बगड़ावत
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मारवाड ( राजस्थान ) को पहले गुर्जरो द्वारा शासित होने की वजह से ही गुर्जरात्रा - गुर्जर राष्ट्र कहा जाता था । आठवीं से दसवीं शताब्दी बगड़ावत गुर्जरों का राज था जिनका मूल स्थान अजमेर के पास नाग पहाड़ हुआ करता था। बगड़ावत चौहान वंश में एक महान वीर तपस्वी और महादानी राजा सवाईभोज हुए l
अजमेर के चौहान राजवंश के ही एक राजकुंवर मांडल रावत ने ही बगड़ावत वंश की स्थापना की थी l इन्होंने अपनी राजधानी अजमेर से बिजनौर को बनाई थी और उसके बाद इनके पुत्र बाग रावत जी ने बिजनौर से बगड़ावत वंश की राजधानी बदनोर को बनाई थी तथा बदनोर क्षेत्र ही इनके नाम से जाना जाता था और बदनोर का किला भी राजा बागरावत चौहान जी ने ही स्थापित किया था l पुष्कर इनका तीर्थ स्थल हुआ करता था तथा शिवजी इनके कुलदेवता माने जाते थे l इनका राज्य भीलवाड़ा से आसींद पुष्कर बदनोर अजमेर और मारवाड़ तक फैला हुआ था l कुछ सालों बाद बाघ रावत जी ने अपने पुत्र सवाईभोज जी को राजगद्दी सौंपकर खुद सन्यास व्रत में चल गए तथा बदनोर में अपनी 12 रानियों के साथ रहने लगे l महाराजा सवाई भोज बड़े वीर और बलवान और साहसी शासक हुए जिन्होंने 12 साल तक भगवान शिव जी की तपस्या की और भगवान शिवजी को प्रसन्न कर कर प्रकट किया इनका राज्य काल 900 ईसवी के आसपास माना जाता है इनके चौबीस भाई भी थे जो अलग-अलग शाखा पर राज कर रहे थे l बाबा रूपनाथ जी इन के कुल के गुरु हुए जो काफी प्रसिद्ध है l शिव जी द्वारा महाराजा भोज को काफी शक्ति प्राप्त हुई और धन दौलत भी जो बहुत ही महत्वपूर्ण थी l उस समय गुर्जर बगड़ावतों का यश पूरे मारवाड़ तथा मालवा तक फैल गया था और उनकी कृति देश विदेश में सुनाई जाती थी l बगड़ावत वीर काफी धनी थे जो गरीबों को काफी दान किया करते थे l