बाल्सम

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कुछ पेड़-पौधों से नि:स्राव (exude) निकलता है। कुछ से तो स्वत: निकलता है और कुछ से छेदने या काटने से निकलता है। इनमें से कुछ नि:स्रावों को बाल्सम (Balsam) कहते हैं। बाल्सम में रेज़िन, अल्प मात्रा में गोंद, कुछ वाष्पशील तेल और विभिन्न मात्राओं में सौरभिक अम्ल और उनके एस्टर रहते हैं। यदि नि:स्राव में वाष्पशील तेल की मात्रा अधिक और ठोस सौरभिक अम्ल की मात्रा बिल्कुल न हो तो ऐसे नि:स्राव को 'ओलिओरेज़िन' कहते हैं।

बाल्सम साधारणतया श्यान द्रव, अथवा अर्ध ठोस, होता है। इसमें विशेष सौरभ होता है और तीक्ष्ण, पर कुछ रुचिकर स्वाद होता है। सौरभ प्रदान करनेवाले पदार्थ बेंज़ोइक, सिनेमिक और इसी प्रकार के अन्य कार्बनिक अम्ल और उनके एस्टर हैं। बाल्सम कई प्रकार के होते हैं, जिनमें बेंज़ोइन (लोबान), पेरू बाल्सम, स्टोरैक्स, टोलूबाल्सम, जैंथोरिया, कैनाडा बाल्सम और कोपैबा बाल्सम महत्व के हैं।

बेंज़ोइन

बेंज़ोइन को अरबी भाषा में लोबान तथा संस्कृत में 'देवधूप' कहते हैं। यह पेड़ों से प्राप्त होता है। ये पेड़ कोरिया, सुमात्रा, जावा आदि द्वीपों में पाए जाते हैं। व्यापार का लोबान कोरिया, सुमात्रा, पलेम्वांग, पाडांग और पेनांग बाल्सम के नामों से ख्यात है। सब बाल्सम संगठन में एक से नहीं होते। उनमें विभिन्नता पाई जाती है।

बेंज़ोइन पेड़ों से स्वत: नहीं निकलता। पेड़ों के तनों को कुल्हाड़ी से गहरा काटने से जो कटाव बन जाता है, उससे बाल्सम निकलकर इकट्ठा होता है। पर्याप्त कठोर हो जाने पर इसका निर्यात होता है। छोटे छोटे टुकड़ों अथवा कुंदों में यह बाहर भेजा जाता है। अच्छे किस्म के बाल्सम में मंद, रुचिकर गंध होती है। निम्न कोटि के सुमात्रा बेंज़ोइन को 'पेनांग बेंज़ोइन, कहते हैं। पलेम्वांग बेंज़ोइन भी सुमात्रा से ही आता है। ये बेंज़ोइन धूप के लिए उपयुक्त होते हैं।

व्यापार के बेंज़ोइन में बहुत से बाह्य पदार्थ मिले रहते हैं। यदि उसमें कोई मिलावट न हो, तो गंध और ऐल्कोहॉल में विलेयता उसकी पहचान है।

बेंज़ोइन में प्राय: २० प्रति शत सिनेमिक अम्ल और १० से १५ प्रतिशत बेंज़ोइक अम्ल, प्रधानतया एस्टर के रूप में रहते हैं। इनके अतिरिक्त स्टाइरिन, वेनिलिन, फिनोल-प्रोपील सिनेमेट, सिनेमिल सिनेमेट, बेंज़ोरेसिनोल सिनेमेट, बेंज़ल्डीहाइड और बेंज़ीन (लेश) रहते हैं। कोरिया के बेंज़ोइन में सिनेमिक अम्ल बिल्कुल नहीं होता।

ओषधियों में प्रयुक्त होनेवाले बाल्सम में निम्नलिखित विशेषताएँ रहनी चाहिए :

  • १. इसमें असंयुक्त बाल्सेमिक अम्ल १९ प्रतिशत से कम और २९ प्रतिशत से अधिक नहीं रहना चाहिए।
  • २. समस्त बाल्सेमिक अम्ल ३० प्रतिशत से कम और ६० प्रतिशत से अधिक नहीं रहना चाहिए।
  • ३. ९० प्रतिशत ऐल्कोहॉल से निकर्षण के बाद १००° सें. पर सूखा अवशिष्ट अंश २० प्रतिशत से अधिक नहीं रहना चाहिए।
  • ४. ऐल्कोहॉल में विलेय अंश का अम्लमान ११५-१६३, एस्टरमान ४७-८३ और साबुनीकरण मान १६९-२२३ रहना चाहिए। राख की प्रतिशतता दो से अधिक नहीं रहनी चाहिए।

बेंज़ोइन का उपयोग ओषधियों और सुगंधित द्रव्यों के निर्माण में होता है।

पेरू बाल्सम

यह भूरे रंग का छोए जैसा श्यान द्रव है। इसमें प्रबल रुचिकर और बाल्सम सी गंध होती है। सुगंधित द्रव्यों के निर्माण और अल्प मात्रा में ओषधियों में इसका उपयोग होता है। इससे नकली ऐंबर भी बनता है। इसका आपेक्षिक घनत्व १.१४ से १.१७ और अपवर्तनांक १.५८० से १.५८६ है। इसमें बाल्सम एस्टर ५३ प्रतिशत से कम नहीं रहना चाहिए।

पेड़ की छाल को झुलसाने के बाद बाल्सम निकलता है, जो तने में लपेटे कपड़ों में इकट्ठा होता है। इस कपड़े के निचोड़ने से बाल्सम प्राप्त होता है। जल के साथ उबालने से इसका शोधन होता है।

स्टोरैक्स

टर्की देश में एक पेड़ होता है, जिसके छेवने या पीटने से बाल्सम निकलता है। यह पारांध, धूसर रंग का श्यान द्रव होता है, जिसमें पेड़ की कुछ छाल मिली रहती है। इसमें २० से ३० प्रतिशत जल रहता है। ओषधियों में इसका व्यवहार होता है। ब्रिटिश फार्माकोपिया के अनुसार इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ रहनी चाहिए : जल ऊष्मक पर एक घंटा सुखाने पर जो नमूना प्राप्त होता है, उसमें ३० प्रतिशत बाल्समिक अम्ल रहना चाहिए। जल ऊष्मक पर सुखाने से ५ प्रतिशत से अधिक का ह्रास नहीं होना चाहिए। सूखे नमूने का अम्लमान ५५ से ९०, एस्टरमान १०० से १३२ और साबुनीकरण मान १७० से २०० रहना चाहिए।

टोलू बाल्सम

वेनिज़्वीला, एक्वाडॉर और ब्राज़ील में पाए जाने वाले एक पेड़ के तने से यह बाल्सम प्राप्त होता है। यह कोमल, पर दृढ़, रेज़िन सा पदार्थ है, जो रखने पर कड़ा और जाड़े में भंगुर हो जाता है। इसका स्वाद खट्टा और गंध रुचिकर होती है। सुगंधित द्रव्यों के निर्माण में इसका व्यवहार होता है। गंधों के स्थायीकारक के रूप यह काम आता है। इसमें १० से १५ प्रतिशत असंयुक्त सिनेमिक अम्ल और सात से दस प्रतिशत असंयुक्त बेंज़ोइक अम्ल रहता है। सिनेमिक और बेंज़ोइक अम्लों के बेंज़ील एस्टर इसमें आठ प्रतिशत तक रहते हैं। वेनिलिन का लेश रहता है। यह ऐल्कोहॉल, बेंज़ीन, क्लोरोफार्म, ईथर और ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल में विलेय होता है।

जैंथॉरिया (Xanthorrhoea) बाल्सम

ऑस्ट्रेलिया में एक पेड़ होता है, जिससे यह बाल्सम निकलता है। इस बाल्सम को 'ऐकेरायड' (acaroid) रेज़िन भी कहते हैं। यह लाल और पीला, दो रंग का होता है। इसमें सुंगध होती है और सुगंधित द्रव्यों के निर्माण में बेंज़ोइन, स्टोरैक्स और टोलू बाल्सम के स्थान में प्रयुक्त हो सकता है। यह धूप के लिए भी व्यवहृत होता है और मोहर के सस्ते चपड़े के निर्माण में काम आता है। दोनों रंग के बाल्सम एक ही संगठन के होते हैं। अवयवों की विभिन्नता से रंग में अंतर आ जाता है। एक में सिनेमिक अम्ल रहता और दूसरे में पाराकुमेरिक अम्ल। इससे पिक्रिक अम्ल बन सकता है।

इन्हें भी देखें