भेद प्रवर्धक

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भेद प्रवर्धक का प्रतीक
Vs+ : धनात्मक सप्लाई
Vs- : ऋणात्मक सप्लाई
V+ : नॉन-इन्वर्टिंग इनपुट
V- : इन्वर्टिंग इनपुट
Vout : आउटपुट
दो बीजेटी से निर्मित क्लासिकल भेद प्रवर्धक जिसे 'लम्बी पूँछ वाला भेद प्रवर्धक' कहते हैं।
एक ऑप-ऐम्प से निर्मित भेद प्रवर्धक। तीन ऑप-ऐम्प से निर्मित भेद प्रवर्धक कई मामलों में इसकी अपेक्षा उत्कृष्ट होता है।

भेद प्रवर्धक एक विशेष प्रकार का इलेक्ट्रानिक प्रवर्धक है जो दो इनपुट के बीच के अन्तर को प्रवर्धित करता है किन्तु उनके योग (अथवा 'कॉमन मोड सिगनल) को कम करता है। भेद प्रवर्धक में दो इन्पुट <math>\scriptstyle V_\text{in}^- </math> तथा <math>\scriptstyle V_\text{in}^+</math> होते हैं और एक आउटपुट <math>\scriptstyle V_\text{out}</math> होता है। किसी भेद प्रवर्धक का आउटपुट निम्नलिखित व्यंजक (इक्सप्रेशन) द्वारा लिखा जाता है-

<math>V_\text{out} = A_\text{d}(V_\text{in}^+ - V_\text{in}^-) + A_\text{c}\left(\frac{V_\text{in}^+ + V_\text{in}^-}{2}\right)</math>

जहाँ \scriptstyle Ad इस प्रवर्धक का 'डिफरेंशियल मोड गेन' तथा Ac 'कॉमन मोड गेन' है। आदर्श भेद प्रवर्धक के लिये Ac =0 और Ad बहुत अधिक होता है। Ad और Ac के अनुपात को उभयनिष्‍ठ विधा निराकरण अनुपात (कॉमन मोड रिजेक्शन रेशियो / CMMR) कहते हैं, इसका मान जितना अधिक हो उतना ही अच्छा माना जाता है।

<math>\mathrm{CMRR} = \frac{A_\mathrm{d}}{A_\mathrm{c}}</math>

इन्हें भी देखें