बिहाग

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यह राग बिलावल थाट से उतपन्न होता है। इसके आरोह में रे और ध नहीं लगाते और अवरोह में सातों स्वर लगते हैं, इसलिये इसकी जाति औडव-सम्पूर्ण मानी जाती है। इसमें सब स्वर शुद्ध लगते है। कुशल संगीतज्ञ बड़ी कुशलता से इस राग में तीव्र म' का भी प्रयोग करते हैं। वादी स्वर ग और संवादी स्वर नी माना जाता है। Humein Kaise Malum hoga Waadi aur Samwadi Swar konse Hain. waadi Swar Humesha Raja Kehlata Hai aur Samwadi Swar Mantri .Raja Ka Padd Humesha Mantri se Uncha Hota Hai. Usi Prakar Gandhar( G) *Nishad (Ni) Se Bada Hota Hai .Matlab Gaayan Ke Samay Gandhar Pe Thehrna Hai Parantu Nishad se Kam Aur Nishad Pe Thehrwa dena Hai parantu Gandhar Se Adhik.

गाने-बजाने का समय रात का दूसरा प्रहर माना जाता है।

आरोह--नी़ सा ग म प नी सां।

अवरोह--सां नी धप, म'प ग म ग, रेसा पकड़-- नी़ सा ग म ग रेसा, प म' ग म ग रेसा।

सन्दर्भ

संगीत श्री- एन। सी। इ। आर। टी।