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। गूगल प्लस
- ↑ मनसा देवी मंदिर स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। हरिद्वार उत्तरांचल
- ↑ मनसा देवी मंदिर स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। भारत डिक्शनरी
- ↑ पंचकुला, चंडीगढ़ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। मनसा मंदिर