बीजोपचार
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परिचय
फसलों के रोग मुख्यतः बीज, मिट्टी तथा हवा के माध्यम से फैलते हैंl फसलों को बीज-जनित एवं मृदा-जनित रोगों से बचाने के लिए बीजों को बोने से पहले कुछ रासायनिक दवाओं एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता बढाने के लिए कुछ जैव उर्वरकों से उपचारित किया जाता है। इसे बीजोपचार (seed treatment या seed dressing) कहते हैं।बीज उपचार गुणवत्तायुक्त भरपूर फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है, कि उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्मों के स्वच्छ, स्वस्थ और पुष्ट बीज से बुआई की जाये, बीज को निरोग एवं स्वस्थ बनाने के लिए उसे अनुशंसित रसायन या जैव रसायन से उपचारित करना होता है| बीज उपचार से बीज में उपस्थित आन्तरिक या वाह्य रूप से जुड़े रोगजनक (फफूद, जीवाणु, विषाणु एवं सूत्रकृमि) और कीट नष्ट हो जाते है, जिससे बीजों का स्वस्थ अंकूरण तथा अंकुरित बीजों का स्वस्थ विकास होता है|बीजोपचार को उत्पादन की प्रथम श्रेणी में रखा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। बीज की ऊपरी तथा अंदर की पर्तों में अनदेखी फफूँदी रहती है जो अवसर पाकर दूषित बीज के साथ भूमि में जाकर बीज के अंकुरण को प्रभावित करती है और रोगों की प्रारंभिक अवस्था को सफल बनाती है यदि बीज का उपचार कर दिया जाय तो ये अनदेखी फफूँदों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा और रोगों की प्रारंभिक अवस्था पर ही रोक लग जायेगी। अनुसंधान के परिणाम सामने हैं जिनसे पता लगता है कि जिस बीज का उपचार किया गया है उसमें अंकुरण संतोषजनक होता है और अच्छी पौध संख्या प्राप्त होती है। सभी जानते हैं कृषक भी मानते हैं कि अच्छा अंकुरण अच्छे उत्पादन का आईना होता है। साथ ही पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है| बीज उपचार की विभिन्न पहलुओं की विवेचना निम्न उल्लेखित है, जैसे-
बीज क्या है?
फसल के दाने का पूर्ण या आधा भाग जिसमें भ्रूण अवस्थित हो, अंकूरण क्षमता अच्छी हो, भौतिक तथा आनुवांशिक रूप से शुद्ध हो को बीज कहते हैं|
बीज उपचार क्या है?
बीज उपचार एक प्रक्रिया या विधि है, जिसमें पौधों को बीमारियों और कीटों से मुक्त रखने के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से उपचारित किया जाता हैं| पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है|
बीज के प्रकार
(1) न्यूक्लियस बीज (2) प्रजनक बीज (3) आधारीय बीज (4) प्रमाणित बीज (5) सत्यापित बीज| बीज उपचार आवश्यक क्यों- बीज उपचार आवश्यक इसलिए है, की प्रारंभ में ही बीज जनित रोगों और कीटों का प्रभाव न्यून या रोकने हेतु बीजोपचार आवश्यक है, क्योंकि यह उनसे होने वाले नुकासन को घटाता है, अन्यथा पौधों के वृद्धि के बाद इनको रोकने के लिए अधिक मूल्य खर्च करना पड़ता है और क्षति भी अधिक होती है|बीजों में अंदर और बाहर रोगों के रोगाणु सुशुप्ता अवस्था में (बीज जनित रोग), मिट्टी में (मिट्टी जनित रोग) और हवा में (वायु जनित रोग) मौजूद रहते हैं| ये अनुकूल वातावरण के मिलने पर उत्पन्न होकर पौधों पर रोग के लक्षण के रूप में प्रकट होते हैं|
बीज उपचार की विधियां
1. सुखा बीजोपचार 2. भीगे बीजोपचार 3. गर्म पानी बीजोपचार 4. स्लरी बीजोपचार
बीज उपचार कैसे करें
सुखा बीज उपचार: 1. बीज को एक बर्तन में रखें 2. उसमें रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा में मिलायें3. बर्तन को बन्द करें और अच्छी तरह हिलाएँ|4. मिश्रित बीज को धूप मे रखें | भीगे बीज उपचार: 1.पालीथीन चादर या पक्की फर्श पर बीज फैला दें2. हल्का पानी का छिड़काव करें3. रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा में बीज के ढेर पर डालकर उसे दस्ताना पहने हाथों से अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखा लें| स्लरी बीज उपचार: 1. स्लरी (घोल) बनाने हेतु रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा को 10 लीटर पानी की मात्र में किसी टब या बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिला लें|2. इस घोल में बीज, कंद या पौधे की जड़ों को 10 से 15 मिनट तक डालकर रखें, फिर छाया में बीज या कंद को सुखा ले तथा बुआई या रोपाई करें| गर्म पानी उपचार:1. किसी धातु के बर्तन में पानी को 52 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करें|2. बीज को 30 मिनट तक उस बर्तन में डालकर छोड़ दें, उपरोक्त तापक्रम पूरी प्रक्रिया में बना रहना चाहिए|3. बीज को छाया में सुखा लें उसके बाद बुआई करें|
रोग नियंत्रण या रोकथाम हेतु
जैव रसायन द्वारा
-1. ट्राइकोडर्मा- 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज 2. स्यूडोमोनास- 4 से 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
रसायन द्वारा
1. कार्बेन्डाजीम या मैंकोजेव या बेनोमील- 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|2. कैप्टान या थीरम- 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|3. फनगोरेन- 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|4. ट्रायसाइक्लोजोल- 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|
कीट नियन्त्रण हेतु-
1. क्लोरपायरीफॉस- 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज|2. इमीडाक्लोप्रीड या थायमेथोक्साम- 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|3. मोनोक्रोटोफास- 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज (सब्जियों को छोड़कर)|
पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु-
1. नेत्रजन स्थिरीकरण हेतु- राइजोबियम, एजोटोबेक्टर और एजोस्पाइरील- 250 ग्राम प्रति 10 से 12 किलोग्राम बीज|2. फास्फोरस विलियन हेतु- पी. एस. वी. (फास्फोवैक्टिरीया) 250 ग्राम प्रति 12 किलोग्राम बीज|3. पोटाश स्थिरीकरण हेतु- पोटाशिक जीवाणु- 250 ग्राम प्रति 10 से 12 किलोग्राम बीज|
बीजोपचार से लाभ
- अधिक अंकुरण
- अधिक प्रबल पौधे
- आरम्भिक रोगों का प्रभावी नियंत्रण
- स्वस्थ पौधों की संख्या अधिक होती है।
सावधानियाँ
१. बीजोपचार हेतु खरीदे गए रसायन की अंतिम तिथि अवश्य देख लें l
२. रोग के अनुसार ही सम्बंधित रसायन का चयन करें
३. रसायन का प्रयोग संस्तुत मात्रा में ही करना चाहिए, कम या अधिक मात्रा में नहीं l
४. बीजोपचार के बाद उपचारित बीज को कभी भी खुली धुप में नहीं सुखाना चाहिए अपितु छायादार स्थान पर ही सुखाना चाहिए l
५. बीजोपचार के बाद उपचारित बीज को ४ घंटे के अंदर बुवाई कर देना चाहिए l
६. बीज शोधन के समय हाथ में दस्ताने तथा चहरे पर साफ कपड़ा बांधना चाहिए बीज शोधन के पश्चात हाथ-पाँव व चहरा साबुन से भली-भांति धोना चाहिए l
प्रमुख बिंदु व आवश्यक जानकारी
1. बीजों में जीवाणु कलचर से बीज उपचार करने के लिए सर्वप्रथम 100 ग्राम गुड़ को 1 लीटर पानी में उबाल लेते हैं, जब यह एक तार के चासनी जैसा बन जाए, तब इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है, जब घोल पूरी तरह ठंडा हो जाए, तब इसमें 250 ग्राम कलचर को ठीक से मिला दिया जाता है| अब इस मिश्रित घोल को बीज के ढेर पर डालकर अच्छी तरह मिलाकर बुआई कर सकते हैं|2. राइजोबियम कल्चर फसल विशिष्ट होते हैं, इसलिए विभिन्न वर्गों के राइजोबियम को दिये गये फसलों के अनुसार ही उपयुक्त मात्रा में इन्हें प्रयोग किया जाना चाहिए|3. कल्चर से उपचारित बीज की बुआई शीघ्र करना चाहिए|4. बीजों पर यदि जीवाणु कल्चर प्रयोग के साथ-साथ फफूदनाशी या कीटनाशी रसायनों का प्रयोग करना हो तब सबसे पहले क्रमशः फफूदनाशी, कीटनाशी और जीवाणु कलचर का प्रयोग क्रमशः 8 से 10 घंटे के अन्तराल पर करने के उपरान्त एवं अन्त में 20 घंटे के बाद जीवाणु कलचर से बीज उपचार करना चाहिए|5. यदि जीवाणु कलचर प्रयोग के साथ-साथ फफूदनाशी और कीटनाशी रसायन का प्रयोग अनिवार्य हो तब कलचर की मात्रा दोगुनी करनी पड़ेगी| यदि कलचर पहले प्रयोग में लाया गया है, तो फफंदनाशी और कीटनाशी रसायनों का इस्तेमाल न करें तो ज्याद अच्छा होगा| [[https://dainikjagrati.com/%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%9C%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0/साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
संदर्भ
- [साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]](बीजोपचार: दैनिक जागृति)
- बीजोपचार का कृषि मे महत्व (कृषिसेवा)
- बीज उपचार : फसलोत्पादन की पहली सीढ़ी (कृषिसेवा)
- बीजोपचारसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] (एग्रोपीडिया)
- मटका विधि से करें बीजोपचार (दैनिक जागरण)
- [साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]]