बॅल्फ़ोर घोषणा, १९२६

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(बॅल्फोर घोषणा, १९२६ से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
१९२६ की इम्पीरियल कॉन्फ़्रेन्स में रजा जॉर्ज पंचम, अपने तमाम प्रधानमंत्रियों के साथ
क्रमशः (बाएं से दाएं): वाल्टर स्टेनली मुनरो (न्यूफ़ाउंडलैंड), गॉर्डन कोट्स (न्यूजीलैंड), स्टेनली ब्रूस (ऑस्ट्रेलिया), जे बी एम हर्ट्ज़ोग (दक्षिण अफ्रीका संघ), डब्ल्यू टी कॉसवेव (आयरिश मुक्त राज्य)।
बैठे: स्टेनली बाल्डविन (यूनाइटेड किंगडम), किंग जॉर्ज पंचम, विलियम ल्यों मैकेंजी किंग (कनाडा)।

बॅल्फोर घोषणा(अन्य वर्तनी:बाल्फोर घोषणा), सन् 1926 की ब्रिटिश साम्राज्य की इम्पीरियल कॉन्फ़्रेन्स द्वारा घोषित घोषणा थी, जिसे यूनाइटेड किंगडम के तत्कालीन प्रधानमंत्री और सम्मलेन के अध्यक्ष, आर्थर बॅल्फोर के नाम से पारित किया गया था। यह दस्तावेज़ ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल की व्यवस्था और ब्रिटेन और उसके डोमिनियनों के बीच के संबंध, तथा राष्ट्रमंडल के अन्तर्व्यस्था को परिभाषित करने वाला सबसे अहम दस्तावेज़ है। इस के अनुसार, ब्रिटिश साम्राज्य के सारे परिराज्य, ब्रिटिश साम्राज्य के अंदर ही स्वायत्त व सार्वभौमिक इकाइयों के रूप में स्थापित होंगे, तथा, ब्रिटेन समेत सारे डोमिनियन, पद में पूर्णतः सामान होंगे, उनमें से कोई भी किसी भी प्रकार से ऊँचा या नीचा नहीं होगा, तथा यूनाइटेड किंगडम की संसद का इन परिराज्यों में से किसी भी राज्य पर किसी भी प्रकार का विधायिक अधिकार नहीं होगा। तमाम राष्ट्रमंडल प्रदेश, राजनैतिक रूप से एक-दुसरे से स्वतंत्र होंगे, और उनके बीच केवल एक कड़ी होगी: राजमुकुट के प्रति उनकी निष्ठा और वफ़ादारी। अर्थात साम्राज्य के भीतर के सारे राज्य पद में समान होंगे और पूर्णतः स्वाधीन और सार्वभौमिक होंगे, जबकि उनके बीच की एकमात्र कड़ी होगी, एक साँझा राजसत्ता और उसके प्रति निष्ठा। हालाँकि सारे राज्यों के सैद्धांतिक राष्ट्रप्रमुख का दर्जा ब्रिटिश संप्रभु को प्राप्त होगा, परंतु वास्तविक प्रमुख, संबंधित देश के महाराज्यपाल होंगे।

साँचा:asbox

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ