भारत में सौर ऊर्जा

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भारत में वैश्विक क्षैतिज विकिरण[१]

भारत में सौर ऊर्जा हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भारत की घनी आबादी और उच्च सौर आतपन सौर ऊर्जा को भारत के लिए एक आदर्श ऊर्जा स्रोत बनाता है। किंतु सौर ऊर्जा निरंतर खर्चीली है और इस पर भारी निवेश की जरूरत पड़ती है। सौर ऊर्जा का स्‍वरूप अस्थिर है जिससे इसे ग्रिड में समायोजित करना मुश्किल होता है। लोगों की जागरुकता का अभाव, उच्‍च उत्‍पादन लागत तथा वर्तमान ऊर्जा को छोड़ने की सीमाएं एवं पारेषण (ट्रांसमशिन) नेटवर्क को देशभर में सौर ऊर्जा क्षमता के भरपूर दोहन की दि‍शा में मुख्‍य बाधा के रूप में माना गया है।

हैंडबुक ऑन सोलर रेडिएशन ओवर इंडिया के अनुसार, भारत के अधिकांश भाग में एक वर्ष में 250-300 धूप निकलने वाले दिनों सहित प्रतिदिन प्रति वर्गमीटर 4-7 किलोवाट घंटे का सौर विकिरण प्राप्त होता है। राजस्थान और गुजरात में प्राप्त सौर विकिरण उड़ीसा में प्राप्त विकिरण की अपेक्षा ज्यादा है।[२] देश में 30-50 मेगावाट/ प्रतिवर्ग किलोमीटर छायारहित खुला क्षेत्र होने के बावजूद उपलब्‍ध क्षमता की तुलना में देश में सौर ऊर्जा का दोहन काफी कम है (जो 31-5-2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है)।[३] 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सौर ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए जिसके फलस्वरूप 2016 मकर संक्रांति/पोंगल तक भारत में सौर ऊर्जा की स्‍थापित क्षमता 5,000 मेगावाट का जादुई आंकड़ा पार कर गई।[४]

2015 में हुए पेरिस जलवायु सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने भारत के नेतृत्व में १०० से भी अधिक "सूर्यपुत्र" देशों के संगठन इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन्स की भी घोषणा की। [५][६] [७]

वर्तमान स्थिति

14 जनवरी, 2016 तक की स्थिति के अनुसार ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को चालू किये जाने की ताजा स्थिति का राज्‍यवार ब्‍यौरा निम्‍नलिखित तालिका में दिया गया है[४]-

क्र. सं. राज्‍य/केन्‍द्र शासित प्रदेश 14-01-16 तक कुल स्‍थापित क्षमता
(मेगावाट में)
1 आंध्र प्रदेश 357.34
2 अरुणाचल प्रदेश 0.265
3 छत्‍तीसगढ़ 73.18
4 गुजरात 1024.15
5 हरियाणा 12.8
6 झारखंड 16
7 कर्नाटक 104.22
8 केरल 12.025
9 मध्‍य प्रदेश 678.58
10 महाराष्‍ट्र 378.7
11 ओडिशा 66.92
12 पंजाब 200.32
13 राजस्‍थान 1264.35
14 तमिलनाडु 418.945
15 तेलंगाना 342.39
16 त्रिपुरा 5
17 उत्‍तर प्रदेश 140
18 उत्‍तराखंड 5
19 पश्चिम बंगाल 7.21
20 अंडमान एवं निकोबार 5.1
21 दिल्‍ली 6.712
22 लक्षद्वीप 0.75
23 पुडुचेरी 0.025
24 चंडीगढ़ 5.041
25 दमन एवं दीव 4
26 अन्‍य 0.79
कुल 5129.813

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन

भारतीय सौर मिशन

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन योजना की शुरुआत 2009 में जलवायु परिवर्तन पर राष्‍ट्रीय कार्य योजना के एक हिस्‍से के रूप में की गई। इस मिशन का लक्ष्य 2022 तक 20 हजार मेगावाट क्षमता वाली ग्रिड से जोड़ी जा सकने वाली सौर बिजली की स्‍थापना और 2 हजार मेगावाट के समतुल्‍य गैर-ग्रिड सौर संचालन के लिए नीतिगत कार्य योजना का विकास करना है। इसमें सौर तापीय तथा प्रकाशवोल्टीय दोनों तकनीकों के प्रयोग का अनुमोदन किया गया।[८] इस मिशन का उद्देश्‍य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश को वैश्विक नेता के रूप में स्‍थापित करना है।

लक्ष्य

मिशन के लक्ष्‍य में (1) 2022 तक 20 हजार मेगावाटा क्षमता वाली-ग्रिड से जुड़ी सौर बिजली पैदा करना, (2) 2022 तक दो करोड़ सौर लाइट सहित 2 हजार मेगावाट क्षमता वाली गैर-ग्रिड सौर संचालन की स्‍थापना (3) 2 करोड़ वर्गमीटर की सौर तापीय संग्राहक क्षेत्र की स्‍थापना (4) देश में सौर उत्‍पादन की क्षमता बढ़ाने वाली का अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण और (5) 2022 तक ग्रिड समानता का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए अनुसंधान और विकास के समर्थन और क्षमता विकास क्रियाओं का बढ़ावा शामिल है।[९] इस मिशन को तीन चरणों में लागू किया जाना है:[१०]

चरण अवधि संचयी लक्ष्य (वर्गमीटर)
चरण-1 वर्ष 2013 तक 70 लाख
चरण-2 वर्ष 2013-17 तक 1.50 करोड़
चरण-3 वर्ष 2017-22 तक 2 करोड़

वर्तमान स्थिति

२४ जुलाई २०१४ की एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मिशन का चरण -1 पूरा कर लिया गया है और चरण-1 के अंत तक प्राप्त उपलब्धियां 7.001 मिलियन वर्गमीटर है।[१०][११]

आवेदन खण्ड पहले चरण के लिए लक्ष्य (2010-13) पहले चरण की उपलब्धियां[११]
ग्रिड सौर ऊर्जा 1,100 मेगावाट 1,684.4355 मेगावाट
ऑफ-ग्रिड सौर अनुप्रयोगों का आवंटन 200 मेगावाट 252.5 मेगावाट
सौर तापक संग्राहक (एसडब्लूएचएस) सौर खाना पकाने, सौर ठंडा, औद्योगिक प्रक्रिया गर्मी अनुप्रयोग आदि) 70 लाख वर्गमीटर 70.01 लाख वर्गमीटर

इन योजनाओं के लिए वित्त वर्ष 2010-11 से 2012-13 में कुल 1793.68 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई जिसमें 1758.28 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग पहले चरण में किया गया।[११]

दूरवर्ती ग्राम विद्युतीकरण कार्यक्रम

इस कार्यक्रम के तहत उन गांवों एवं कस्बों में नवीकरणीय उर्जा के जरिए प्रकाशबिजली की व्यवस्था करनी है जो ग्रिड विस्तार की अव्यवहार्यता की वजह से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युत आपूर्ति से वंचित रह गए। इस कार्यक्रम के तहत गांवों और कस्बों को 90 प्रतिशत केन्द्रीय वित्तीय सहायता दी जाती है।[१२] हालाँकि, इस कार्यक्रम में सौर ऊर्जा सहित अन्य नवीकरणीय ऊर्जा जैसे लघु जलविद्युत योजना, पवनचक्कीं, बायोमास आदि भी शामिल हैं। दूरवर्ती ग्राम विद्युतीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 2011-12 से 2013-14 के दौरान विभिन्‍न राज्यों 819 गाँवों में सौर ऊर्जा के लिए स्वीकृति दी गई।[१३]

प्रमुख परियोजनाएँ

राजस्थान में जयपुर के पास सांभर में हिंदुस्तान सॉल्ट्स लिमिटेड की खाली पड़ी जमीन पर 4,000 मेगावाट क्षमता की एक परियोजना २०१४ से लगाई जाएगी। इसे सरकारी क्षेत्र की छह प्रमुख कंपनियां- भेल, पावरग्रिड, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन, सतलुज जल विद्युत निगम, हिंदुस्तान साल्ट्स और राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स मिलकर लगाएंगी। इसके लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस प्रोजेक्ट के बाद ऐसी अन्य सोलर पावर परियोजनाएँ लगाने का काम भी जल्द शुरू होगा। परियोजना के पहले चरण में एक हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा, जो वर्ष 2017 तक शुरू हो जाएगा। शेष 3,000 मेगावाट क्षमता का विस्तार दूसरे चरण में किया जाएगा। इसमें अतिरिक्त तीन वर्ष का समय लगेगा।[१४][१५]

बढ़ावा देने के लिए उठाए गए अन्य कदम

जवाहरलाल नेहरू राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मि‍शन की ऑफ ग्रिड तथा विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा के अंतर्गत, मंत्रालय 27 रुपये प्रति डब्‍ल्‍यूपी से 135 रुपये प्रति डब्‍ल्‍यूपी के बीच सौर ऊर्जा पीवी प्रणाली तथा विद्युत संयंत्रों की स्‍थापना के लिए 30 प्रति‍शत पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करता है। विशेष श्रेणी के राज्‍यों अर्थात् पूर्वोत्‍तर राज्‍यों, सिक्किम, जम्‍मू और कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड, लक्षदीप और अंडमान निकोबार द्वीप के लिए मंत्रालय सरकारी संगठनों (वाणिज्‍य संगठनों और कारपोरेशनों के लिए नहीं) हेतु 81 रुपये प्रति डब्‍ल्‍यूपी से 405 रुपये प्रति डब्‍ल्‍यूपी के बीच 90 प्रतशित पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करता है।[१६] नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, सौर जल तापक प्रणाली, सौर लालटेन, घरों और सड़कों की लाइटें तथा पीवी पॉवर प्‍लांटो जैसे सौर फोटो वोल्‍टेइक प्रणालियों के लिए 30 प्रतिशत तक की केन्‍द्रीय वित्‍तीय सहायता (सीएफए) उपलब्‍ध करवा रहा है। यह सीएफए पूरे देश के लिए एक समान है, लेकिन विशेष श्रेणी के राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेश द्वीपों और अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा से लगे जिलों में सौर जल तापक प्रणाली के लिए सीएफए 60 प्रतिशत तक और कुछ श्रेणियों की सरकारी संस्‍थानों के लिए सौर फोटो वोल्‍टेइक प्रणालियों के लिए यह 90 प्रतिशत तक है।[१७]

विदेशी सहयोग

नार्वे ने मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, झारखंड और जम्‍मू एवं कश्‍मीर में सौर ऊर्जा के लघु –ग्रिड संयंत्रों से 28 गांवों के वि‍धुतीकरण की परियोजना को सहायता प्रदान की है।[१६]

राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा संस्‍थान

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने सौर विद्युत प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान, विकास और परीक्षण करने के लिए राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा संस्‍थान (नाइस) की स्‍थापना की है।[१८]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  15. साँचा:cite web
  16. साँचा:cite web
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बाहरी कड़ियाँ