बटुक भैरव

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

बटुक भैरव या बटुक भैरवनाथ भगवान शिव के भैरव अवतार के बाल रूप हैं। ये अपने भक्तों को अभय सौभाग्य देने के लिए प्रसिद्ध हैं। ये देवी काली के पुत्र माने जाते हैं तथा भैरव के समान ही इनका वर्ण भी नीला है तथा इनका वाहन भी कुत्ता है। बटुक भैरव का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में है।

निहित कथा

बटुक भैरव की उत्पति के पीछे दो कथाएं बताई जाती है।

पहली कथा

एक कथा के अनुसार भगवान शंकर का अंधकासुर नामक एक असुर पुत्र हुआ जिसका पालन पोषण असुरों के राजा हिरण्यकशिपु के छोटे भाई हिरण्याक्ष ने किया था और बड़े होने पर उसने कैलाश पर आक्रमण किया था। उसके संहार के लिए भगवान शिव की रुधिर की धारा से भैरव की उत्पत्ति हुई और बाद में धारा के दो भाग हो गए। पहले हुए बटुक भैरव जो आज भैरवनाथ का बाल और सौम्य रूप माना जाता है और दूसरे हुए काल भैरव जो भैरवनाथ का युवा और क्रोधित रूप माना जाता है।

दूसरी कथा

एक अन्य कथा के अनुसार असुरों को मारने के बाद भी देवी काली का क्रोध शान्त नहीं हुआ उनके क्रोध को शान्त करने के लिए भगवान शिव ने भैरव को बालक रूप में आने के लिए कहा। भगवान भैरव ने एक बालक का रूप लिया और माता काली के क्रोध को शान्त करने के लिए उनकी ममता को जगाया।