ब्रह्ममुहूर्त

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सूर्योदय के डेढ़ घण्टा पहले का मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त (ब्राह्ममुहूर्त) कहलाता है। सही-सही कहा जाय तो सूर्योदय के २ मुहूर्त पहले, या सूर्योदय के ४ घटिका पहले का मुहूर्त। १ मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट होती है। अतः सूर्योदय के ९६ मिनट पूर्व का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।

ब्रह्ममुहूर्त में जागरण का महत्व

भारतीय संस्कृति में ब्रह्ममुहूर्त में उठने की बड़ी महत्ता है। मनु महाराज ने कहा है-

ब्राह्मे मुहूर्ते बुद्ध्येत, धर्मार्थौ चानुचिन्तयेत
(ब्राह्म मुहूर्त में प्रबुद्ध होकर, धर्म और अर्थ का चिंतन करना चाहिए।)
ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
(ब्राह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्यों का नाश करने वाली है।)

आयुर्वेद में भी ब्रह्ममुहूर्त में जागरण से दिनचर्या के आरम्भ का महत्व प्रतिपादित किया गया है।

वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मिं स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति ।
ब्राह्मे मुहूर्ते सञ्जाग्रच्छ्रियं वा पङ्कजं यथा ॥ - (भैषज्यसार 93)
(ब्राह्ममुहूर्त में उठने वाला पुरूष सौन्दर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओं को वैसे ही प्राप्त करता है जैसे कमल।)

ब्राह्ममुहूर्त की परिभाषा

आयुर्वेद में ब्राह्ममुहूर्त की परिभाषा ये है-

  • (१) रात्रेः चतुर्दशो मुहूर्तो ब्राह्मो मुहूर्तः। (रात्रि का १४वाँ मुहूर्त ब्राह्ममुहूर्त है।) (- अष्टाङ्गहृदयम् सूत्रस्थानम् 2.1 अरुणदत्तटीका) --
  • (२) रात्रेरुपान्त्यो मुहूर्तो ब्राह्मः। (रात्रि का अन्तिम मुहूर्त ब्राह्म है।) (अष्टाङ्गहृदयम् सूत्रस्थानम् 2.1 हेमाद्रिटीका)

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