बकासुर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.


बकासुर एक राक्षस जो की महाभारत युद्ध का एक चरित्र था। बकासुर का वध पवनपुत्र पुत्र भीमसेन ने किया था।

महापुरुष का कहना है कि एकचक्रनगरी के शहर में एक छोटा सा गांव, उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में रहता था वर्तमान में चक्रनगरी को चकवड़ के नाम से जाना जाता है। बकासुर मुख्यतः तीन स्थान में रहता था जो द्वैतवन के अंतर्गत आता था। पहला चक्रनगरी, दूसरा बकागढ़, बकासुर इस क्षेत्र में रहता था इसलिए इस स्थान का नाम बकागढ़ पड़ा था किन्तु वर्तमान में यह स्थान बकाजलालपुर के नाम से जाना जाता है जो कि इलाहाबाद जिले के अंतर्गत आता है। तीसरा और अंतिम स्थान जहां राक्षस बकासुर रहता था वह था डीहनगर,जिला प्रतापगढ़ के दक्षिण और इलाहाबाद जिला ले उत्तर में बकुलाही नदी के तट पर बसा है। इस स्थान को वर्तमान में ऊचडीह धाम के नाम से जाना जाता है। लोकमान्यता है कि इसी जगह राक्षस बकासुर का वध भीम ने अज्ञातवास के दौरान किया था।

बकासुर का वध

जब महाभारत काल मे पांडव पुत्र युधिष्ठिर, भीमसेन , अर्जुन, नकुल, सहदेव तथा उनकी माता अज्ञातवास मे थे, तब भीमसेन और उनके भाई भटकते भटकते एक गांव मे पहुंच गये, जहा बकासुर नाम के एक विशालकाय राक्षस का आतंक था। वह राक्षस उस गांंव के नागरिको को त्रस्त करता था। उनको कहता था कि हर गांंव वाले मेंं से कोई न कोई उसके लिये भोजन लेकर आयेगा, नही तो वो गांंव मे आकर लोगो को उठाकर खा लेगा। चिंतित ग्रामीणों ने बकासुर के आतंक से बचने हेतु उस को भोजन पहुचाना प्रारंभ किया। हर रोज कोई न कोई गांंव वाला बकासुर के लिए उसकी गुफा मे भोजन ले जाता था। भीम तथा उनके भाई भी उसी गांंव मे रह रहे थे, भीमसेन को जब बाकासुर के आतंक के बारे मेंं पता चला तो उनको उसका सामना करने और बकासुर के आतंक से गांंव वालोंं को मुक्त कराने की इच्छा हुई। जब पांडव पुत्र भीमसेन की बारी आई, बकासुर के पास उसको भोजन पहुँँचाने की तो भीम चल पड़े बकासुर की गुफा की ओर, जो जंगल मे स्थित थी।

जब भीमसेन बकासुर के सामने पहुँच गये तो बकासुर ने उनसे कहा कि तुम लेकर आये हो भोजन मेरे लिये? भीमसेन ने कहा मैं भोजन लेकर नहीं आया हूंँ, अपितु तुम्हारे आतंक से गावं वालोंं को मुक्त करने आया हूँ। इसके बाद बकासुर का भीमसेन के साथ युद्ध हुआ और महाबली भीमसेन ने बकासुर का वध कर दिया.