बहेलिया
अहेरिया राजपूत भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में पाई जाने वाली एक हिंदू जाति है ।[१][२][३]
उत्पत्ति
यह शिकारी और पक्षी पकड़ने वालों का एक आदिवासी समुदाय हैं, और उनके नाम की उत्पत्ति संस्कृत के विदयका से हुयी है, जिसका अर्थ है बींधना । वे मुख्य रूप से पक्षियों को पकड़ने, मधुमक्खियों से शहद निकालने और बेना (हवा करने का यन्त्र) के निर्माण के लिए मोर पंख उठाते हैं।
वर्तमान परिस्थिति
पारंपरिक रूप से बहेलियों की आर्थिक गतिविधि पक्षी को पकड़ने और शहद बेचने के इर्द-गिर्द घूमती थी। इसके अलावा, उनकी मुख्य आर्थिक गतिविधि मोर पंख से बेना का निर्माण करना है। इन बेनों को फिर बनिया बिचौलियों को बेच दिया जाता है, जो उन्हें कोलकाता और दिल्ली जैसे शहरों में बेचते हैं। उनकी प्रत्येक बस्ती में एक अनौपचारिक जाति परिषद होती है, जिसे बिरादरी पंचायत के रूप में जाना जाता है। इसमें पाँच सदस्य शामिल हैं जो समुदाय के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। पंचायत सामाजिक नियंत्रण के साधन के रूप में कार्य करती है जो तलाक और व्यभिचार जैसे मुद्दों पर कार्य करती है ।
उत्तर प्रदेश के लिए भारत की 2011 की जनगणना ने बहेलिया आबादी को 143,442 के रूप में दिखाया।[४]
संदर्भ
- ↑ People of India Uttar Pradesh Volume XLII Part One edited by A Hasan & J C Das pages 112 to 116 Manohar Publications
- ↑ People of India Hayana Volume XXIII edited by M.L Sharma and A.K Bhatia pages 122 to 125 Manohar
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web