बुन्सेन बर्नर

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बुंसेन ज्वालक - (१) ज्वालक नली (२) वायु (३) नियंत्रक (४) गैस

बुन्सेन ज्वालक या बुन्सेन बर्नर (Bunsen Burner) एक विशेष प्रकार का गैस ज्वालक है। गैस को जलाने से पूर्व इसमें हवा की एक निश्चित मात्रा मिलाने की युक्ति होती है। ऐसा करने के लिए इसमें एक नली रहती हैं, जिसके आधार के पास पार्श्व में हवा आने के लिए छिद्र होते हैं। गैस नीचे की ओर से आती है। यदि गैस और हवा का ठीक अनुपात में मिश्रण हो, तो यह मिश्रण जलने पर तप्त, किंतु ज्योतिहीन तथा निर्धूम ज्वाला देता है। बुंसेन ज्वाला प्राप्त करने के लिए गैस और हवा का, आयतन के अनुसार, लगभग 3 : 1 का अनुपात होना चाहिए। इस प्रकार की ज्वाला के भीतरी निचले क्षेत्र में जलवाष्प, कार्बन मॉनोक्साइड, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण रहता है। ज्वाला के वाह्य दहन क्षेत्र में गैस और नाइट्रोजन पहुँचती है। गैस हवा की अधिक मात्रा के आने पर जल उठती है। ज्वाला और धौंकनी की सहायता से संगलन, अवकरण और ऑक्सीकरण की क्रियाएँ संभव हैं। कुछ धात्विक लवण इस रंगहीन ज्वाला को विशिष्ट रंग देते हैं।

चित्र:Bunsen burner.jpg
बुंसेन बर्नर

इस प्रकार के ज्वालक के आविष्कार का श्रेय बुन्सेन को दिया जाता है, परंतु बाद की खोजों से पता चला है कि इसका वास्तविक डिज़ाइन पीटर डेसगा (Peter Desdga) ने बनाया था और इनसे भी बहुत पूर्व इसी सिद्धांत पर माइकेल फैराडे ने एक समंजनीय गैस ज्वालक बनाया था। बुन्सेन ज्वाला उत्पन्न करने के इस सिद्धांत पर बने आज करोड़ों ज्वालक प्रयोगशालाओं में काम में आ रहे हैं।

हवा और गैस के मिश्रण और नियंत्रण की अलग अलग विधियों के कारण बुंसेन ज्वालक के अनेक भेद हो गए हैं, जिनमें ऊष्मा कम या अधिक और ज्वाला छोटी या बड़ी होती है। इनमें मेकर ज्वालक और फिशर ज्वालक (Fisher burner) अधिक प्रसिद्ध हैं। मार्शल ज्वालक में केंद्रीय गैस जेट संबंधी त्रुटियों को दूर करने के लिए गैस को पार्श्व से और हवा को नीचे से नली में प्रवेश कराते हैं। इसके नीचे की ओर एक नियंत्रक होता है। कोयला गैस, तेल गैस और ऐसेटिलीन गैस को जलाने के लिए भी बुन्सेन ज्वालक बनाए जाते हैं।

Different flame types of Bunsen burner depending on flow through the throat holes (holes on the side of the Bunsen burner -- not to be confused with the needle valve for gas flow adjustment). 1. air hole closed (Safety flame) 2. air hole slightly open 3. air hole half open 4. air hole almost open (this is the roaring blue flame)

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