प्लाइवुड

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| type = content | image = Globe icon. | imageright = | class = | style = | textstyle = | text = इस लेख में दिये उदाहरण एवं इसका परिप्रेक्ष्य वैश्विक दृष्टिकोण नहीं दिखाते। कृपया इस लेख को बेहतर बनाएँ और वार्ता पृष्ठ पर इसके बारे में चर्चा करें। (जनवरी 2010) | small = | smallimage = | smallimageright = | smalltext = | subst = | date = | name = }}

स्प्रूस से बना हुआ 'सॉफ्टवुड प्लाईवुड'
प्लाईवुड ऐसे बनती है

परतदार लकड़ी या प्लाईवुड (जर्मन: Sperrholz, अंग्रेजी: plywood, फ्रेंच: contreplaqué) लकड़ी की अनेक पतली चादरों (परतों) से निर्मित एक प्रकार का कृत्रिम काष्ठ है। परतें परस्पर चिपकाई जाती हैं ताकि अधिक मजबूती के लिए आसन्न परतों के बीच लकड़ी के तंतु एक दूसरे से समकोण पर रहें। आमतौर पर परतें विषम संख्या में होती हैं क्योंकि समरूपता के कारण बोर्ड के मुड़ने की संभावना कम हो जाती है।

किस्में

शो वेनीर के साथ औसत-गुणवत्ता प्लाईवुड
प्लाईवुड में उच्च-गुणवत्ता कौन्कृट पोरिंग प्लेट

विभिन्न उपयोगों के लिए प्लाईवुड की अनेक किस्में उपलब्ध हैं।

ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड

ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड हमेशा मेरांती या एशियाई क्षेत्र की ऊष्णकटिबंधीय लकड़ी की मिश्रित प्रजातियों से बना होता है। ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड अपने घनत्व, शक्ति, परतों की एकरूपता और उच्च गुणवत्ता के कारण मृदुकाष्ठ (सॉफ्टवुड) प्लाईवुड पर अपनी श्रेष्ठता समेटे हुए हैं। यदि उच्च मानकों के साथ निर्मित हो तो यह आमतौर पर अनेक बाजारों में अधिमूल्य पर बेचा जाता है। ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड ब्रिटेन, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, कोरिया, दुबई और विश्व के अन्य प्रमुख शहरों में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। यह अनेक क्षेत्रों में निर्माण के प्रयोजन के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प है।

मृदुकाष्ठ (सॉफ्टवुड) प्लाईवुड

मृदुकाष्ठ (सॉफ्टवुड) एनेल यह आमतौर पर डगलस देवदार या शंकुवृक्ष (स्प्रूस), चीड़ और देवदार (सामूहिक रूप से स्प्रूस-पाइन-फर या एसपीएफ़ के नाम से ज्ञात) से बना होता है और विशेष तौर पर निर्माण एवं औद्योगिक प्रयोजनों के लिए इसका इस्तेमाल होता है।[१]

उत्पादन

प्लाईवुड अत्यंत व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के उत्पादों में से एक है। यह ज्वलनशील, लचीला, सस्ता, साध्य, पुनर्चक्रणीय होता है और आमतौर पर स्थानीय रूप से उत्पादित किया जा सकता है। प्लाईवुड पेड़ों से छीली गई लकड़ी की पतली परतों से बनाया जाता है। प्लाईवुड बनाने के लिए इन परतों (वीनियरों) (या पोशिशों) को परस्पर एक साथ चिपकाया जाता हैं। पोशिश (वीनियर) की प्रत्येक परत में तंतुओं की दिशा अगली परत के लम्बवत होती है। परतों की संख्या हमेशा विषम होती है ताकि चादर संतुलित रहे और मुड़े नहीं। प्लाईवुड जिस प्रकार जुड़ा हुआ होता है (संयोजित भाग विषम संख्या में और तंतु आमने-सामने रहते हैं) उसकी वजह से इसका तंतुओं की दिशा के लम्बवत मुड़ना बहुत ही कठिन है। सादा लकड़ी के बजाय प्लाईवुड का प्रयोग करने का एक आम कारण इसका चटखने, सिकुड़ने, बल खाने या मुड़ने के प्रति प्रतिरोध तथा इसकी सामान्य रूप से उच्च स्तर की ताकत है।

दृढ़काष्ठ (हार्डवुड) प्लाईवुड

कम मांग के उपयोगों के लिए प्रयुक्त होता है। सन्टी (सनोबर या भोजवृक्ष) प्लाईवुड की विशेषता उसकी उत्कृष्ट ताकत, कठोरता और प्रसाररोधक क्षमता है। इसकी उच्च द्विविमीय संरचनात्मक शक्ति और चोटरोधी क्षमता इसे विशेष रूप से भारी फर्श और दीवार संरचनाओं के लिए उपयुक्त बनाती है। अनुकूलित प्लाईवुड उत्पादन के पास उच्च भारवहन क्षमता है। सन्टी प्लाईवुड की सतह की कठोरता उत्कृष्ट है तथा यह क्षति एवं घिसावट रोधी है। [२]

सजावटी प्लाईवुड

आमतौर पर दृढ़काष्ठ (हार्डवुड) के आवरण के साथ जिसमें लाल शाहबलूत, सन्टी, मेपल, लाउआन (फिलीपीन महोगनी) और बड़ी संख्या में अन्य दृढ़काष्ठ (हार्डवुड) शामिल हैं।

आंतरिक उपयोग वाले प्लाईवुड के लिए आम तौर पर यूरिया-फार्मेल्डीहाइड सरेस का प्रयोग किया जाता है जिसकी जलरोधक क्षमता सीमित होती है, जबकि बाह्य उपयोग वाले प्लाईवुड तथा मैरीन-ग्रेड प्लाईवुड को गलन का सामना करने हेतु डिजाइन किया जाता है और डिलेमिनेशन रोकने तथा भारी नमी में मजबूती बनाए रखने के लिए जलरोधी फिनोल-फार्मेल्डीहाइड सरेस का इस्तेमाल किया जाता है।

मृदुकाष्ठ (सॉफ्टवुड) प्लाईवुड की सबसे आम किस्में तीन, पांच या सात परतों में मीट्रिक परिमाप 1.2 मीटर × 2.4 मीटर में या थोड़े बड़े 4 फुट × 8 फुट के शाही परिमाप में आती हैं। प्लाई की मोटाई 1/10" से 1/6" तक होती है जो फलक की मोटाई के आधार पर निर्भर करती है। छत छाने के लिए पतले 5/8-इंच के प्लाईवुड का इस्तेमाल किया जा सकता है। फर्श में मोटाई कम से कम 3/4-इंच रहती है जो फर्श की कड़ियों के बीच की दूरी पर निर्फर करती है। फर्श के उपयोगों में प्लाईवुड में अक्सर जीभ और नाली जोड़ का इस्तेमाल किया जाता है। मिलान वाले एक किनारे पर एक "नाली" कटी हुई होती है जिसमें अगले बोर्ड के आसन्न किनारे पर निकली हुई एक नोकदार "जीभ" समा जाती है। यह पड़ोसी बोर्ड के सापेक्ष एक बोर्ड के ऊपर-नीचे हिलने को रोकता है जिससे जहां जोड़ कड़ियों पर नहीं हों वहां ठोस फर्श का एहसास हो। जीभ और नाली फर्श प्लाईवुड आम तौर पर 1" मोटाई के होते हैं।

विशिष्ट प्रयोजन प्लाईवुड

उच्च शक्ति प्लाईवुड, जो एयरक्राफ्ट प्लाईवुड के नाम से जाना जाता है, महोगनी और/या सन्टी से बनता है और इसमें ऐसे चिपकाने वाले पदार्थ का प्रयोग किया जाता है जो गर्मी और नमी का उच्च प्रतिरोधक हो। द्वित्तीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन निर्मित मॉसक्विटो बॉम्बर जिसे वुडन वंडर का उपनाम दिया गया था, सहित अनेक लड़ाकू विमानों में इसका इस्तेमाल किया गया था।

कुछ विशेष प्लाईवुड में एकांतर प्लाई नहीं होती हैं। इन्हें विशिष्ट प्रयोजन के लिए डिजाइन किया जाता हैं। ऐसा ही एक प्लाईवुड "बेंडी बोर्ड" के रूप में जाना जाता है। यह बहुत लचीला होता है और घुमावदार भागों को बनाने के लिए डिजाइन किया जाता है। ब्रिटेन में इसे "हैटर्स प्लाई" के रूप में जाना जाता है क्योंकि विक्टोरिया युग में इसका इस्तेमाल पुरुषों के लंबे टोप बनाने के लिए किया गया था। हालांकि कुछ देशों में इसे प्लाईवुड नहीं कहा जाता क्योंकि प्लाईवुड के बुनियादी विवरण के अनुसार लकड़ी पोशिश (वीनियर) की परतों को एक दूसरे के ऊपर इस प्रकार रखा जाता है कि प्रत्येक परत के तंतु अगली परत के तंतुओं के लम्बवत होते हैं।

समुद्रीय प्लाईवुड का उच्च नमी के वातावरण में गलन से बचाने हेतु कोई विशेष उपचार नहीं किया जाता। इसकी संरचना ऐसी है कि इसे लंबी अवधि तक नमी वाले वातावरण में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रत्येक लकड़ी पोशिश (वीनियर) में मुख्य अंतर नगण्य होता है जिससे प्लाईवुड में पानी जाने की संभावना बहुत सीमित हो जाती है और इसलिए एक ठोस और स्थिर सरेस का जोड़ प्राप्त होता है। इसमें अन्य प्लाईवुड के समान ही बाह्य डब्लूबीपी (WBP) सरेस का उपयोग किया जाता है। समुद्रीय प्लाईवुड का उपयोग अक्सर गोदी और नाव के निर्माण में किया जाता है। यह मानक प्लाईवुड की तुलना में बहुत महंगा है: एक 4 फुट x 8 फुट 1/2-इंच मोटे बोर्ड की कीमत 75 से 100 अमरीकी डॉलर या $2.5 प्रति वर्ग फुट के आसपास है, जो मानक प्लाईवुड से लगभग तीन गुना महंगा है।

समुद्रीय प्लाईवुड को बीएस 1088 से, जो समुद्रीय प्लाईवुड के लिए ब्रिटिश मानक है, वर्गीकृत किया जा सकता है। समुद्रीय प्लाईवुड के श्रेणीकरण के लिए कुछ अंतरराष्ट्रीय मानक हैं और अधिकांश मानक स्वैच्छिक हैं। कुछ समुद्रीय प्लाईवुड पर लंदन के लॉयड्स की मुहर होती है जो कि इसे बीएस 1088 के अनुरूप होने के लिए प्रमाणित करता है। कुछ प्लाईवुड इसके निर्माण में प्रयुक्त हुई लकड़ी के आधार पर भी नामित हैं। इसके उदाहरण ओकुमे या मेरांती हैं।

प्लाईवुड के अन्य प्रकारों में शामिल हैं अग्निरोधक, नमी प्रतिरोधी, संकेत ग्रेड, दबाव उपचारित और निश्चित रूप से दृढ़काष्ठ (हार्डवुड) तथा मृदुकाष्ठ (सॉफ्टवुड) प्लाईवुड. इन में से प्रत्येक उत्पाद को उद्योग की किसी आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए डिजाइन किया गया है।

आकार

अमेरिका: 4 फुट x 8 फुट
अमेरिका: 5 फुट x 5 फुट
मीट्रिकः 1220मिमी x 2440मिमी[३]

उत्पादन

प्लाईवुड उत्पादन के लिए अच्छे कुंदों की आवश्यकता होती है, जो कि आम तौर से आयामित इमारती लकड़ी के रूप में प्रसंस्करण के लिए आराघरों में आवश्यक कुंदों की तुलना में सीधे और व्यास में बड़े होते हैं। कुंदे को क्षैतिज लिटाया जाता है और इसके लंबे अक्ष के चारों ओर घुमाते हुए एक लंबा आरा इस में दबाया जाता है (कुछ हद तक एक पटरी के किनारे पर एक स्विस रोल को घुमाये जाने की तरह) जिसके परिणामस्वरूप लकड़ी की एक पतली परत छिल कर अलग हो जाती है। इस प्रकार एक कुंदे को पोशिश (वीनियर) की चादरों में छील लिया जाता है, जिन्हें तब इच्छित आयाम में काट कर सुखाया जाता है, चकती लगाई जाती है और आपस में चिपका कर 140 °C (280 °F) तथा 19 एमपीए (2800 पीएसआई (psi)) पर एक प्रेस में गर्म करके प्लाईवुड का फलक बनाया जाता है। इस फलक को बाद में चकती लगाकर, पुनः आकार देकर, बालू डाल कर या अन्य प्रकार से इच्छित बाजार के अनुसार तैयार किया जाता है।

प्लाईवुड में प्रयुक्त चिपकाने वाले पदार्थ एक चिंता का मुद्दा बन गए हैं। यूरिया फॉर्मेल्डीहाइड और फिनोल फॉर्मेल्डीहाइड दोनों अति उच्च सांद्रता में कैंसरकारक हैं। परिणामस्वरूप, अनेक उत्पादक "ई" ("E") रेटिंग वाले ("ईओ" ("E0") न्यूनतम फॉर्मेल्डीहाइड- उत्सर्जक है) फॉर्मेल्डीहाइड- उत्सर्जक सरेस प्रणाली की ओर रुख कर रहे हैं। "ईओ" ("E0") के अनुरूप उत्पादित प्लाईवुड में फॉर्मेल्डीहाइड-उत्सर्जन प्रभावी रूप से शून्य है।[४]

सरेस के मुद्दे को सामने लाये जाने के अलावा, ऊर्जा संरक्षण के साथ-साथ हमारे प्राकृतिक संसाधनों के लिए चिंता का विषय बनने के कारण लकड़ी के संसाधन स्वयं उत्पादकों के ध्यान का केन्द्र बन रहे हैं। जो निर्माता इन कार्यक्रमों में भाग लेते हैं उनके लिए अनेक प्रमाणपत्र उपलब्ध हैं। फॉरेस्ट स्टुअर्डशिप काउंसिल (एफएससी), लीडरशिप इन इनर्जी एंड इनवायर्नमेंटल डिजाइन (एलईईडी), सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री इनीशियेटिव (एसएफआई (SFI)) तथा ग्रीनगार्ड प्रमाणीकरण कार्यक्रम हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि निर्माण एवं उत्पादन विधियां जारी रखने योग्य हैं। इन में से अनेक कार्यक्रम उत्पादकों और प्रयोक्ताओं दोनों को कर-राहत का प्रस्ताव देते हैं।[५]

अमेरिकी प्लाईवुड श्रेणियां

प्लाईवुड की श्रेणी प्रत्येक फलक के मुखभाग तथा पृष्ठभाग के पोशिश (वीनियर) की गुणवत्ता द्वारा निर्धारित होती है। प्रथम अक्षर फलक के मुखभाग के पोशिश (वीनियर) की गुणवत्ता बताता है जबकि दूसरा अक्षर पृष्ठ सतह की गुणवत्ता बताता है।[६] अक्षर "एक्स" संकेत करता है कि फलक के निर्माण में स्क्रैप लकड़ी का इस्तेमाल केन्द्रीय प्लाई के रूप में हुआ है, न कि "बाह्य रूप से" जैसा कि आम तौर से सोचा जाता है।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] ए-डी रेटिंग केवल निर्माण प्लाईवुड (सॉफ्टवुड) के लिए अच्छी है शाहबलूत (ओक) या मेपल जैसे दृढ़काष्ठ (हार्डवुड) प्लाईवुड के लिए नहीं।

"ए": उपलब्ध उच्चतम गुणवत्ता श्रेणी. दोषमुक्त या छोटी गांठों से युक्त हो सकते हैं, बशर्ते उनमें डाट लगाई गई हो ("नाव" या "अमरीकी फुटबॉल" के आकार वाले डाट) अथवा कृत्रिम चकती लगा कर मरम्मत की गई हो। इस श्रेणी में सतह कभी-कभी चटकी हुई हो सकती है जिसकी मरम्मत कृत्रिम भराव से की जाती है। सतह हमेशा बालुई होती है जो रंगने योग्य चिकनी सतह की गुणवत्ता प्रदान करती है।

"ख": दूसरी उच्चतम गुणवत्ता पोशिश (वीनियर) श्रेणी. सामान्यतः अधोस्तरीय "ए" श्रेणी गुणवत्ता पोशिश (वीनियर) का उप-उत्पाद. ठोस सतह, लेकिन छोटे व्यास की गांठें हो सकती हैं और सतह में महीन चटक हो सकती है। सामान्यतः लकड़ी के डाट या कृत्रिम भराव द्वारा मरम्मत की हुई। सामान्य रूप से सतह बालू से चिकनी की हुई होती है।

"सी": एक निम्न स्तरीय मुखभाग गुणवत्ता युक्त माना जाता है, लेकिन सामान्य निर्माण प्रयोजनों के लिए एक उचित पसंद है। 1½ इंच व्यास की सख्त गांठें हो सकती हैं, कुछ गांठों के खुले छिद्र, ऊपरी सतह चटकी हुई और रंग उड़ा हुआ हो सकता है। कुछ उत्पादक कृत्रिम भराव से दोषों की मरम्मत कर सकते हैं। फलकों को आमतौर पर बालू से चिकना नहीं किया जाता है।

"डी": न्यूनतम गुणवत्ता पोशिश (वीनियर) समझा जाता है और अक्सर निर्माण श्रेणी के फलकों की पृष्ठ सतह के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बड़ी और छोटी अनेक गांठें होती हैं, साथ ही 2½ इंच व्यास के गांठों के खुले छिद्र भी होते हैं। खुली गांठ, दरार और मलिनीकरण स्वीकार्य हैं। "डी" श्रेणी मलिनकिरण की न तो मरम्मत की जाती है और न ही उसे बालू से चिकना किया जाता है। इस श्रेणी को मौसमी तत्त्वों के प्रभाव में स्थायी रूप से खुला रखने की अनुशंसा नहीं की जाती।

अनुप्रयोग

प्लाईवुड का प्रयोग अनेक ऐसे अनुप्रयोगों में किया जाता है जिनमें उच्च गुणवत्ता तथा उच्च शक्ति की शीट सामग्री की आवश्यकता होती है। इस संदर्भ में गुणवत्ता का अर्थ है चटकने, टूटने, सिकुड़ने, बल खाने और मुड़ने का प्रतिरोध।

बाहर से चिपके हुए प्लाईवुड बाह्य उपयोग के लिए उपयुक्त हैं, लेकिन क्योंकि नमी लकड़ी की शक्ति को प्रभावित करती है, अतः अनुकूलतम प्रदर्शन तभी हासिल किया जा सकता है जब उसके अंदर नमी की मात्रा अपेक्षाकृत कम हो। दूसरी ओर, शून्य से नीचे तापमान वाली परिस्थितियां प्लाईवुड के आकार या मजबूती के गुण पर कोई प्रभाव नहीं डालती, जो इसके कुछ विशेष अनुप्रयोगों में इस्तेमाल को संभव को संभव बनाता है।

प्लाईवुड का इस्तेमाल दबाव प्रक्रिया (स्ट्रेस्ड स्किन) वाले अनुप्रयोगों में इंजीनियरिंग सामग्री के रूप में भी किया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध से इसका इस्तेमाल समुद्रीय और विमानन अनुप्रयोगों के लिए किया गया है। इनमें सबसे उल्लेखनीय है ब्रिटेन का डी हैवीलैंड मॉसक्विटो बॉम्बर, जिसे मुख्य रूप से लकड़ी से बनाया गया था। वर्तमान में प्लाईवुड का इस्तेमाल दबाव प्रक्रिया अनुप्रयोग में सफलतापूर्वक किया जाता है।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]. अमेरिकी डिजाइनर चार्ल्स और रे ईम्स अपने प्लाईवुड आधारित फर्नीचर के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि फिल बोल्गर मुख्य रूप से प्लाईवुड से निर्मित नौकाओं की विस्तृत श्रृंखला की डिजाइनिंग के लिए प्रसिद्ध हैं।

मृदुकाष्ठ (सॉफ्टवुड) अनुप्रयोग

स्प्रूस प्लाईवुड के विशिष्ट इस्तेमाल हैं:

  • भवन निर्माण में फर्श, दीवारें और छत
  • हवा देने वाले फलक (पैनल)
  • वाहनों की आंतरिक बॉडी का काम
  • पैकेज और संदूक
  • विज्ञापन पट
  • हदबंदी (बाड़ लगाना)

कोटिंग वाले समाधान उपलब्ध हैं जो स्प्रूस प्लाईवुड की प्रमुख तंतु संरचना को ढक लेते हैं। इन लेपित प्लाईवुड के कुछ अंतिम उपयोग हैं जहां उचित शक्ति की जरूरत है लेकिन स्प्रूस का हल्कापन लाभदायक है, उदाहरण के लिएः

  • कंक्रीट शटरिंग पैनल
  • निर्माण में पेंट के लिए तैयार सतहें

सन्टी प्लाईवुड अनुप्रयोग

विशेष लेपित सन्टी प्लाईवुड विशिष्ट रूप से संस्थापना-को-तैयार घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, उदाहरण के लिए:

  • कंक्रीट फॉर्मवर्क प्रणालियों में पैनल
  • परिवहन वाहनों में फर्श, दीवार और छत
  • कंटेनर फर्श,
  • विभिन्न इमारतों और कारखानों के फर्श जहां अधिक घिसावट होती है।
  • मचान सामग्री

सन्टी प्लाईबुड विशेष अनुप्रयोगों में एक संरचनात्मक सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाता है, उदाहरण के लिए:

  • पवन टरबाइन ब्लेड
  • तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) वाहकों के लिए रोधन बक्से

चिकनी सतह और सटीक मोटाई, सामग्री के स्थायित्व के साथ मिल कर सन्टी प्लाईवुड को कई विशेष अंतिम उपयोगों के लिए एक अनुकूल सामग्री बनाते हैं, उदाहरण के लिएः

  • डाई कटिंग बोर्ड
  • लकड़ी के फर्श के लिए सहायक संरचना
  • खेल के मैदान संबंधी उपकरण
  • फर्नीचर
  • दक्षतापूर्ण आउटडोर विज्ञापनों के लिए संकेत और बाड़
  • वाद्य यंत्र
  • खेल उपकरण

ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड अनुप्रयोग

  • आम प्लाईवुड
  • कंक्रीट पैनल
  • फर्श का आधार
  • संरचना पैनल
  • कंटेनर का फर्श
  • लैमिन बोर्ड
  • लैमिनेटेड वीनियर लम्बर (एलवीएल)

ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड व्यापक रूप से दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र, मुख्यतः मलेशिया और इंडोनेशिया से उपलब्ध है। ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड प्रीमियम गुणवत्ता और शक्ति समेटे हुए हैं। मशीनरी पर निर्भर करते हुए, ऊष्णकटिबंधीय प्लाईवुड मोटाई में उच्च सटीकता के साथ बनाया जा सकता है तथा अमेरिका, जापान, मध्य पूर्व, कोरिया और दुनिया भर के अन्य क्षेत्रों में एक बेहद बेहतर विकल्प है।

इन्हें भी देखें

  • योजित लकड़ी
  • फाइबरबोर्ड
  • ग्लूड लैमिनेटेड टिम्बर
  • हार्डबोर्ड
  • मैसोनाइट
  • मध्यम घनत्व फाइबरबोर्ड
  • ओरिएंटेड स्ट्रैंड बोर्ड
  • पार्टिकल बोर्ड
  • प्रेस्ड वुड

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

  1. ओ'हैलोरन, पृष्ठ. 221.
  2. फिनिश प्लाईवुड का पुस्तिका, फिनिश अरण्य उद्योग फेडेरडेकोरेटिव प्लाईवुड एशन, 2002, ISBN 952-9506-63-5 [१] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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