बाल संस्कार
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
शिशु के जन्म से लेकर उसके वयस्क होने तक उसे शिक्षित एवं संस्कारित करना पालन-पोषण या बाल संस्कार (पैरेन्टिंग) कहलाता है।
अधिकांश शिशु एवं बालक/बालिका अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। कुछ शिशुओं के साथ उनके दादा-दादी या नाना-नानी भी रहते हैं। किन्तु कुछ स्थितियों में सरकार या स्वयंसेवी संस्थायें बच्चों देखभाल करती हैं।
माता-पिता के कर्तव्य
शारीरिक सुरक्षा प्रदान करना
- भोजन, वस्त्र एवं आवास प्रदान करना
- शिशु को खतरों से बचाना
- शिशु को रोगों से बचाना
शारीरिक विकास
- बच्चे के लिये स्वास्थ्यवर्धक वातावरण प्रदान करना
- उन साधनों की व्यवस्था जो शारीरिक विकास के लिये आवश्यक हैं।
- बच्चे को खेलों में से परिचित कराना एवं प्रशिक्षित करना
- स्वास्थ्यकर आदतें विकसित करना
मानसिक सुरक्षा प्रदान करना
- शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करना
- घर में न्यायप्रद वातावरण देना
- ऐसा वातावरण देना जिसमें कोई डर, धमकी या बच्चे के साथ कोई दुराचरण न हो
- बच्चे को दुलार
मानसिक विकास के लिये प्रयत्न करना
- पढना, लिखना, गणना करना सिखाना
- मानसिक खेल
- सामाजिक दक्षता एवं संस्कार
- नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास
बाहरी कड़ियाँ
- 'बाल संस्कार केन्द्र' पाठ्यक्रम - बाल-संस्कार पर हिन्दी में सम्पूर्ण सामग्री
- Encyclopedia on Early Childhood Development
- National Effective Parenting Initiative
- Center for The Improvement of Child Caring
- One Plus One
- Prevent Delinquency Project
- Resource network for adoptive parents and their children