प्लाज़्मा ग्लोब

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प्लाज़्मा ग्लोब जिसमें तन्तु आन्तरिक्त गोले से बाहर तक फैले हुये हैं।

प्लाज़्मा ग्लोब अथवा प्लाज़्मा दीप (प्लाज़्मा गेंद, गुम्बद, गोला, नली अथवा बिब इत्यादि, आकृति के अनुसार नाम) सामान्यतः विभिन्न उत्कृष्ट गैसों से भरा हुआ काँच का गोला है जिसके केद्र पर उच्च वोल्टता के इलेक्ट्रोड लगे हुये हैं। प्लाज़्मा तन्तु आन्तरिक इलेक्ट्रोड से बाहरी कुचालक काँच तक विस्तारित होता है जिससे विभिन्न रंगो के स्थायी प्रकाश पूँज देखने को मिलते हैं। प्लाज़्मा ग्लोब १९८० के दशक में विचित्र वस्तु के रूप में लोकप्रिय हुये थे।[१]

प्लाज़्मा दीप का आविष्कार निकोला टेस्ला ने किया था।[२] उन्होंने उच्च वोल्टता से सम्बद्ध घटनाओं के अध्ययन के लिए काँच की खाली नली में उच्च आवृत्ति धारा के साथ प्रयोग आरम्भ किया था जिसमें इसका आविष्कार किया। लेकिन इसका आधुनिक संस्करण पहली बार बिल पार्कर ने बनाया।[१] टेस्ला ने अपने इस आविष्कार को अक्रिय गैस अनावेशन नली नाम दिया।[३]

विवरण

प्लाज़्मा ग्लोब कांच के बहुत निकट किसी चालक वस्तु (जैसे हाथ) का प्रभाव

हालांकि इसमें काफी बदलाव किये सम्भव हैं लेकिन सामान्यतः प्लाज़्मा दीप को साफ काँच का गोला होता है और उसमें विभिन्न गैसें (सबसे अधिक नियोन, कभी कभी अन्य उत्कृष्ट गैसों जैसे आर्गन, ज़ीनोन और क्रिप्टॉन को वायुमण्डलीय दाब पर भरा जाता है।) को लगभग वायुमंडलीय दाब पर भरा जाता है। उनको लगभग साँचा:nowrap, साँचा:nowrap ऊर्जा वाली उच्च आवृति प्रत्यावर्ती धारा में रखा जाता है।[१] उच्च ऊर्जा इन अक्रिय गैसों को प्लाज़्मा अवस्था में लाती है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ