बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म
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बौद्ध धर्म और जैन धर्म भारत के दो प्राचीन धर्म हैं जिनकी जन्मस्थली मगध ([[वर्तमान समय का बिहार) है तथा दोनों ही धर्म आज भी फल-फूल रहे हैं। प्रायः जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी तथा बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध दोनों समकालिक माने जाते हैं।[१][२] दोनों धर्मों की बहुत सी मूलभूत बातें समान हैं। दोनों की धार्मिक शब्दावली एवं नैतिक सिद्धान्त समान हैं किन्तु उन पर अलग-अलग तरह से बल दिया गया है। [२] दोनों ही श्रमण परम्परा वाले धर्म हैं और दोनों का विश्वास है कि जन्म-मरण के चक्र (संसार) से मुक्ति पाना सम्भव है। साँचा:sfn
किन्तु इनके दर्शनों में अन्तर है- मध्यमार्ग बनाम अनेकान्तवाद ; जीव बनाम अत्त अनत्त। [२][३]
सन्दर्भ
- ↑ Dundas, Paul (2003). Jainism and Buddhism, in Buswell, Robert E. ed. Encyclopedia of Buddhism, New York: Macmillan Reference Lib. ISBN 0028657187स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।; p. 383
- ↑ अ आ इ साँचा:cite book
- ↑ [a] साँचा:cite book
[b] साँचा:cite book, Quote: "...anatta is the doctrine of non-self, and is an extreme empiricist doctrine that holds that the notion of an unchanging permanent self is a fiction and has no reality. According to Buddhist doctrine, the individual person consists of five skandhas or heaps—the body, feelings, perceptions, impulses and consciousness. The belief in a self or soul, over these five skandhas, is illusory and the cause of suffering."
[c] साँचा:cite book, Quote: "...Buddha's teaching that beings have no soul, no abiding essence. This 'no-soul doctrine' (anatta-vada) he expounded in his second sermon."