ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र

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ब्रह्मोस
BrahMos
Брамос
Brahmos imds.jpg
नौसेना की एक प्रदर्शनी में ब्रह्मोस
प्रकार सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल
उत्पत्ति का मूल स्थान भारत
रूस
सेवा इतिहास
सेवा में नवंबर 2006
द्वारा प्रयोग किया भारतीय सेना
भारतीय नौसेना
भारतीय वायु सेना
उत्पादन इतिहास
निर्माता एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
इकाई लागत अमेरिकी $ 2.73 मिलियन
उत्पादन तिथि १२-जून-२००१[१] (प्रथम सफल परीक्षण)
संस्करण भूमि से प्रक्षेपित [२]
पनडुब्बी से प्रक्षेपित
लड़ाकू विमान से प्रक्षेपित
युद्धपोत से प्रक्षेपित
ब्रह्मोस - २
निर्दिष्टीकरण
वजन 3,000 किलो
2,500 किलो (लड़ाकू विमान से प्रक्षेपित संस्करण)
लंबाई 8.4 मीटर
व्यास 0.6 मीटर

वारहेड 200 किलोग्राम परम्परागत अर्ध कवच भेदी व परमाणु[३][६]

इंजन पहला चरण: ठोस प्रणोदन वर्धक (solid propellant booster)
दूसरा चरण: तरल ईधन रैमजेट
फेंकने योग्य प्रणोदक:-> ठोस प्रणोदन
मिश्रित प्रणोदन
तरल प्रणोदन
रैमजेट
क्रैमजेट
क्रायोजेनिक
परिचालन सीमा स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।[३]
उड़ान छत 14 कीमी[६]
उड़ान ऊंचाई समुद्र सतह से ३ से ४ मीटर तक उपर।[६][७]
गति स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। से स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।[२]
मार्गदर्शन प्रणाली उड़ान के समय पथप्रदर्शन ईनर्सियल नैविगेशन सिस्टम
एक्टिव रडार होमिंग द्वारा टर्मिनल पथप्रदर्शन
जी३ओएम का उपयोग करते हुए जीपीएस/ग्लोनास/भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली/गगन उपग्रह आधारित पथप्रदर्शन[४][५]
सटीकता 1 मीटर[८][९][१०]
प्रक्षेपण मंच युद्धपोत, पन्डुब्बी, लड़ाकू विमान(जाँच प्रक्रिया में) और भूमि स्थित अस्थायी प्रक्षेपक।
ब्रह्मोस विश्व की सबसे तीव्रगामी मिसाइल है।

ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है।

ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।

परिचय

ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र है। क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र उसे कहते हैं जो कम ऊँचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से रडार की आँख से बच जाती है। ब्रह्मोस की विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कि लगभग कहीं से भी दागा जा सकता है। यही नहीं इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस के मेनुवरेबल संस्करण का हाल ही में सफल परीक्षण किया गया। जिससे इस मिसाइल की मारक क्षमता में और भी बढोत्तरी हुई है।

ब्रह्मोस का विकास ब्रह्मोस कोर्पोरेशन किया जा रहा है। यह कम्पनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का सयुंक्त उपक्रम है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।

प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता। इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज़ मारक मिसाइल बनाती है। यहाँ तक की अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे फिसड्डी साबित होती है।[२]

मेनुवरेबल तकनीक

मेनुवरेबल तकनीक यानी कि दागे जाने के बाद अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले मार्ग को बदलने की क्षमता। उदाहरण के लिए टैंक से छोड़े जाने वाले गोलों तथा अन्य मिसाइलों का लक्ष्य पहले से निश्चित होता है और वे वहीं जाकर गिरते हैं। या फिर लेज़र गाइडेड बम या मिसाइल होते हैं जो लेजर किरणों के आधार पर लक्ष्य को साधते हैं। परंतु यदि कोई लक्ष्य इन सब से दूर हो और लगातार गतिशील हो तो उसे निशाना बनाना कठीन हो सकता है। यहीं यह तकनीक काम आती है। ब्रह्मोस मेनुवरेबल मिसाइल है। दागे जाने के बाद लक्ष्य तक पहुँचते पहुँचते यदि उसका लक्ष्य मार्ग बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना मार्ग बदल लेती है और उसे निशाना बना लेती है।

ब्रह्मोस की विशेषताएँ

  • यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है।
  • इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
  • यह मिसाइल तकनीक थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है।
  • यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती।
  • रडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है।
  • ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
  • आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
  • यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है।

भविष्य की योजना

ब्रह्मोस कोर्प। अगले 10 साल में करीब 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा। इन मिसाइलों को रूस से लिए गए सुखोई लड़ाकू जहाजों में लगाया जाएगा।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है, परंतु भविष्य में ब्रह्मोस-२ नाम से हाइपर सोनिक मिसाइल भी बनाई जाएगी जो 7 मैक की गति से वार करेगी। भारत अपनी स्वदेशी सबसोनिक मिसाइल निर्भय भी बना रहा है। ब्रह्मोस-२ करीब 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 290 किलोमीटर दूरी तक लक्ष्य भेद सकेगी।

लेकिन इससे अधिक दूरी की मिसाइल का विकास रूस के साथ मिलकर सम्भव नहीं है क्योंकि रूस अंतरराष्ट्रीय मिसाइल तकनीक नियंत्रण संधि (एमटीसीआर) का हस्ताक्षरकर्ता है। इससे वह 300 किमी से अधिक मारक क्षमता वाली मिसाइल के विकास में अन्य देशों को मदद नहीं दे सकता है।

परीक्षण

18 दिसम्बर २००९ को भारत ने गुरुवार को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के संयुक्त सैन्य उपक्रम ने किया है।

प्रक्षेपण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया, ब्रह्मोस मिसाइल को बंगाल की खाड़ी में एक युध्दपोत से प्रक्षेपित किया गया। परीक्षण को एक मोबाइल प्रक्षेपक से अंजाम दिया गया। मिसाइल ने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक भेद दिया।

यह पहली बार है जब ब्रह्मोस का प्रक्षेपण एक नए जहाज पर लगाए गए यूनीवर्सल वर्टिकल लांचर से किया गया। अधिकारी ने कहा, आज अधिकतर जहाजों पर वर्टिकल लांचर लगे हुए हैं ऐसे में ब्रह्मोस का यह परीक्षण काफी मायने रखता है।

क्षमता

मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है और यह 300 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री अपने साथ ले जा सकता है। मिसाइल की गति ध्वनि की गति से करीब तीन गुना अधिक है।

भारतीय नौसेना ने बृहस्पतिवार को 290 किलोमीटर तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को सफलतापूर्वक पहली बार लंबवत अवस्था में प्रक्षेपित किया। इसके साथ ही ब्रह्मोस दुनिया की पहली और एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बन गई है जिसे नौसैनिक प्लेटफार्म से लंबवत और झुकी हुई दोनों अवस्था में प्रक्षेपित किया जा सकता है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल को आज बंगाल की खाड़ी में एक भारतीय नौसैनिक जहाज से लंबवत-प्रक्षेपण अवस्था में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। यह परीक्षण राजदूत श्रेणी के चलित युद्धक जहाज से किया गया। प्रक्षेपण में इस्तेमाल लंबवत प्रक्षेपक की रचना और विकास भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस कार्पोरेशन ने किया।

सूत्रों के मुताबिक परीक्षण ने कार्पोरेशन द्वारा तैयार और विकसित नए वैश्विक लंबवत प्रक्षेपक को प्रदर्शित और साबित किया है।

सूत्रों ने कहा कि परीक्षण के उद्देश्यों को पूरी तरह हासिल किया गया है। प्रक्षेपण वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में संपन्न हुआ।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ