कर्मनाशा नदी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(बनवारीदास से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
कर्मनाशा नदी
Karmanasa River
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
साँचा:location map
Native nameसाँचा:native name checker
Location
देशसाँचा:flag/core
राज्यउत्तर प्रदेश, बिहार
Physical characteristics
साँचा:infobox
Mouthगंगा नदी
 • location
चौसा,बक्सर ज़िला, बिहार
 • coordinates
साँचा:coord
Lengthसाँचा:convert साँचा:error

साँचा:template other

कर्मनाशा नदी (Karmanasa River) भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में बहने वाली एक नदी है। यह गंगा नदी की एक उपनदी है। इसकी उत्पत्ति बिहार के कैमूर ज़िले में होती है और फिर यह बहते हुए बिहार व उत्तर प्रदेश की सीमा निर्धारित करती है। इसकी बाई (पश्चिमी) ओर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चन्दौली, वाराणसी और गाज़ीपुर ज़िले हैं, जबकि दाई (पूर्वी) ओर बिहार के कैमूर और बक्सर हैं। नदी की कुल लम्बाई 192 किमी है और इसके जलसम्भर क्षेत्र में 11,709 वर्ग किमी आता है। उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले के बाड़ा गाँव और बिहार के बक्सर ज़िले के चौसा गाँव के समीप यह गंगा में विलय हो जाती है।[१][२][३][४]

विवरण

कर्मनाशा नदी पर राज दरी देव दरी जलप्रपात है, जिसकी ऊँचाई ५८ मी है। इसका मिथकीय इतिहास भी है। कहते हैं त्रिशंकु के स्शरीर स्वर्गारोहण की कथा से संबंधित है।इस नदी के किनारे उत्तर प्रदेश के चन्दौली जिला के चाकिया तहसील के पीतपूर मेें महान सन्त बनवारीदास की समाधी है जो 12 वीं सदी के महान समाज सुधारक थे। इस नदी पर उत्तर प्रदेश में कई बांध हैं। मूसाखाड सबसे बडा बांध है।इसी नदी के किनारे नौगढ का किला चन्द्रकान्ता गेस्ट हाऊस भी है तथा पूर्व बनारस स्टेट के अनेक निर्माण मौजुद हैंं जो काफी रोमान्चक व ईतिहास से भरे हैंं।

यह नदी बिहार और उत्तर प्रदेश को विभाजित करती है। इस नदी के किनारे बाबा लतीफ साह व बाबा बनवारी दास के समाधि स्थल पर भगवान श्री कृष्ण के बरही के उपलक्ष में ऋषि पंचमी के दिन जनपद चंदौली के तहसील चकिया अंतर्गत ग्राम पीतपुर में तीन दिवसीय बड़े मेले का आयोजन होता है तथा सितंबर माह के 6 व 7 सितंबर को बड़े हर्ष उल्लास के साथ बाबा बनवारी दास का वार्षिक सिंगार भी होता है

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ