ब्लूम वर्गिकी
ब्लूम की वर्गिकी (Bloom's taxonomy) शिक्षा के अन्तर्गत 'सीखने के उद्देश्यों' के वर्गीकरण से सम्बन्धित है। यह नाम बेंजामिन ब्लूम के नाम पर रखा गया है जो उक्त वर्गीकरण सुझाने वाली समिति के अध्यक्ष थे। ब्लूम टक्सॉनोमी 1956 में बनाया गया था। इसके निर्माता माहान शैक्षिक मनोवैज्ञानिक ड्र. बेंजामिन ब्लूम हैं। उन्होने इसका निर्माण शिक्षा के क्षेत्र में सोच के उच्च प्रपत्र को बढ़ावा देने के लिए किया था। इसका प्रथम उदेश्या शिक्षा के अवधारणाओं, प्रक्रियाओं, और सिद्धांतों के विश्लेषण और मूल्यांकन का है। इसका अक्सर इस्तेमाल एजुकेशनल, ट्रैनिंग, एंड लर्निंग प्रोसेसस के निर्माण में किया जाता है।[१]
"टक्सॉनोमी" का मतलब है " वर्गीकरण " अत: ब्लूम टक्सॉनोमी शिक्षा को सीखने के रूपों और स्तर के वर्गीकरण का एक प्रयास है। यह सुझाव दिया है कि ब्लूम टक्सॉनोमी में उच्च स्तर को प्रभावी ढंग से प्राप्त नहीं किया जा सकता अगर निचले स्तर को प्राप्त ना किया हो। इसलिए इसका वर्गीकार्ण 3 भागो में किया गया है- कॉग्निटिव डोमेन, अफेक्टिव डोमेन अथवा साइकमोटर डोमेन।[२]
कॉग्निटिव डोमेन
संज्ञानात्मक डोमेन ज्ञान और बौद्धिक कौशल का विकास शामिल करता है(ब्लूम, 1956) तथ्यों के स्मार्ण की कला इसमें शामिल होती है। इसकी 6 प्रथम श्रेणियाँ हैं-
- -ज्ञान
- -समझ
- -उपयोग
- -विश्लेषण
- -संश्लेषण
- -मूल्यांकन
यह माना जाता है कि कॉग्निटिव डोमेन में वर्गीकार्ण कठिनाइयों की उपाधि को ध्यान में रखकर होता है। [१]
ब्लूम की संशोधित वर्गिकी
लॉरीन आंडर्सन ने दवीड करत्वोल के साथ मिलकर ब्लूम रिवाइज़्ड टक्सॉनोमी के परिवर्तनों में योगदान दिया है जिनमें सबसे प्रथम प्रिवर्तन है जहाँ संज्ञा शब्दों को हटाकर क्रिया शब्दों का प्रयोग किया गया है [१]
लाभ
ब्लूम टक्सॉनोमी विद्यार्थी के बौद्धिक विकास में योगदान देती है। इसके वर्गीकरणों के उपयोग से विद्यार्थी एक विषय को अपने तरीके से समझ सकता है और उसके समाधानो पर अपनी सोच से विचार कर सकता है। ब्लूम टक्सॉनोमी के मध्यम से विद्यार्थी विचारो की गहेरईओं का विश्लेषण बड़े उपयोगी रूप से कर सकता है। यहाँ अध्यापक एक सहायक की तरह होती है जो विचारों को समझने में केवल सहायता करती है। इस तरह विद्यार्थी स्वतंत्र बन जाता है। [३]