बदलते रिश्ते
अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र से साभार.... रिश्तों में रिसाव या दरार होने से बचाएं। रिश्ते बनाएं तो आखिरी दम तक निभाओ। यही बफादारी, होशियारी है। दोस्ती-यारी, यार से हो या नारी से उसे कभी धोखा मत दो और जब तुमसे कोई छल-कपट, वेबफाई करें, तो हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ दो। कुछ इस तरह….
तोड़ दिया रिश्ता तेरी, जुल्फों-जटा से! अब सैंकड़ो बल खाये, मेरी बला से!!
■ जीवन में रिश्ते बनने के बाद अक्सर रिसाव शुरू हो जाते हैं। संस्कृत शब्द कोष के मुताबिक रिश्ते के अनेक अर्थ हैं- रिसाव, रिसना, खाली होना, झुकाव, सम्बन्ध, अपनापन, त्याग आदि
रिश्ते निभाने के लिए इन 5 चीजों से सदैव दूर रहें या फिर अपनाएं… 【१】लोन (Loan) अर्थात आपस में कर्ज न लेवें। 【२】टोन- यानी वाणी में मिठास रखें 【३】कौन- मतलब आपस में एक दूसरे के सम्बंध के बारे न पूछे कि फलां व्यक्ति कौन है या था। 【४】फ़ोन- आजकल मोबाइल चल रहे हैं। फुर्सत के पलों में जब सब लोग बात कर रहें। तब मोबाइल से दूरी बनाये रखें। 【५】नोन- अर्थात नमक कम खाएं अन्यथा बीपी बढ़ेगा, तो विवाद होगा। ■ रिश्ते भले ही नए न बने, कोई बात नहीं। पर पुराने टूट न जाएं इसका ध्यान रखें। ■ रिश्तों में यह ख्याल रखें कि- जहर से आदमी मरता है, लेकिन कानों में डाला गया विष व्यक्ति के रिश्ते तबाह कर देता है। ■ रिश्तों किसी पर अधिक भरोसा और ज्यादा अपेक्षा रखने से वह टूट जाते हैं। ■ रिश्ता होने मात्र से नहीं बनता। यह निभाने से बनता है। ■ यारी-रिश्तेदारी में सहजता-सरलता और सहनशक्ति बहुत जरूरी हैं। ■ एक नए कही-दूजे ने मानी। खुश रहने की यही निशानी। ■ वाली वात, तभी चरितार्थ हो पाएगी जब साफ-सुथरी बात करें तथा आपस में स्वार्थ न रखें। ■ अक्सर रिश्तों में ऐसा होता है कि- ■ मीठा-मीठा हप्प एवं कड़वा- कडवा थू…. ■ रिश्तों को बनाये रखने के लिए- कभी गूंगा, कभी बहरा और कभी-कभी अंधा भी बनना पड़ता है।
बदलते रिश्ते या किसे अपना कहें ज़िंदगी पर प्रसारित होने वाला एक धारावाहिक है। यह धारावाहिक 28 मई 2015 से शुरू हुआ।[१]
कलाकार
- शब्बीर जन
- रूबीना अशरफ
- अरीज़ फातिमा
- ईशिता महबूब - इकरा
- हिबा अली
- इकरा अज़ीज़
- दनिश टाईमूर
- हसन अहमद
- हसन नियाजी
- सलीम माइराज
- हुमायूँ अशरफ
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।