बंगलौर विश्वविद्यालय

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Bangalore University
चित्र:Bangalore-University-Logo.jpg

आदर्श वाक्य:Gyaanam, Vigyanam Sahitam
स्थापित1886
प्रकार:Public
कुलाधिपति:Governor - Shri Bhardwaj, Shri Hans Raj
कुलपति:Dr. A.N Prabhu Deva
अवस्थिति:Bangalore, Karnataka, India
परिसर:Urban
सम्बन्धन:UGC
जालपृष्ठ:bub.ernet.in

बैंगलोर विश्वविद्यालय (BU) एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है, जो कर्नाटक राज्य, भारत के बैंगलोर शहर में स्थित है। यह विश्वविद्यालय भारत के पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है जिसकी स्थापना सन 1886 में हुई थी तथा यह भारत के अग्रणी बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय, भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (AIU) का एक भाग है तथा 'उत्कृष्टता के लिये संभावित' (Potential for Excellence) की प्रतिष्ठा के नजदीक है जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा निर्देशों के अनुसार भारत के 10 शीर्ष विश्वविद्यालयों के लिये आरक्षित है।

विश्वविद्यालय, प्रतिष्ठित विदेशी तथा स्थानीय विश्वविद्यालयों, संगठनों तथा संस्थाओं के साथ एमओयू के द्वारा शोध कार्य में संलग्न है। इसके कई विभाग उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में UGC द्वारा चिन्हित किये गये हैं।

इतिहास

विश्वविद्यालय का दृश्य

सन 1886 में ब्रिटिश सरकार द्वारा विश्वविद्यालय डिग्री प्रदान करने के लिये सेन्ट्रल कॉलेज, बैंगलोर के नाम से यह विश्वविद्यालय प्रारंभ किया गया था। बैंगलोर शहर में उच्च शिक्षा संस्थानों को संगठित करने के लिये उस समय के मैसूर राज्य के अधीन सरकार के माध्यम से UGC द्वारा 10 जुलाई 1964 को इसे सेन्ट्रल कॉलेज, बैंगलोर से बैंगलोर विश्वविद्यालय के रूप में पुनः नामित किया गया।

विश्वविद्यालय इस समय अपने दो बड़े परिसरों से परिचालित होता है।सेन्ट्रल कॉलेज परिसर तथा ज्ञान भारती परिसर प्रमुख परिसर हैं जहाँ से विश्वविद्यालय की प्रशासकीय तथा शैक्षणिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं। विश्वविद्यालयीन शोध तथा शिक्षा दोनों ही परिसरों के विभिन्न विभागों में संचालित होते हैं।

बैंगलोर की दो मूल संस्थाऐं, सेन्ट्रल कॉलेज, बैंगलोर (1886 में स्थापित) तथा यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (UVCE) (1912 में स्थापित) को इस विश्वविद्यालय के आधीन कर दिया गया। 1975 के कर्नाटक राज्य विश्वविद्यालय अध्यादेश, जो कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाने के उद्देश्य से जारी किया गया था, के प्रकाशन के बाद विश्वविद्यालय ने अपनी संघीय विशेषता खो दी तथा राज्य संबद्ध विश्वविद्यालय बन गया। 1973 में विश्वविद्यालय, ज्ञान भारती परिसर में स्थानांतरित साँचा:convert हुआ।

बैंगलोर विश्वविद्यालय ने 20वीं शताब्दी के दौरान निरंतर प्रगति तथा विस्तार किया तथा बाद में विश्वेश्वरैया तकनीकी विश्वविद्यालय, राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय तथा नेशनल इन्सटीट्यूट मेन्टल हेल्थ तथा न्यूरो साइन्स जैसे विश्वविद्यालयों को जन्म दिया तथा उनका पोषण किया।

इन्स्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडीसिन (IAM) विश्वविद्यालय का मान्यता प्राप्त संस्थान है जिसे इसरो (ISRO) ने चन्द्रमा की सतह पर उतरने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिये अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण हेतु सम्मिलित किया है।

बैंगलोर विश्वविद्यालय को अंतरिक्ष विज्ञान में शोध के लिये ISRO द्वारा 'सर एम विश्वेश्वरैया चेअर' से भी नवाजा गया है।

भारत के विश्वविद्यालयों में से सबसे अधिक संख्या में पीएच.डी. धारकों को तैयार करने के कारण इस विश्वविद्यालय ने विदेशी विश्वविद्यालयों में अच्छी प्रतिष्ठा स्थापित की है। परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।

विश्वविद्यालय विभाग

बंगलौर विश्वविद्यालय के पास चार घटक कॉलेजों पर अधिकार गया है:
1. सेन्ट्रल कॉलेज
2. यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
3. यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय
4. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ के फिजिकल एजुकेशन (शारीरिक शिक्षा)

विश्वविद्यालय का शहर परिसर

शैक्षणिक रूप से विश्वविद्यालय 06 संकायों में गठित हैः कला, विज्ञान, वाणिज्य तथा प्रबन्ध, शिक्षा, कानून तथा अभियान्त्रिकी.

बैंगलोर विश्वविद्यालय के 473 संबद्ध महाविद्यालय (जिसमें से 88 में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है) तथा कई अन्य केन्द्र तथा उच्च शिक्षा तथा अनुसंधान निदेशालय है। कोलार में (1994-95के दौरान प्रारंभ) 41 स्नातकोत्तर विभाग तथा 01 स्नातकोत्तर केन्द्र है जो 51 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।

विश्वविद्यालय अपने कुछ शैक्षणिक कार्यक्रमों को अतिरिक्त संकायों के माध्यम से संचालित करता है जिसमें चिकित्सा, मेन्टल हेल्थ न्यूरो साइंसेस, ऑन्कोलॉजी, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी सम्मिलित है। ये कार्यक्रम 42 स्नातकोत्तर विभागों तथा शोध तथा शैक्षणिक सहायता प्रणालियों के अन्य केन्द्रों के माध्यम से संचालित होते हैं।

विश्वविद्यालय 'पत्राचार पाठ्यक्रम तथा दूरस्थ शिक्षा निदेशालय' के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा प्रदान करता है। इस विभाग के माध्यम से विद्यार्थी स्नातक, स्नातकोत्तर, स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम पूर्ण कर सकते हैं।

बंगलौर विश्वविद्यालय भारत के बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है जिसके विभिन्न महाविद्यालयों में लगभग 30000 छात्र नामांकित हैं।

विशिष्टतायें

इंजीनियरिंग का स्कूल

डॉ॰ एन. प्रभुदेव वर्तमान कुलपति हैं। वर्ष 2001 में, विश्वविद्यालय NAAC द्वारा अभिप्रमाणित हुआ एवं इसे पाँच सितारा दर्जा प्राप्त हुआ। उसके उपरांत विश्वविद्यालय को नई ग्रेडिंग प्रणाली के तहत पुनः ग्रेड 'ए' प्राप्त हुआ। यह सिद्ध करता है कि यह विश्वविद्यालय भारत के ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों में से एक है।

विश्वविद्यालय को भारत के सर्वप्रथम अनुसंधान संस्थानों में से एक होने का गौरव प्राप्त है। यह विश्वविद्यालय भारत के विश्वस्तरीय अनुसंधान विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है। वर्ष 1886 में इसके प्रारंभ से लेकर अब तक कई भूतपूर्व छात्र एवं अनुसंधान अध्येता वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं एवं विश्वभर में विश्वविद्यालयों एवं संगठनों में कार्य कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय ने अपने पूरे इतिहास काल के दौरान कई महान छात्रों को तैयार किया है। बंगलौर विश्वविद्यालय के सेन्ट्रल कॉलेज को विश्वभर में विद्वानों की पीढ़ी तैयार करने की प्रतिष्ठा प्राप्त है।

नोबेल पुरस्कार प्राप्त भौतिकविद् सर सी.वी. रमन, भारतीय विज्ञान संस्थान में कार्य करने के दौरान इस विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे.उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर से ही वर्ष 1927 में अपने नोबेल पुरस्कृत कार्य की घोषणा की थी। उन्हें वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रो॰ लियोनिड हर्विक्ज़, जो कि बंगलौर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे, को वर्ष 2007 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो॰ हर्विक्ज़ ने वर्ष 1965-1968 के दौरान बंगलौर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। अपने फुलब्राइट (Fulbright) वर्ष के दौरान उन्होंने बंगलौर विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। प्रो॰ हर्विक्ज़ अपने फुलब्राइट (Fulbright) अनुभव का श्रेय इस प्रकार देते हैं - "मेरे विकास का एक महत्त्वपूर्ण चरण तथा मेरे आर्थिक सिद्धांतों के विकास में एक महत्त्वपूर्ण प्रभाव".

विश्वविद्यालय ने भारत से सर्वाधिक संख्या में शोधउपाधि धारकों को तैयार किया है। बंगलौर विश्वविद्यालय से स्नातकों को भारत में शीर्ष वरीयता प्रदान की गई है जो कि IIT कानपुर से प्रथम स्थान प्राप्त करने के उपरांत उच्च शिक्षा हेतु विदेश जाते हैं।

अनुसंधान

विश्वविद्यालय का जनाना भारती परिसर

बंगलौर विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान कार्य करने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। विश्वविद्यालय में अनुसंधान कार्यों की निगरानी एक समिति करती है। विश्वविद्यालय के 85% से अधिक संकाय सदस्यों के पास शोध उपाधि है तथा वे अनुसंधान अध्येताओं को निर्देश प्रदान करने में सक्रिय हैं। पाँच वर्ष के अध्यापन कार्य एवं शीर्ष समीक्षा जनरलों में प्रकाशन के बाद संकाय सदस्य छात्रों को निर्देश प्रदान करने के पात्र हैं।

पिछले पाँच वर्षों के दौरान लगभग 600 छात्रों को शोध उपाधि (पीएच.डी.) प्रदान की गई। वर्तमान में लगभग 1044 छात्र पीएच.डी. हेतु पंजीकृत हैं एवं उनमें से 20% छात्र अंशकालिक पीएच.डी. छात्र हैं। विश्वविद्यालय परास्नातक विभागों में अनुसंधान कार्य हेतु संबद्ध संस्थानों के विद्यालय अध्यापकों को प्रोत्साहित करता है। विद्यालयों के कुछ अध्यापक संकाय सुधार कार्यक्रम (FIP) के तहत कार्य करते हैं। लगभग 10% छात्र नैट (NET) उत्तीर्ण अध्येता हैं। अनुसंधान गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विश्वविद्यालय प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में प्रत्येक विभाग के एक या दो छात्रों को अनुसंधान वृत्ति प्रदान करता है। परास्नातक, एम.फिल एवं पीएच.डी स्तर पर अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों को उनके निबंध कार्य की तैयारी हेतु विश्वविद्यालय की एस.सी./एस.टी. (SC/ST) इकाई वित्तीय सहायता प्रदान करती है। अनुसंधान छात्रों हेतु अलग से एक छात्रावास है। कुछ विभागों में देश के विभिन्न भागों एवं विदेशों के शोधछात्र हैं। अधिसंख्यक अनुसंधान अध्येता विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। अनुसंधान अध्येताओं के इनपुट को विस्तृत आधार प्रदान करने के लिये विश्वविद्यालय देश एवं राज्य के विभिन्न भागों से मेधावी छात्रों को भर्ती करता है।

विश्वविद्यालय ने विज्ञान, कला, व्यापार तथा सामाजिक विज्ञान में 5 वर्षीय एकीकृत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम विकसित किया है। ये स्नातक विश्वविद्यालयीन शोध गतिविधियों को बढ़ाने के लिये प्रमुख भूमिका अदा कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों के प्रतिष्ठित पीयर समीक्षा जरनलों में प्रकाशन वास्तव में सराहनीय हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान संकाय सदस्यों ने प्रतिष्ठित जरनलों में 1300 से अधिक पत्र प्रकाशित किये हैं। हालांकि, संकाय के केवल एक तिहाई सदस्य नियमित रूप से प्रकाशन करते हैं। गणित, रसायन शास्त्र, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान, जंतु विज्ञान, रेशम उत्पादन (सेरीकल्चर), इतिहास, कन्नड तथा राजनीति शास्त्र जैसे विभागों से निकलने वाले प्रकाशन सराहनीय हैं। विश्वविद्यालय में कुछ उत्कृष्ट संकाय सदस्य हैं जिन्होंने मूल योगदान किया है। ये क्षेत्र निम्नवत चिन्हित हैं - फ्लूइड मैकेनिक्स (गणित), ऑर्गेनो सिलिकॉन रसायन शास्त्र, पेपटाइड सिन्थेसिस तथा ऑर्गेनो-मेटलिक रसायन (रसायन शास्त्र), जलीय जीवविज्ञान तथा मत्स्य उद्योग (जंतु विज्ञान), दुर्र्लभ पौधों के लिये ऊतक-कल्चर तकनीक (माइक्रोबायोलॉजी तथा वनस्पति विज्ञान), पेट्रोलॉजी तथा जीयोकैमिस्ट्री (भूविज्ञान), राजमार्ग सड़क अनुसंधान (सिविल अभियांत्रिकी), शहतूत अनुसंधान (रेशम उत्पादन), दुर्लभ कन्नड हस्तलेखों तथा लोक साहित्य संस्कृति की कलाकृतियों का संग्रह तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं से कन्नड (कन्नड) में साहित्य के प्रमुख कार्यों का अनुवाद. इसी तरह से, मौखिक इतिहास (इतिहास) के क्षेत्र में मूल योगदान किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि संकाय के काफी कुछ सदस्यों ने उनके कार्य के लिये राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। पुरस्कारों में राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी, रॉयल सोसायटी बर्सेरी से प्राप्त फेलोशिप शामिल है। विश्वविद्यालय के अध्येताओं ने विगत दो वर्षों में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त किये हैं।

विश्वविद्यालय वार्षिक निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट के माध्यम से संकाय के सदस्यों की शोध गतिविधियों की निगरानी करता है। संकाय के सदस्यों को प्रकाशन-लिंक प्रोत्साहनों को शैक्षणिक भार में कमी करके तथा विश्वविद्यालय संसाधनों से वित्त में वृद्धि करके विचार किया जा सकता है।

रेशम उत्पादन (सेरीकल्चर) विभाग, रेशम के उत्पादन के संबंध में किसानों तथा सरकारी अधिकारियों को विशेषज्ञता प्रदान करने की विस्तारित गतिविधियों में शामिल है। शोध गतिविधियों को संचालित करने के लिये व्यक्तिगत संकाय सदस्यों के लिये यहां पर पर्याप्त स्थान उपलब्ध है। प्रयोगशालाऐं अच्छे उपकरणों से सुसज्जित है।

विश्वविद्यालय के विभागों की शोध गतिविधियाँ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से प्राप्त होने वाले विशेष अनुदान के रूप में मान्यता प्राप्त है। रसायन शास्त्र, गणित, मनोविज्ञान, जंतुविज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा भूविज्ञान विभाग विकास गतिविधियों के लिए DRS, SAP तथा COSIST के रूप में UGC से रु. 20 मिलियन तक विशेष अनुदान प्राप्त कर रहे हैं। संकाय के कई सदस्यों के पास विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (DST), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), UGC, CSIR, गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन विभाग आदि से सहायता प्राप्त बड़ी परियोजनाएं हैं। संकाय के सदस्य विगत पाँच वर्षों में रु. 80 मिलियन सृजित करने में सफल हुए हैं। केवल राजमार्ग सड़क अनुसंधान के द्वारा ही रु. 20 मिलियन से अधिक सृजित हुए हैं।

गणित विभाग के फ्लूड मेकेनिक्स का DSA केन्द्र यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। परियोजना से जुड़े संकाय के सदस्य एप्लाइड गणित के उन्नत क्षेत्र में उच्चतर क्षमता के शोध कार्य संचालित कर रहे हैं। केन्द्र के संकाय के सदस्यों द्वारा किये गये शोध कार्य के परिणामस्वरूप विगत एक वर्ष में 31शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय जरनलों में प्रकाशित हुए हैं। केन्द्र के संकाय सदस्यों में से एक को प्रतिष्ठित VV नार्लीकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

उदार कला तथा भाषा विभागों में कन्नड़ विभाग शोध प्रकाशनों तथा किताब प्रकाशनों में असाधारण रूप से क्रियाशील है। इसके अलावा दुर्लभ कन्नड़ हस्तलिपियों तथा सांस्कृतिक कलाकृतियों को संग्रहित करने के लिये विभाग सार्थक कार्य कर रहा है। विभाग ने अपने पास सुरक्षित हस्तलिपियों की टिप्पण निर्देशिका पहले ही प्रकाशित की हुई है तथा कर्नाटक के विभिन्न भागों से संग्रहित विभिन्न सांस्कृतिक वस्तुओं का एक छोटा संग्रहालय भी स्थापित किया है। विभाग राज्य की भाषा को बढ़ावा देने के लिये सरकार को नियमित रूप से विशेषज्ञता प्रदान कर रहा है।

राजनीति विज्ञान विभाग का शोध निष्कर्ष काफी प्रभावशाली है। अन्य गतिविधियों के अलावा विभाग मानवाधिकार, चुनाव अध्ययन, नागरिक समाज, कर्नाटक सरकार में राजनीति तथा प्रशासन में महिला सशक्तिकरण आदि में विशेषज्ञता रखता है तथा विभाग ने इन क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दिया है। विभाग को एक अंतर्राष्ट्रीय शोध परियोजना- "वर्ल्ड वेल्यू सर्वे" जिसमें 65 देश भाग लेते हैं, में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुना गया है। बैंगलोर विश्वविद्यालय इस परियोजना में एशिया के नोडल केन्द्र के रूप में कार्य कर रहा है।

कला इतिहास, महिला अध्ययन, कर्नाटक का आधुनिक इतिहास, स्वतंत्रता आंदोलन एवं राष्ट्रवाद के क्षेत्र में इतिहास विभाग उल्लेखनीय अनुसंधान कार्य कर रहा है।

महिला परिवार एवं संबंधी समाजशास्त्र, औषधि समाजशास्त्र एवं बाजार समाजशास्त्र के क्षेत्र में समाजशास्त्र विभाग का योगदान भी उल्लेखनीय है। सामाजिक कार्य विभाग ने कई राज्य प्रायोजित परियोजनाओं में कार्य किया है तथा उनकी कुछ खोजों को कर्नाटक राज्य ने अंगीकृत किया है।

संचार विभाग के पास एक परिष्कृत उत्पादन इकाई है तथा यह दूरदर्शन के साथ सहयोग के माध्यम से जन चैनलों पर प्रसारण हेतु उच्च गुणवत्ता के कार्यक्रमों का निर्माण कर रही है। दूरदर्शन के सहयोग से एक संपूर्ण स्टूडियो स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालय, हालांकि, सामाजिक प्रासंगिकता के कार्यक्रमों के निर्माण के लिये इस गतिविधि को प्रोत्साहित कर सकता है। साप्ताहिक छात्र मैग्जीन के निर्माण के लिये विभाग को नोडल एजेंसी बनाया जा सकता है जो कि छात्रों की तरक्की के लिये एक उत्प्रेरक का कार्य करेगी.

पिछले पाँच वर्षों में विश्वविद्यालय के संकाय ने 150से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। गणित, जंतुविज्ञान एवं शारीरिक शिक्षा के विषय की कुछ पुस्तकों का विश्वविद्यालय के स्नातक स्तरीय छात्रों द्वारा नियमित प्रयोग किया जाता है।

विभागों में अनुसंधान संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिये विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान सिम्पोजिया/संगोष्ठी/कार्यशालाओं के आयोजन को प्रोत्साहित कर रहा है। पिछले पाँच वर्षों के दौरान, विश्वविद्यालय को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के लगभग 84 सम्मेलनों/ संगोष्ठियों/ कार्यशालाओं/ वार्षिक बैठकों का आयोजन करने में विशिष्टता प्राप्त हुई है।

संकाय सदस्यों में अनुसंधान प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लिये विश्वविद्यालय अपने संकाय सदस्यों को उन्नत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में अध्ययन करने हेतु अवकाश प्रदान करता है। लगभग 10% संकाय सदस्यों ने इस अवकाश का लाभ लिया है। विश्वविद्यालय में वरिष्ठ संकाय सदस्यों हेतु विराम अवकाश (Sabbatical leave) का प्रावधान है।

परास्नातक विभागों द्वारा जारी परामर्श सेवाऐं मुख्यतः अनौपचारिक हैं। इसके अलावा संचार, मनोविज्ञान, सांख्यिकी, पर्यावरण विज्ञान, अंग्रेजी, कंम्प्यूटर अनुप्रयोग एवं भूविज्ञान जैसे कई विभाग एक विस्तार गतिविधि के रूप में तथा विश्वविद्यालय हेतु निधि उगाही के लिये जनता के लिये प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं। सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय का शहरी परिसर इस उद्देश्य हेतु प्रभावी रूप से प्रयोग होता है।

सुविधायें

विश्वविद्यालय के स्नातक स्तरीय एवं परास्नातक स्तरीय छात्रों की विस्तार गतिविधियां प्रशंसा के योग्य हैं। डेढ़ वर्ष के भीतर उन्होने एक बंजर भूमि को जीवंत जैव- पार्क में बदल दिया है। इस प्रक्रिया में, छात्रों ने सामाजिक वानिकी हेतु भूमि प्रबंधन के संबंध में बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किया। विश्वविद्यालय ने देश भर में पहली बार इस तरह की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये NSS भवन का निर्माण करवाया. नागरिक अभियांत्रिकी, भू-विज्ञान, भूगोल, गणित, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान एवं सूक्ष्मजीव विज्ञान विभागों के संकाय सदस्य जैव-पार्क को वास्तविकता में परिवर्तित करने में सक्रिय रूप से संलग्न रहे हैं। वर्षा जल संरक्षण एवं भूमिगत जल रिचार्जिंग, एक्वा कल्चर एवं एरिथालॉजी के साथ साथ जैव-पार्क के भी अभिन्न् अंग हैं।

JB परिसर एवं शहर परिसर में स्थित विश्वविद्यालय के पुस्तकालय बहुत अच्छी तरह से संरक्षित एवं प्रबंधित हैं। JB परिसर पुस्तकालय का क्षेत्रफल लगभग 6500 वर्गमीटर है एवं इसके संग्रह में 3.25 लाख ग्रंथ है। पुस्तकालय में 250 राष्ट्रीय और अर्न्तराष्ट्रीय जरनल आते हैं। इसके अलावा यहाँ पर 50 जरनल उपहार स्वरूप/विनिमय आधार पर प्राप्त होते हैं। प्रयोक्ताओं हेतु द्रुत छाया प्रति (रेप्रोग्राफिक) सुविधा भी उपलब्ध है।

प्रसारंगा, विश्वविद्यालय की प्रकाशन इकाई है एवं J.B. परिसर में स्थित है। यह पाठयक्रम पुस्तकों, विश्वविद्यालय जरनल एवं आवर्ती पत्रिकाओं को प्रकाशित करती है। जनता की जागरूकता आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पिछले 30 वर्षों में इसने 800 पाठ्यपुस्तिकाओं एवं संदर्भ पुस्तकों का अंग्रेजी में तथा कई लेखों एवं मोनोग्राफ का कन्नड़ भाषा में प्रकाशन किया है। संचार विभाग के छात्र नियमित रूप से समाचार जरनल प्रकाशित करते हैं। इन गतिविधियों को सार्थक रूप से विश्वविद्यालय की अच्छी छपाई प्रेस द्वारा सहायता प्राप्त होती है जहां पर परिष्कृत मशीनरी एवं प्रशिक्षित कार्मिक हैं।

अन्तर पुस्तकालय विनिमय सुविधा बंगलौर विश्वविद्यालय एवं अहमदाबाद, हैदराबाद, बंगलौर आदि जगहों पर स्थित संस्थानों के पुस्तकालयों के मध्य स्थापित है। पुस्तकालय का कंप्यूटरीकरण वर्ष 1992 में ही हो गया था। यहां 3.25 लाख पुस्तकें हैं तथा 172 जरनल (राष्ट्रीय 110, अंतर्राष्ट्रीय-62), 68 पत्रिकायें नियमित रूप से आते हैं। पुस्तकालय रेप्रोग्राफिक सुविधा, कंप्यूटर, दृश्य-श्रव्य कैसेट, इंटरनेट, इन्फ्लीबनैट कार्यक्रम एवं अन्तर विश्वविद्यालयीन ऋण सुविधायें भी उपलब्ध कराता है। विभिन्न विभागों/प्रशासनिक अनुभागों को पर्याप्त मात्रा में कंप्यूटर/प्रिंटर उपलब्ध कराये गये हैं।

J.B. परिसर में भलीभांति सुसज्जित स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र भी है, जहां पर दो निवासी चिकित्सक नियुक्त हैं, आंगतुक विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवायें भी उपलब्ध हैं। केन्द्र में उपयुक्त चिकित्सीय उपकरण तथा नैदानिक (क्लीनिकल) प्रयोगशाला है।

J.B. परिसर में छात्रों हेतु इनडोर खेलों हेतु सुविधाओं के साथ साथ बहु-उदद्शीय जिमनेजियम, बास्केटबॉल कोर्ट, खो-खो मैदान एवं तरण ताल (स्विमिंग पूल) भी उपलब्ध है। सेन्ट्रल कॉलेज परिसर में छात्रों के लिये टर्फ विकेट के साथ क्रिकेट स्टेडियम, बास्केटबाल कोर्ट, वॉलीबाल कोर्ट, लॉन टेनिस कोर्ट इत्यादि उपलब्ध है। प्रत्येक वर्ष पुरूष एवं महिला वर्ग हेतु लगभग 45 अंतर महाविद्यालयीन खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इन खेलकूद प्रतियोगिताओं में 398 संबद्ध महाविद्यालयों के लगभग 01 लाख छात्र-छात्रायें भाग लेते हैं। अंतर विश्वविद्यालयीन टूर्नामेंट हेतु बंगलौर विश्वविद्यालय की टीम का चयन विशेषज्ञों की समिति के द्वारा किया जाता है। छात्रों को छात्रवृति, अध्येतावृत्ति एवं शुल्क रियायत द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। उन्हें पाठ्यक्रम पूर्ण होने पर नियुक्ति सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है। बी.पी.एड एवं एम.पी.एड. छात्रों को वृत्तिका (स्टाइपंड) भी प्राप्त होता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों ने राज्य, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है।

J.B. परिसर के स्नेह भवन में स्थित विश्वविद्यालय विज्ञान यंत्र केन्द्र, विश्वविद्यालय में प्रयोक्ता विभागों के उपकरणों के रखरखाव एवं अनुरक्षण का कार्य करता है। USIC महाविद्यालयों के अध्यापकों हेतु पुनश्चर्या (रिफ्रेशर) पाठ्यक्रम एवं इच्छुक छात्रों के लिये प्रशिक्षण का संचालन भी करता है।

संस्थानों के द्वारा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों एवं छात्रों हेतु रियायती परिवहन सुविधा, रियायती कैंटीन सुविधा, मुफ्त चिकित्सीय सहायता एवं अस्पताल भर्ती सहित चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति, GPF से ऋण सुविधा जैसे विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों की शुरूआत की गयी है। HDFC बैंक, अन्य सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों तथा सहकारी समितियों द्वारा गृह निर्माण ऋण की स्वीकृति हेतु विश्वविद्यालय गारंटी देता है।

J.B. परिसर में 07 तथा शहर परिसर में 03 छात्रावास हैं। इसके अलावा तुमकुर एवं कोलार में 02 पुरुष छात्रावास तथा कोलार में 01 महिला छात्रावास है। छात्र प्रतिनिधियों द्वारा छात्रावास कैंटीन का प्रबंधन किया जाता है। जबकि यह संज्ञान आया है कि कुछ वित्तीय अवरोध है, छात्राओं हेतु आवास की बढ़ती माँग को महत्त्व दिया जाना चाहिये.

शहर परिसर में विश्वविद्यालय की परीक्षा विंग से शिकायत इकाई को संलग्न किया गया है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट के माध्यम से कोई भी व्यक्ति शिकायतों का निवारण एवं परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नों का स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकता है। एक GSCASH समिति, जो कि अनिवार्य है, छात्राओं एवं विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की समस्या के समाधान के लिये प्रभावी होनी चाहिये. भविष्य में एक केन्द्रीय सामान्य शिकायत इकाई की स्थापना किये जाने की योजना है।

J.B. परिसर की 600 एकड़ भूमि पर जैव-पार्क का प्रस्ताव आदर्श विचार है। विश्वविद्यालय द्वारा J.B. परिसर में उपयुक्त उद्देश्यों के साथ वर्षा जल संचयन एवं जलसंभर (वाटरशेड) प्रबंधन की शुरुआत की गई है। विश्वविद्यालय में एक रोबोटिक तथा साइबर केन्द्र, एक योग केन्द्र एवं एक गांधी अध्ययन केन्द्र भी है।

सभी विभागों के शिक्षण/ अनुसंधान उद्देश्य से संबंधित आवश्कताओं की पूर्ति हेतु पर्याप्त स्थान उपलब्ध है। प्रत्येक मान्यता प्राप्त मार्गदर्शक (गाइड) को स्वतंत्र अनुसंधान प्रयोगशाला प्रदान की गयी है। कई विभागों की इमारतें सौंदर्य पूरक दृष्टि, स्थापत्य सौंदर्य, वातन (aeration) एवं क्षेत्र काउंटर्स को ध्यान में रखकर डिजाइन की गयी हैं।

पुस्तकालय

बंगलौर विश्वविद्यालय पुस्तकालय की दो शाखाऐं हैं। एक शाखा सेन्ट्रल कॉलेज परिसर में है जो वर्ष 1858 में अस्तित्व में आयी एवं दूसरी शाखा ज्ञान भारती परिसर में है जो 1996 में स्थापित हुई. इनमें लगभग 35,000 पुस्तकें एवं बाइंडिंग की हुई आवर्ती पत्रिकायें हैं।

चूँकि बंगलौर विश्वविद्यालय भारत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है, अतः इसने बंगलौर विश्वविद्यालय पुस्तकालय नेटवर्क कार्यक्रम, BALNET (बालनैट), नामक एक महत्त्वकांक्षी परियोजना प्रारंभ की है। परियोजना ने बंगलौर विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित सभी पुस्तकालयों को आपस में जोड़ दिया है तथा डिजीटल प्रणाली के द्वारा सम्बद्ध महाविद्यालयों के पुस्तकालयों को जोड़ दिया है।

पुस्तकालय का डिजिटलीकरण भारत में अपनी तरह का पहला है। डिजिटलीकरण ने विश्वविद्यालय को सभी परिसरों तक पहुँचने में मदद की और सम्बद्ध कॉलेजों को युवा विद्वानों और शोधकर्ताओं के बीच अनुसंधान गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में.डिजिटलीकरण परियोजना विश्वविद्यालय के ग्रंथपाल (लाइब्रेरियन) डॉ॰ पी वी कन्नूर के दिमाग की उपज है।

बंगलौर विश्वविद्यालय पुस्तकालय आधुनिक सुविधाओं जैसे- सैल्फ-चैक स्टेशन, वर्क स्टेशन, वायर लैस एक्सेस कनेक्शन एवं दृश्य-श्रव्य (आडियो-वीडियो) उपकरणों से लैस हैं। व्यक्तिगत अध्ययन क्षेत्र के अलावा छात्रों के मध्य समूह आधारित कार्य में सहायता के लिये समूह अध्ययन क्षेत्र (विचार विमर्श कक्ष एवं अध्ययन कक्ष) भी उपलब्ध हैं।

बंगलौर विश्वविद्यालय पुस्तकालय सितारा आकार की बेहतरीन इमारत में अवस्थित है जिसमें संदर्भ अनुभाग, स्टेक कक्ष एवं अध्ययन हॉल, आवर्ती पत्रिका अनुभाग, कम्प्यूटर केन्द्र एवं प्रशासनिक प्रभाग के लिए पृथक शाखायें हैं। वर्तमान में पुस्तकों की संख्या 3,50,000 से अधिक है तथा इसमें 5000 शीर्षक प्रतिवर्ष की दर से इजाफा हो रहा है। पुस्कालय में 45 से अधिक विषयों की 450 से अधिक आवर्ती पत्रिकायें आती हैं। सभी महत्त्वपूर्ण जरनलों के 50,000 से अधिक बाइंडेड संस्करण विषयवार तरीके से रखे गये हैं। महत्त्वपूर्ण धारावाहिकों में त्रुटि निवारण का कार्य तत्परता से किया जाता है।

परास्नातक शिक्षा एवं अनुसंधान में विश्वविद्यालय के सख्त कार्यक्रमों में पुस्तकालय सहयोग प्रदान करता है। आंगतुकों को सामग्रियों का बेहतरीन संग्रह एवं विविध इलैक्ट्रॉनिक स्रोत प्राप्त होते है। विश्वविद्यालय के अनुसंधान, शिक्षण एवं अध्ययन कार्य को सहायता प्रदान करने के लिये विश्वविद्यालय का पुस्तकालय छात्रों, अनुसंधान अध्येताओं, एवं शिक्षकों को समग्र सूचना स्रोत प्रदान करता है। दोनों परिसरों, सेन्ट्रल कॉलेज परिसर एवं ज्ञान भारती परिसर, में स्थित पुस्तकालय विज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी के सभी क्षेत्रों में असाधारण विस्तृत और गहरे प्रिंट तथा इलैक्ट्रॉनिक स्रोत उपलब्ध करवाते हैं।

उल्लेखनीय भूतपूर्व छात्र और संकाय

नोबल पुरस्कार विजेता

मशहूर भूतपूर्व छात्र और संकाय सदस्य

  • इ पी मेटकाल्फ़, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य, भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार विजेता, सर जे जे थॉमसन के छात्र
  • पी. सी. महलानोबिस, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय
  • श्री जे कुक, भौतिक विज्ञान में प्रधानाचार्य और प्रोफेसर, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय
  • प्रो॰ एफ एल यूशर, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर, रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता सर विलियम रामसे के छात्र.
  • प्रो॰ बी. एल. मंजुनाथ, रसायन शास्त्र के प्रोफेसर, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य
  • सी. एन. एस. अयंगर, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय
  • प्रो॰ के.बी. माधव, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय
  • एच. नरसिंहैया, पद्मभूषण
  • सी. राजागोपालाचारी, सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय, स्वतंत्र भारत के राज्यपाल (1948-1950), भारत रत्न (1954)
  • होस्पेट सुमित्रा
  • सर एम विश्वेश्वरैया (बी ए 1881), सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय, भारत रत्न (1954)
  • मनोऊचेहर मोत्ताकी, ईरान के विदेशी मामलों के 11 वें मंत्री
  • सी एन आर राव, (बी. एससी 1951), सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर विश्वविद्यालय, भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार
  • रमेश नारायण, (एम. एससी 1976, पीएच.डी 1979), बंगलौर विश्वविद्यालय, थॉमस डुडले कैबोट, प्राकृतिक विज्ञान के प्रोफेसर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमरीका
  • राम ससिसेखरन, (बी. एससी 1985), निदेशक, एचएसटी, एडवर्ड हुड टेपलिन, स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और जैव इंजीनियरिंग के प्रोफेसर, मेसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी का संस्थान, संयुक्त राज्य अमरीका
  • वी. के गोकक, अंग्रेजी में प्रोफेसर, बंगलौर विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से विशिष्टता (1936)
  • डॉ॰ किरण मजूमदार-शॉ, बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक. भारत की सबसे धनी महिला
  • प्रो॰ बी. एस. सथ्यप्रकाश, कार्डिफ विश्वविद्यालय, ब्रिटेन
  • कुमार बेलानी, एम.डी., मिनेसोटा एम्प्लाटज़ चिल्ड्रन हॉस्पिटल विश्वविद्यालय, अमरीका के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर 2009-2010
  • डॉ॰ वी जयारमन, ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC), हैदराबाद के निदेशक
  • डॉ॰ के एन शंकर, ISRO के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद के निदेशक
  • सज्जन जिंदल, उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, JSW स्टील, बंगलौर विश्वविद्यालय से एक मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक
  • अनिल कुंबले, भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेटर
  • राहुल द्रविड़, भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेटर
  • वेंकटेश प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेटर
  • अनिता प्रताप, पूर्व दक्षिण एशिया ब्यूरो चीफ, CNN, बंगलौर विश्वविद्यालय की एक पूर्व छात्रा

ऊपर उल्लेख किये गए कुछ लोगों के इलावा, विश्वविद्यालय ने पूर्व छात्रों की अनगिनत संख्या का उत्पादन किया है जो महत्वपूर्ण पदों पर दुनिया भर में फैले हुए हैं।

महाविद्यालय

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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