भीमा नायक

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भीमा नायक ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष किया था। अंग्रेज सरकार द्वारा उनके खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उन्हें पोर्ट ब्लेयर व निकोबार में रखा गया था। भीमा नायक की मृत्यु 29 दिसंबर 1876 को पोर्ट ब्लेयर में हुई थी।[१] भीमा नायक को निमाड़ का राँबिनहुड़ कहा जाता था । भीमा नायक के नाम से ब्रिटिश अधिकारी तथा वायसरॉय काँपते थे ! इसी कारण भीमा को अंग्रेज़ों ने छल और धोखे से पकड़ा गया ।

चित्रों का रहस्य

भीमा नायक के वास्तविक फ़ोटो को लेकर भी अब तक कोई साक्ष्य नहीं है तथा मौजूद फोटो या स्कैच महज़ काल्पनिक हैं।

भीमा का पकड़ा जाना

भीमा का कार्य क्षेत्र बड़वानी रियासत- मध्यप्रदेश से वर्तमान महाराष्ट्र के खानदेश क्षेत्र तक रहा है। 1857 में हुए अंबापानी युद्ध में भीमा की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अंग्रेज जब भीमा को सीधे नहीं पकड़ पाए तो उन्हें उनके ही किसी करीबी की मुखबिरी पर धोखे से पकड़ा गया था। उस समय जब तात्या टोपे निमाड़ आए थे तो उनकी मुलाकात भीमा नायक से हुई थी। उस दौरान भीमा ने उन्हें नर्मदा पार करने में सहयोग किया था।[२]

सन्दर्भ

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